जम्मू और कश्मीर स्थापना दिवस 26 जनवरी, - Study Search Point

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जम्मू और कश्मीर स्थापना दिवस 26 जनवरी,

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जम्मू और कश्मीर स्थापना दिवस 26 जनवरी को बनाया जाता है। जम्मू और कश्मीर 26 जनवरी 1947 को स्थापित हुआ था। सन 1947 में जम्मू पर डोगरा शासकों का शासन रहा। इसके बाद महाराज हरि सिंह ने 26 अक्तूबर, 1947 को भारतीय संघ में विलय के समझौते पर हस्‍ताक्षर कर दिये।

मुख्य लेख -


एक भारतीय राज्य, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वतश्रेणियों के निकट स्थित है। पहले यह भारत की बड़ी रियासतों में से एक था। यह पूर्वात्तर में सिंक्यांग का स्वायत्त क्षेत्र व तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र (दोनों चीन के भाग) से, दक्षिण में हिमाचल प्रदेश व पंजाब राज्यों से, पश्चिम में पाकिस्तान और पश्चिमोत्तर में पाकिस्तान अधिकृत भूभाग से घिरा है। जम्मू-कश्मीर राज्य के पश्चिम मध्य हिस्से के पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में देवसई पर्वत है। इस राज्य की राजधानी ग्रीष्‍मकाल में श्रीनगर और शीतकाल में जम्मू राजधानी रहती है।

भौगोलिक स्थिति -

जम्मू और कश्‍मीर राज्‍य 32-15 और 37-05 उत्तरी अक्षांश और 72-35 तथा 83-20 पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। भौगोलिक रूप से इस राज्‍य को चार क्षेत्रों में बांटा जा सकता है।

  1. पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी मैदान जो कंडी पट्टी के नाम से प्रचलित है;
  2. पर्वतीय क्षेत्र जिसमें शिवालिक पहाड़ियाँ शामिल हैं;
  3. कश्‍मीर घाटी के पहाड़ और पीर पांचाल पर्वतमाला तथा
  4. तिब्‍बत से लगा लद्दाख और कारगिल क्षेत्र
भौगोलिक तथा सांस्‍कृतिक रूप से राज्‍य के तीन ज़िला क्षेत्र जम्मू, कश्‍मीर और लद्दाख हैं।
राजतरंगिणी तथा नीलम पुराण नामक दो प्रामाणिक ग्रंथों में यह आख्‍यान मिलता है कि कश्मीर की घाटी कभी बहुत बड़ी झील हुआ करती थी। इस कथा के अनुसार कश्यप ऋषि ने यहाँ से पानी निकाल लिया और इसे मनोरम प्राकृतिक स्‍थल में बदल दिया, किंतु भूगर्भशास्त्रियों का कहना है कि भूगर्भीय परिवर्तनों के कारण खदियानयार, बारामुला में पहाड़ों के धंसने से झील का पानी बहकर निकल गया और इस तरह 'पृथ्‍वी पर स्‍वर्ग' कहलाने वाली कश्‍मीर की घाटी अस्तित्‍व में आई। ईसा पूर्व तीसरी शताब्‍दी में सम्राटअशोक ने कश्‍मीर में बौद्ध धर्म का प्रसार किया। बाद में कनिष्क ने इसकी जड़ें और गहरी कीं। छठी शताब्‍दी के आरंभ में कश्‍मीर परहूणों का अधिकार हो गया। यद्यपि सन् 530 में घाटी फिर स्‍वतंत्र हो गई लेकिन इसके तुरंत बाद इस पर उज्जैनसाम्राज्‍य का नियंत्रण हो गया। विक्रमादित्य राजवंश के पतन के पश्‍चात कश्‍मीर पर स्‍थानीय शासक राज करने लगे। वहां हिन्दू और बौद्ध संस्‍कृतियों का मिश्रित रूप विकसित हुआ। कश्‍मीर के हिन्‍दू राजाओं में ललितादित्‍य (सन 697 से सन् 738) सबसे प्रसिद्ध राजा हुए जिनका राज्‍य पूर्व में बंगाल तक, दक्षिण में कोंकण, उत्तर-पश्चिम में तुर्किस्‍तान, और उ‍त्तर-पूर्व में तिब्बत तक फैला था। ललितादित्‍य ने अनेक भव्‍य भवनों का निर्माण किया। कश्‍मीर में इस्‍लाम का आगमन 13 वीं और 14वीं शताब्‍दी में हुआ। मुस्लिम शासको में जैन-उल-आबदीन (1420-70) सबसे प्रसिद्ध शासक हुए, जो कश्‍मीर में उस समय सत्ता में आए, जब तातरो के हमले के बाद हिन्दू राजा सिंहदेव भाग गए। बाद में चक शासकों ने जैन-उल-आवदीन के पुत्र हैदरशाह की सेना को खदेड़ दिया और सन् 1586 तक कश्‍मीर पर राज किया। सन् 1586 में अकबर ने कश्‍मीर को जीत लिया। सन् 1752 में कश्‍मीर तत्‍कालीन कमज़ोर मुग़ल शासक के हाथ से निकलकर अफ़ग़ानिस्तान के अहमद शाह अब्दाली के हाथों में चला गया। 67 साल तक पठानों ने कश्‍मीर घाटी पर शासन किया।
अपने वर्तमान स्वरूप में जम्मू-कश्मीर का अंचल, 1846 में रूपायित हुआ। जब प्रथम सिक्ख युद्ध के अंत में लाहौर और अमृतसर की संधियों के द्वारा जम्मू के डोगरा शासक राजा गुलाब सिंह एक विस्तृत, लेकिन अनिश्चित से हिमालय क्षेत्रीय राज्य, जिसे 'सिंधु नदी के पूर्व की ओर रावी नदी के पश्चिम की ओर' शब्दावली द्वारा परिभाषित किया गया था, के महाराजा बन गए। राज्य की सीमाओं के अंतर्गत पश्चिमोत्तर में सीमाओं का स्वरूप 19वीं शताब्दी के आख़िरी दशक में अधिक स्पष्ट हुआ। जब ब्रिटेन ने पामीर क्षेत्र में सीमा निर्धारण सम्बन्धी समझौते अफ़ग़ानिस्तान और रूस के साथ सम्पन्न किए। इस समय गिलगित, जो हमेशा कश्मीर का भाग समझा जाता था, रणनीतिक कारणों से 1889 में एक ब्रिटिश एजेंट के तहत एक विशेष एजेंसी के रूप में गठित किया गया। सन 1947 तक जम्मू पर डोगरा शासकों का शासन रहा।

