विश्व मलेरिया दिवस '25 अप्रैल', - Study Search Point

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विश्व मलेरिया दिवस '25 अप्रैल',

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विश्व मलेरिया दिवस सम्पूर्ण विश्व में '25 अप्रैल' को मनाया जाता है। 'मलेरिया' एक जानलेवा बीमारी है, जो मच्छर के काटने से फैलती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को यदि सही समय पर उचित इलाज तथा चिकित्सकीय सहायता न मिले तो यह जानलेवा सिद्ध होती है। मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो हज़ारों वर्षों से मनुष्य को अपना शिकार बनाती आई है। विश्व की स्वास्थ्य समस्याओं में मलेरिया अभी भी एक गम्भीर चुनौती है। पिछले दो दशकों में हुए तीव्र वैज्ञानिक विकास और मलेरिया के उन्मूलन के लिए चलाए गए वैश्विक कार्यक्रमों के बावजूद इस जानलेवा बीमारी के आंकड़ों में कमी तो आई है, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह नियंत्रण नहीं पाया जा सका है।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने विश्व मलेरिया दिवस पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसके अनुसार हर साल लगभग 8.5 लाख लोग मच्छर की मार से मारे जाते हैं। इनमें से 90 प्रतिशत लोग अफ्रीका के सहारा क्षेत्र में मलेरिया से मारे जाते हैं।  यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक एन. वेनमन ने बताया कि अफ्रीका के कुछ देशों सहित अन्य देशों में मच्छर के कारण हो रही मौतों को रोकने के और अधिक उपाय करने होंगे। इसके अलावा ग्रामीण एवं गरीब लोगों वाले ऐसे क्षेत्रों तक ज्यादा पहुँच बढ़ानी होगी, जहाँ मलेरिया एक बड़े खतरे का रूप ले चुका है। उन्होंने कहा कि हम मलेरिया को मात दे सकते हैं, बस जरूरत है विश्व के देश मलेरिया के खिलाफ एक हो जाएँ।

मलेरिया क्या है? 
मलेरिया एक प्रकार के परजीवी प्लाजमोडियम से फैलने वाला रोग है। जिसका वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर होता है। जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। मलेरिया परजीवी विशेष रूप से लाल रक्त कणिकाओं (आरबीसी) को प्रभावित करता है जिससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और मरीज कमजोर होता जाता है। यदि शुरुआत में ही ध्यान न दिया जाए तो इससे लीवर भी प्रभावित हो सकता है और रोगी पीलिया जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकता है।

मलेरिया : एक खतारनाक बीमारी 
विकासशील देशों में मलेरिया कई मरीजों के लिए मौत का पैगाम बनकर सामने आता है। मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गवाँ देते हैं। प्रोटोजुअन प्लासमोडियम नामक कीटाणु के प्रमुख वाहक मादा एनोफिलीज मच्छर होते हैं जो एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक कीटाणु फैला देते हैं। 

मलेरिया के पहचान का तरीका 
* ठंड देकर बुखार आना
* सिददर्द होना 
* उल्टी हो भी सकती है और नहीं भी 
* कमर में दर्द होना
* कमजोरी लगना 

लक्षण : -
मलेरिया के प्रमुख लक्षण यह हैं कि एक निश्चित अंतराल से रोज एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार आता है। सिरदर्द और मितली आने के साथ कंपकंपी के साथ ठंड लगने के दौरे प्रमुख हैं। मरीज को हाथ-पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस होती है। 

बचाव और इलाज : -
मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास जमा पानी से छुटकारा पाना। इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम कर्मियों या मलेरिया विभाग द्वारा दवाएँ छिड़कवाना, गंबूशिया मछली के बच्चे छुड़वाना आदि उपाय भी जरूरी हैं। यह मछली मलेरिया के कीटाणु मानव शरीर तक पहुँचाने वाले मच्छरों के लार्वा पर पलती हैं। यदि मरीज में ऊपर लिखे लक्षण सामने आ रहे हैं तो उसका इलाज योग्य चिकित्सक से कराना चाहिए। कुनैन की गोली इस रोग में फायदा पहुँचाती है। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के मामले में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत होती है। मरीज को सूखे और गर्म स्थान पर आराम करने दें। कुनैन के कारण मरीज को मितली के साथ उल्टियाँ आ सकती हैं। इसके कारण मरीज को निर्जलन की शिकायत भी हो सकती है। याद रखें मच्छर काटने के 14 दिन बाद मलेरिया के लक्षण सामने आते हैं।

