देश में समान नागरिक संहिता, - Study Search Point

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देश में समान नागरिक संहिता,

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देश में समान नागरिक संहिता (#यूनिफॉर्मसिविलकोड) को लेकर लंबे समय से बहस चली आ रही है। इस बीच केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए लॉ कमिशन से इसे लागू करने को लेकर आ रही दिक्‍कतों की पड़ताल करने के लिए कहा है। यह पहली बार होगा जब सरकार ने कमिशन से इस तरह की कोइ रिपोर्ट मांगी है। समान नागरिक संहिता के अंतर्गत देश में रहने वाले हर व्‍यक्ति के लिए एक ही तरह का कानून होगा जो सभी धर्म और संप्रादाय पर लागू होगा।
वर्तमान में भारत में हिन्‍दू और मुस्लिमों के लिए अलग-अलग कानून हैं और अलग तरीके से लागू होते हैं। देश में अब तक इसे लेकर कई बार बहस हो चुकी है और ज्‍यादातर इसे #धर्मनिरपेक्षता के मामले से जोड़कर देखा जाता रहा है। जहां भाजपा हमेशा से ही इसके पक्ष में रही है वहीं कांग्रेस लगातार इसका विरोध करती आई है। #ईकोनॉमिकटाईम्‍स की खबर के अनुसार इस मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि कानून मंत्रालय ने लॉ कमिशन को पत्र लिखकर मामले में डिटेल रिपोर्ट की मांग की है। अखबार के अनुसार पत्र में लॉ कमिशन से सिविल कोड मामले की पड़ताल कर रिपोर्ट देने को कहा है। मंत्रालय ने इसके साथ ही मामले से जुड़े फैसलों के और अन्‍य कागजात भी दिए हैं। फिलहाल लॉ कमिशन की अगुवाई सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जिस्‍टस ब‍लबीर सिंह कर रहे हैं जो कि कमिशन से जुड़े संबंधित पक्षों और एक्‍सपर्ट्स के साथ बैठक कर रिपोर्ट तैयार करेंगे। स‍ंविधान में समान नागरिक संहिता को लागू करना अनुच्‍छेद 44 के तहत राज्‍य की जिम्‍मेदारी बताया गया है। समान #नागरिकसंहिता भारतीय राजनीति में सबसे पहले 1985 में सामने आई जब शाह बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो जो कि एक मुस्लिम महिला थी उसे उसके पति को गुजारा भत्‍ता देने के लिए कहा था। बाद में राजीव गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटने के लिए एक विवादित बिल भी प्रस्‍तुत किया था।
क्‍या है समान नागरिक संहिता -
यूनिफॉर्म सिविल कोड या समान नागरिक संहिता का मतलब है कि भारत के सभी नागरिक वो चाहे किसी भी धर्म और जाति के हों उनके लिए समान कानून रहेगा। समान नागरिक संहिता एक #सेक्यूलरकानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिये समान रूप से लागू होगा। यह कानून भी किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होगा। समान नागरिक संहिता का उल्‍लेख देश के संविधान में भी किया गया है। यह उल्‍लेख संविधान के अनुच्छेद 44 में मिलता है। अगर यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाए तो सभी धर्मों के लिए एक जैसा कानून होगा। इसके बाद हर धर्म के लोगों के लिए शादी, तलाक, गोद लेना और जायदाद के बंटवारे जैसे मामलों में एक ही कानून लागू होगा। फिलहाल हर धर्म के लोग इन मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ यानी निजी कानूनों के तहत करते हैं।
यह है दिक्‍कतें -
लोगों का ये मानना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो जाने से देश में हिन्दू कानून लागू हो जाएगा जबकि यह किसी एक के लिए नहीं होगा। इसके अलावा कुछ का मानना है कि #यूनिफॉर्मसिविल कोड लागू हो जाने के बाद लोगों की धार्मिक आजादी खत्म हो जाएगी। इसे लागू करने के लिए कई तरह के बदलाव करने होंगे वहीं जो सबसे बड़ी दिक्‍कत है वो है कि इस पर राजनीति जमकर होगी और कई #राजनीतिक दल इसका पूरजोर विरोध करेंगे।

साभार - NaiDunia

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