आगरे के किले का इतिहास, - Study Search Point

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आगरे के किले का इतिहास,

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ताजमहल के उद्यानों के पास महत्वपूर्ण 16 वीं शताब्दी का मुगल स्मारक है, जिसे आगरे का लाल किला कहते हैं। यह शक्तिशाली किला लाल सैंड स्‍टोन से बना है और 2.5 किलोमीटर लम्बी दीवार से घिरा हुआ है, यह मुगल शासकों का शाही शहर कहा जाता है। इस किले की बाहरी मजबूत दीवारें अंदर एक स्‍वर्ग को छुपाए हुए हैं। इसमें अनेक विशिष्ट भवन हैं जैसे मोती मस्जिद - सफेद संगमरमर से बनी एक मस्जिद, जो एक त्रुटि रहित मोती जैसी है; दीवान ए आम, दीवान ए खास, मुसम्मन बुर्ज - जहां मुगल शासक शाह जहां की मौत 1666 ए. डी. में हुई, जहांगीर का महल और खास महल तथा शीश महल। आगरे का किला मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है, यह भारत में यूनेस्को के विश्‍व विरासत स्थलों में से एक है। आगरे के किले का निर्माण 1656 के आस पास शुरु हुआ, जब आरंभिक संरचना मुगल बादशाह अकबर ने निर्मित कराई, इसके बाद का कार्य उनके पोते शाह जहां ने कराया, जिन्होंने किले में सबसे अधिक संगमरमर लगवाया। यह किला अर्ध चंद्राकार, पूर्व दिशा में चपटा है और इसकी एक सीधी, लम्बी दीवार नदी की ओर जाती है। इस पर लाल सैंड स्‍टोन के दोहरे प्राचीर बने हैं, जिन पर नियमित अंतराल के बाद बेस्‍टन बनाए गए है। बाहरी दीवार के आस पास 9 मीटर चौड़ी मोट है। एक आगे बढ़ती 22 मीटर ऊंची अंदरुनी दीवार अपराजेय प्रतीत होती है। किले की रूपरेखा नदी के प्रवाह की दिशा में निर्धारित होती है, जो उन दिनों इसके बगल से बहती थी। इस का मुख्य अक्ष नदी के समानान्तर है और दीवारें शहर की ओर हैं।
इस किले में मूलत: चार प्रवेश द्वार थे, जिनमें से दो को आगे चलकर बंद कर दिया गया। आज दर्शकों को अमर सिंह गेट से प्रवेश करने की अनुमति है। जहांगीर महल पहला उल्लेखनीय भवन है जो अमर सिंह प्रवेश द्वार से आने पर अतिथि सबसे पहले देखते हैं। जहांगीर अकबर का बेटा था और वह मुगल सिंहासन का उत्तराधिकारी भी था। जहांगीर महल का निर्माण अकबर ने महिलाओं के लिए कराया था। यह पत्थरों का बना हुआ है और इसकी बाहरी सजावट सादगी वाली है। पत्थर के बड़े बाउल पर सजावटी पर्शियन पच्चीकारी की गई है, जो संभवतया सुगंधित गुलाब जल को रखने के लिए बनाया गया था। अकबर ने जहांगीर महल के पास अपनी मनपसंद रानी जोधा बाई के लिए एक महल का निर्माण भी कराया था। शाहजहां द्वार निर्मित पूरी तरह से संगमरमर का बना हुआ खास महल विशिष्ट इस्लामिक - पर्शियन विशेषताओं का प्रदर्शन करता है। इनके साथ हिन्दु विशेषताओं की एक अद्भुत श्रृंखला भी मिश्रित की गई है जैसे कि छतरियां। इसे बादशाह का सोने का कमरा या आरामगाह माना जाता है। खास महल में सफेद संगमरमर की सतह पर चित्र कला का सबसे सफल उदाहरण दिया गया है। खास महल की बांईं ओर मुसम्मन बुर्ज है जिसका निर्माण शाहजहां ने कराया था। यह सुंदर अष्टभुजी स्तंभ एक खुले मंडप के साथ है। इसका खुलापन, ऊंचाइयां और शाम की ठण्डी हवाएं इसकी कहानी कहती है। यही वह स्थान है जहां शाहजहां ने ताज को निहारते हुए अंतिम सांसें ली थी।