कुछ साव‍धानियाँ : -
मलेरिया से बचने के लिए जरूरी है कि मच्छरों से बचा जाए। मच्छरों से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ अपनानी चाहिए। 
जैसे-
* जहाँ तक हो पूरी बाँह के कपड़ों का प्रयोग करें। 
* सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। 
* बंद कमरे में जितना हो सके क्वॉइल का प्रयोग न करें। 
* घर में पानी को जमा न होने दें। 
* अगर आसपास पानी जमा है तो उसमें ऑइल डाल दें जिससे मच्छर नहीं पनपेंगे। 
* थोड़ा भी बुखार आने पर डॉक्टर से परामर्श लें।

उल्लेखनीय तथ्य : -
'25 अप्रैल' 'विश्व मलेरिया दिवस' का दिन है, जब मलेरिया को जड़ से मिटाने के लिए कारगार कदम उठाने के भरसक प्रयासों को हरी झंडी दी गई थी। साथ ही जनता को मलेरिया के प्रति जागरूक करने और इस रोग पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने की पहल की गई थी।
मलेरिया पूरे विश्व में महामारी का रूप धारण कर चुका है। ख़ासकर विकासशील देशों में मलेरिया कई मरीजों के लिए मौत का पैगाम बनकर सामने आया है। मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गवाँ देते हैं। 'प्रोटोजुअन प्लाज्‍मोडियम' नामक कीटाणु मादा एनोफिलीज मच्छर के माध्यम से फैलते है। ये मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक कीटाणु फैलाने का काम भी करते है।
यूनिसेफ़ का मलेरिया को लेकर कहना है कि अफ़्रीका के कुछ देशों सहित अन्य देशों में मच्छर के कारण हो रही मौतों को रोकने के और अधिक उपाय करने होंगे। इसके अलावा ग्रामीण एवं गरीब लोगों वाले ऐसे क्षेत्रों तक ज्यादा पहुँच बढ़ानी होगी, जहाँ मलेरिया एक बड़े खतरे का रूप ले चुका है। यूनिसेफ़ के मुताबिक मलेरिया को आसानी से मात दी जा सकती हैं, बस जरूरत है विश्व को मलेरिया के ख़िलाफ़ एकजुट होने की।
मलेरिया एक वैश्विक जन-स्वास्थ्य समस्या है। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' का कहना है कि हर साल मलेरिया के कारण विश्व में हो रही मौतों की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिए '25 अप्रैल' को 'विश्व मलेरिया दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है।
गौरतलब है कि पिछले कई सालों से 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (डब्ल्यूएचओ) इस दिन को 'अफ़्रीका मलेरिया दिवस' के तौर पर मनाता था, लेकिन दुनिया के बाक़ी हिस्सों में भी जागरूकता लाने के लिए इसे वैश्विक आयोजन का रूप दिया गया।
'विश्व स्वास्थ्य संगठन' के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में हर वर्ष क़रीब 50 करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं; जिनमें क़रीब 27 लाख रोगी जीवित नहीं बच पाते, जिनमें से आधे पाँच साल से कम के बच्चे होते हैं।
मच्छर मलेरिया के रोगाणु का केवल वाहक है। रोगाणु मच्छर के शरीर में एक परजीवी की तरह फैलता है और मच्छर के काटने पर उसकी लार के साथ मनुष्य के शरीर में पहुँचता है। रोगाणु केवल एक कोषीय होता है, जिसे 'प्लास्मोडियम' कहा जाता है।
रोगाणु की क़िस्म के अनुसार मलेरिया के तीन मुख्य प्रकार हैं- 'मलेरिया टर्शियाना', 'क्वार्टाना' और 'ट्रोपिका'। इनमें सबसे ख़तरनाक है- 'मलेरिया ट्रोपिका', जो 'पी.फ़ाल्सिपेरम' नामक रोगाणु से फैलता है और भारत में भी चारों और फैला हुआ है।

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