भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता राजेश खन्ना, - Study Search Point

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भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता राजेश खन्ना,

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राजेश खन्ना (Rajesh Khanna, जन्म: 29 दिसंबर1942 अमृतसर - 18 जुलाई2012 मुम्बई) भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध अभिनेता थे। राजेश खन्ना का वास्तविक नाम जतिन खन्ना है। अपने रूमानी अंदाज, स्वाभाविक अभिनय और कामयाब फ़िल्मों के लंबे सिलसिले के बल पर क़रीब डेढ़ दशक तक सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले राजेश खन्ना के रूप में हिंदी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था। राजेश खन्ना फ़िल्म निर्माता और राजनीतिज्ञ भी रहे। राजेश खन्ना ने लगभग 163 फ़िल्मों में अभिनय किया जिसमें 106 फ़िल्मों वे मुख्य नायक रहे। राजेश खन्ना को तीन बार फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला और 14 बार नामांकित हुए। राजेश खन्ना का जन्म 29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फ़िल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए। राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफ़ी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाडि़या से विवाह किया और वे दो पुत्रियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने। उनकी दोनों पुत्री अभिनेत्री हैं। हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए। राजेश फ़िल्मों में व्यस्त रहे और डिम्पल ने भी अपने करियर को तरजीह देना शुरू किया। राजेश खन्ना की बड़ी पुत्री ट्विंकल खन्ना ने अभिनेता अक्षय कुमार से विवाह किया।

फ़िल्मी ज़ीवन - 

उनका अभिनय करियर शुरूआती नाकामियों के बाद इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती हैं। परिवार की मर्जी के ख़िलाफ़ अभिनय को बतौर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 बरस की उम्र में आखिरी खत फ़िल्म से सिनेमा जगत में कदम रखा था। बाद में राज, बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फ़िल्में आई। मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी।वर्ष 1969 में आई फ़िल्म 'आराधना' ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए। फ़िल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए। 'आराधना' ने राजेश खन्ना की क़िस्मत के दरवाज़े खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फ़िल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर क़ायम किया। वर्ष 1970 में बनी फ़िल्म 'सच्चा झूठा' के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर अवार्ड दिया गया।
वर्ष 1971 राजेश खन्ना के अभिनय करियर का सबसे यादगार साल रहा। उस वर्ष उन्होंने कटी पतंग, आनन्द, आन मिलो सजना, महबूब की मेंहदी, हाथी मेरे साथी और अंदाज जैसी सुपरहिट फ़िल्में दीं। दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का ग़ुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फ़िल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्षों तक गुलज़ार रखा। भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है। 'आनन्द' फ़िल्म में उनके सशक्त अभिनय का एक उदाहरण का दर्जा हासिल है। एक लाइलाज बीमारी से पीडि़त व्यक्ति के किरदार को राजेश खन्ना ने एक जिंदादिल इंसान के रूप जीकर कालजयी बना दिया। राजेश को आनन्द में यादगार अभिनय के लिये वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर अवार्ड दिया गया। भारतीय सिनेमा के प्रसिद्ध संगीतकार आर. डी. बर्मन और प्रसिद्ध अभिनेता, निर्माता-निर्देशक, गायक किशोर कुमार के साथ राजेश खन्ना की जुगलबंदी ने अनेक हिंदी फ़िल्मों को सुपरहिट संगीत दिया। इन तीनों गहरे दोस्तों ने क़रीब 30 फ़िल्मों में एक साथ काम किया। किशोर कुमार के अनेक गाने राजेश खन्ना पर ही फ़िल्माए गए और किशोर के स्वर राजेश खन्ना से पहचाने जाने लगे। क़रीब डेढ़ दशक तक प्रशंसकों के दिल पर राज करने वाले राजेश खन्ना के करियर में 80 के दशक के बाद उतार शुरू हो गया। बाद में उन्होंने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे। वर्ष 1994 में उन्होंने 'खुदाई' से अभिनय की दूसरी पारी शुरू की। उसके बाद उनकी 'आ अब लौट चलें' (1999), 'क्या दिल ने कहा' (2002), 'जाना' (2006) और हाल में रिलीज हुई 'वफा' के साथ उनका फ़िल्मी सफ़र समाप्त हुआ।
राजेश खन्ना ने मुमताज़ के साथ आठ फिल्मों में काम किया और ये सभी फिल्में सुपरहिट हुईं। राजेश और मुमताज़ दोनों के बँगले मुम्बई में पास पास थे अत: चित्रपट के रुपहले पर्दे पर साथ साथ काम करने में दोनों की अच्छी पटरी बैठी। जब राजेश ने डिम्पल के साथ शादी कर ली तब कहीं जाकर मुमताज़ ने भी उस जमाने के अरबपति मयूर माधवानी के साथ विवाह करने का निश्चय किया। 1974 में मुमताज़ ने अपनी शादी के बाद भी राजेश के साथ आप की कसम, रोटी और प्रेम कहानी जैसी तीन फिल्में पूरी कीं और उसके बाद फिल्मों से हमेशा हमेशा के लिये सन्यास ले लिया। यही नहीं मुमताज़ ने बम्बई को भी अलविदा कह दिया और अपने पति के साथ विदेश में जाकर बस गयी। इससे राजेश खन्ना को जबर्दस्त आघात लगा।