यह मूलतः एक ईंटों का किला था, जो चौहान वंश के राजपूतों के पास था। इसका प्रथम विवरण 1080 ई. में आता है, जब महमूद गजनवी की सेना ने इस पर कब्ज़ा किया था। सिकंदर लोदी (1487-1517), दिल्ली सल्तनत का प्रथम सुल्तान था, जिसने आगरा की यात्रा की, व इस किले में रहा था। उसने देश पर यहां से शासन किया, व आगरा को देश की द्वितीय राजधानी बनाया। उसकी मृत्यु भी, इसी किले में 1517 में हुई थी, जिसके बाद, उसके पुत्र इब्राहिम लोदी ने गद्दी नौ वर्षों तक संभाली, तब तक, जब वो पानीपत के प्रथम युद्ध(1526) में काम नहीं आ गया। उसने अपने काल में, यहां कई स्थान, मस्जिदें व कुएं बनवाये। पानीपत के बाद, मुगलों ने इस किले पर भी कब्ज़ा कर लिया, साथ ही इसकी अगाध सम्पत्ति पर भी। इस सम्पत्ति में ही एक हीरा भी था, जो कि बाद में कोहिनूर हीरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ। तब इस किले में इब्राहिम के स्थान पर बाबर आया। उसने यहां एक बावली बनवायी। सन 1530 में, यहीं हुमायुं का राजतिलक भी हुआ। हुमायुं इसी वर्ष बिलग्राम में शेरशाह सूरी से हार गया, व किले पर उसका कब्ज़ा हो गया। इस किले पर अफगानों का कब्ज़ा पांच वर्षों तक रहा, जिन्हें अन्ततः मुगलों ने 1556 में पानीपत का द्वितीय युद्ध में हरा दिया। इस की केन्द्रीय स्थिति को देखते हुए, अकबर ने इसे अपनी राजधानी बनाना निश्चित किया, व सन 1558 में यहां आया। उसके इतिहासकार अबुल फजल ने लिखा है, कि यह किला एक ईंटों का किला था, जिसका नाम बादलगढ़ था। यह तब खस्ता हालत में था, व अकबर को इसि दोबारा बनवाना पड़ा, जो कि उसने लाल बलुआ पत्थर से निर्मण करवाया। इसकी नींव बड़े वास्तुकारों ने रखी। इसे अंदर से ईंटों से बनवाया गया, व बाहरी आवरण हेतु लाल बलुआ पत्तह्र लगवाया गया। इसके निर्माण में चौदह लाख चवालीस हजार कारीगर व मजदूरों ने आठ वर्षों तक मेहनत की, तब सन 1573 में यह बन कर तैयार हुआ। अकबर के पौत्र शाहजहां ने इस स्थल को वर्तमान रूप में पहुंचाया। यह भी मिथक हैं, कि शाहजहां ने जब अपनी प्रिय पत्नी के लिये ताजमहल बनवाया, वह प्रयासरत था, कि इमारतें श्वेत संगमर्मर की बनें, जिनमें सोने व कीमती रत्न जड़े हुए हों। उसने किले के निर्माण के समय, कई पुरानी इमारतों व भवनों को तुड़वा भी दिया, जिससे कि किले में उसकी बनवायी इमारतें हों। अपने जीवन के अंतिम दिनों में, शाहजहां को उसके पुत्र औरंगज़ेब ने इस ही किले में बंदी बना दिया था, एक ऐसी सजा, जो कि किले के महलों की विलासिता को देखते हुए, उतनी कड़ी नहीं थी। यह भी कहा जाता है, कि शाहजहां की मृत्यु किले के मुसम्मन बुर्ज में, ताजमहल को देखेते हुए हुई थी। इस बुर्ज के संगमर्मर के झरोखों से ताजमहल का बहुत ही सुंदर दृश्य दिखता है। यह किला 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय युद्ध स्थली भि बना। जिसके बाद भारत से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का राज्य समाप्त हुआ, व एक लगभग शताब्दी तक ब्रिटेन का सीधे शासन चला। जिसके बाद सीधे स्वतंत्रता ही मिली।