रोचक तथ्य - 

  • जिस तरह से आज टीवी के ज़रिये टैलेंट हंट किया जाता है, कुछ इसी तरह काम 1965 यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फ़िल्मफेयर ने किया था। वे नया हीरो खोज रहे थे। फ़ाइनल में दस हजार में से आठ लड़के चुने गए थे, जिनमें एक राजेश खन्ना भी थे। अंत में राजेश खन्ना विजेता घोषित किए गए।
  • 1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फ़िल्में दीं। उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए। फ़िल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से 'काका' कहा जाता है। जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी- ऊपर आका और नीचे काका।
  • 29 दिसम्बर 1942 को जन्मे राजेश खन्ना स्कूल और कॉलेज जमाने से ही एक्टिंग की ओर आकर्षित हुए। उन्हें उनके एक नजदीकी रिश्तेदार ने गोद लिया था और बहुत ही लाड़-प्यार से उन्हें पाला गया।
  • राजेश ने फ़िल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ़्तर के चक्कर लगाए। संघर्ष के दिनों में वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी।
  • राजेश की पहली प्रदर्शित फ़िल्म का नाम ‘आखिरी खत’ था। 1969 में रिलीज हुई 'आराधना' और 'दो रास्ते' की सफलता के बाद राजेश खन्ना सीधे शिखर पर जा बैठे। उन्हें सुपरस्टार घोषित कर दिया गया और लोगों के बीच उन्हें अपार लोकप्रियता हासिल हुई।
  • लड़कियों के बीच राजेश खन्ना बेहद लोकप्रिय हुए। लड़कियों ने उन्हें ख़ून से खत लिखे। उनकी फोटो से शादी कर ली। कुछ ने अपने हाथ या जांघ पर राजेश का नाम गुदवा लिया। कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थीं।
  • स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ़्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती थी तो लड़कियां उस कार को ही चूम लेती थीं। लिपिस्टिक के निशान से सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी।
  • पाइल्स के ऑपरेशन के लिए एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल में उनके इर्द-गिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फ़िल्मों की कहानी सुना सके।
  • गुरुदत्तमीना कुमारी और गीता बाली को राजेश खन्ना अपना आदर्श मानते थे।
  • शादी के वक्त डिम्पल की उम्र राजेश से लगभग आधी थी। राजेश-डिम्पल की शादी की एक छोटी-सी फ़िल्म उस समय देश भर के थिएटर्स में फ़िल्म शुरू होने के पहले दिखाई गई थी।
  • राजीव गांधी के कहने पर राजेश राजनीति में आए। कांग्रेस (ई) की तरफ से कुछ चुनाव भी उन्होंने लड़े। जीते भी और हारे भी। लालकृष्ण आडवाणी को उन्होंने चुनाव में कड़ी टक्कर दी और शत्रुघ्न सिन्हा को हराया भी।
  • राजेश खन्ना और उनकी बेटी ट्विंकल का एक ही दिन जन्मदिन आता है, 29 दिसंबर। काका का कहना है कि वे अपनी ज़िंदगी से बेहद खुश हैं। दोबारा मौका मिला तो वे फिर राजेश खन्ना बनना चाहेंगे और वही ग़लतियां दोहराएंगे।
प्रमुख फिल्में - 

वर्ष            फ़िल्म
2002 क्या दिल ने कहा
2001 प्यार ज़िन्दगी है
1999 आ अब लौट चलें
1991 रुप्ये दस करोड़
1990 स्वर्ग
1989 मैं तेरा दुश्मन
1989 पाप का अंत
1988 विजय
1987 नज़राना
1987 आवाम
1987 आवारा बाप
1987 गोरा
1986 अमृत
1986 अनोखा रिश्ता
1986 अंगारे
1986 नसीहत
1986 शत्रु इंस्पेक्टर 
1985 निशान
1985 आखिर क्यों?
1985 ज़माना
1985 अलग अलग
1985 हम दोनों
1985 बाबू
1985 बेवफ़ाई
1985 दुर्गा
1985 मास्टर जी
1985 नया बकरा
1985 ऊँचे लोग
1984 आशा ज्योति
1984 आवाज़
1984 धर्म और कानून
1984 मकसद
1984 आज का एम एल ए राम अवतार
1984 नया कदम
1983 अवतार
1983 अगर तुम ना होते
1983 सौतन
1982 नादान
1982 राजपूत
1982 सुराग
1982 धर्म काँटा
1982 जानवर
1982 अशान्ति
1981 धनवान
1981 दर्द
1981 कुदरत
1980 बंदिश
1980 फ़िर वही रात
1980 आँचल
1980 थोड़ी सी बेवफाई
1979 प्रेम बंधन
1979 अमर दीप
1979 मुकाबला
1979 जनता हवलदार
1978 भोला भाला
1978 नौकरी
1977 अनुरोध
1977 कर्म
1977 छलिया बाबू
1977 आशिक हूँ बहारों का
1977 पलकों की छाँव में
1977 त्याग
1976 महबूबा
1976 महा चोर
1975 प्रेम कहानी
1974 आप की कसम
1974 रोटी मंगल सिंह
1974 हमशक्ल
1974 प्रेम नगर
1974 अज़नबी
1974 अविष्कार
1973 नमक हराम
1973 दाग
1973 अनुराग
1972 मेरे जीवन साथी
1972 अपना देश
1972 बावर्ची
1972 शहज़ादा
1972 मालिक
1972 जोरू का गुलाम
1972 दिल दौलत दुनिया
1972 अमर प्रेम
1971 हाथी मेरे साथी
1971 अंदाज़
1972 दुश्मन
1970 सच्चा झूठा भोला
1971 आनन्द
1971 आन मिलो सजना
1971 कटी पतंग
1970 सफ़र
1969 बंधन
1969 दो रास्ते
1969 आराधना
1967 बहारों के सपने

सम्मान एवं पुरस्कार - 
राजेश खन्ना को फिल्मफेयर पुरस्कार के लिये चौदह बार तथा बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट अवार्ड के लिये पच्चीस बार नामांकित किया गया। दोनों पुरस्कारों के लिये कुल उन्तालिस बार के नामांकन में उन्हें तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार एवं चार बार बंगाल फिल्म जर्नलिस्ट अवार्ड मिला। राजेश खन्ना को दस बार ऑल India critics पुरस्कार के लिये नामांकित किया गया और उन्हें सात बार अवार्ड मिला।

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
1975 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - अविष्कार
1972 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आनन्द
1971 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - सच्चा झूठा

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