शीश महल या कांच का बना हुआ महल हमाम के अंदर सजावटी पानी की अभियांत्रिकी का उत्कृ‍ष्टतम उदाहरण है। ऐसा माना जाता है कि हरेम या कपड़े पहनने का कक्ष और इसकी दीवारों में छोटे छोटे शीशे लगाए गए थे जो भारत में कांच मोजेक की सजावट का सबसे अच्‍छा नमूना है। शाह महल के दांईं ओर दीवान ए खास है, जो निजी श्रोताओं के लिए है। यहां बने संगमरमर के खम्‍भों में सजावटी फूलों के पैटर्न पर अर्ध कीमती पत्‍थर लगाए गए हैं। इसके पास मम्मम ए शाही या शाह बुर्ज को गरमी के मौसम में उपयोग किया जाता था। दीवान ए आम का उपयोग प्रसिद्ध मयूर सिंहासन को रखने में किया जाता था, जिसे शाहजहां द्वारा दिल्ली राजधानी ले जाने पर इसे लालकिले में ले जाया गया। यह सिंहासन सफेद संगमरमर से बना हुआ उत्कृष्ट कला का नमूना है। नगीना मस्जिद का निर्माण शाहजहां ने कराया था, जो दरबार की महिलाओं के लिए एक निजी मस्जिद थी। मोती मस्जिद आगरा किले की सबसे सुंदर रचना है। यह भवन वर्तमान में दर्शकों के लिए बंद किया गया है। मोती मस्जिद के पास मीना मस्जिद है, जिसे शाहजहां ने केवल अपने निजी उपयोग के लिए निर्मित कराया था।

उल्लेखनीय तथ्य : -
  • आगरा के किले को, इससे अपेक्षाकृत बहुत छोटे दिल्ली के लाल किले से नहीं भ्रमित किया जाना चाहिये। मुगलों ने दिल्ली के लाल किले को कभी किला नहीं कहा, बल्कि लाल हवेली कहा है। भारत के प्रधान मंत्री यहां की प्राचीर से 15 अगस्त को, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, प्रति वर्ष, देश की जनता को सम्बोधित करते हैं।
  • सर अर्थर कॉनन डायल, प्रसिद्ध अंग्रेज़ी उपन्यास लेखक के शेर्लॉक होम्स रहस्य उपन्यास द साइन ऑफ फोर में, आगरा के किले का मुख्य दृश्य है।
प्रसिद्ध मिस्री पॉप गायक हीशम अब्बास के अलबम हबीबी द में आगरा का किला दिखाया गया है।
मिर्ज़ा राजे जय सिंह के संग “पुरंदर संधि” के अनुसार, शिवाजी आगरा 1666 में आये, व औरंगज़ेब से दीवान-ए-खास में मिले। उन्हें अपमान करने हेतु, उनके स्तर से कहीं नीचा आसन दिया गया। वे अपमानित होने से पूर्व ही, दरबार छोड़कर चले गये। बाद में उन्हें जयसिंह के भवन में ही 12 मई,1666 को नज़रबंद किया गया। उनकी एक ओजपूर्ण अशवारोही मूर्ति, किले के बाहर लगायी गयी है। यह किला मुगल स्थापत्य कला का एक आदर्श उदाहरण है। यहां स्पष्ट है, कि कैसे उत्तर भारतीय दुर्ग निर्माण, दक्षिण भारतीय दुर्ग निर्माण से भिन्न होता था। दक्षिण भारत के अधिकांश दुर्ग, सागर किनारे निर्मित हैं। एज ऑफ ऐम्पायर – 3 के विस्तार पैक एशियन डाय्नैस्टीज़, में आगरा के किले को भारतीय सभ्यता के पांच अजूबों में से एक दिखाया गया है, जिसे जीतने के बाद ही, कोई अगले स्तर पर जा सकता है। एक बार बनने के बाद, यह खिलाड़ी को सिक्कों के जहाज भेजता रहता है। इस वर्ज़न में कई अन्य खूबियां भी हैं।
स्रोत : राष्ट्रीय पोर्टल, विकिपीडिया

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