अनुच्छेद 370 -

ब्रिटिश हुकूमत की समाप्ति के साथ ही जम्मू और कश्मीर भी आज़ाद हुआ। शुरू में इसके शासक महाराज हरीसिंह ने फैसला किया कि वह भारत या पाकिस्तान में सम्मिलित न होकर स्वतंत्र रहेंगे, लेकिन 20 अक्टूबर1947 को पाकिस्तान समर्थक आज़ाद कश्मीर सेना ने राज्य पर आक्रमण कर दिया, जिससे महाराज हरीसिंह ने राज्य को भारत में मिलाने का फैसला लिया। उस विलय पत्र पर 26 अक्टूबर, 1947 को पण्डित जवाहरलाल नेहरू और महाराज हरीसिंह ने हस्ताक्षर किये। इस विलय पत्र के अनुसार- "राज्य केवल तीन विषयों- रक्षा, विदेशी मामले और संचार -पर अपना अधिकार नहीं रखेगा, बाकी सभी पर उसका नियंत्रण होगा। उस समय भारत सरकार ने आश्वासन दिया कि इस राज्य के लोग अपने स्वयं के संविधान द्वारा राज्य पर भारतीय संघ के अधिकार क्षेत्र को निर्धारित करेंगे। जब तक राज्य विधान सभा द्वारा भारत सरकार के फैसले पर मुहर नहीं लगाया जायेगा, तब तक भारत का संविधान राज्य के सम्बंध में केवल अंतरिम व्यवस्था कर सकता है। इसी क्रम में भारतीय संविधान में 'अनुच्छेद 370' जोड़ा गया, जिसमें बताया गया कि जम्मू-कश्मीर से सम्बंधित राज्य उपबंध केवल अस्थायी है, स्थायी नहीं।
हस्‍त‍शिल्‍प यहाँ का परपंरागत उद्योग है। हाथ से बनी वस्‍तुओं की व्‍यापक रोज़गार क्षमता और विशेषज्ञता को देखते हुए राज्‍य सरकार ह‍स्‍तशिल्‍प को उच्‍च प्राथमिकता दे रही है। कश्‍मीर के प्रमुख हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों में काग़ज़ की लुगदी से बनी वस्‍तुएं, लकड़ी पर नक़्क़ाशी, कालीन, शॉल और कशीदाकारी का सामान आदि शामिल हैं। हस्‍तशिल्‍प उद्योग से काफ़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा अर्जित होती है। हस्‍तशिल्‍प उद्योग में 3.40 लाख कामगार लगे हुए हैं। उद्योगों की संख्‍या बढ़ी है। करथोली, जम्मू में 19 करोड़ रुपये का निर्यात प्रोत्‍साहन औद्योगिक पार्क बनाया गया है। ऐसा ही एक पार्क ओमपोरा, बडगाम में बनाया जा रहा है। जम्मू में शहरी हाट हैं जबकि इसी तरह के हाट श्रीनगर में बनाए जा रहे है। राग्रेथ, श्रीनगर में 6.50 करोड़ रुपये की लागत से सॉफ्टेवयर टेक्‍नोलॉजी पार्क शुरू किया गया है। भूमि सुधार किए गए हैं। अन्न का उत्पादन बढ़ा है और 1947 के बाद मुख्य निर्यात वस्तुओं, लकड़ी, फल और सूखे मेवे व दस्तकारी के उत्पादन की मात्रा बहुत बढ़ी है। धातु के बर्तन, परिशुद्धता के उपकरण, खेल का सामान (मुख्यतः क्रिकेट के बल्ले), फ़र्नीचर, कशीदाकारी, माचिस, राल और तारपीन इस राज्य के प्रमुख औद्योगिक उत्पाद हैं।
विभाजन से पहले यह सम्पूर्ण क्षेत्र जम्मू और कश्मीर के प्रान्त व सीमावर्ती राज्यों लद्दाख, बाल्टिस्तान तथा गिलगित एजेंसी को समाविष्ट किए हुए था। मुज़फ़्फ़राबाद, कोटली और मीरपुर ज़िले के साथ - साथ उत्तरी क्षेत्रों में शामिल पुंछ, बाल्टिस्तान, असतौर और गिलगित एजेंसी, जो अब पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र है, के हिस्से हैं। यह सम्पूर्ण क्षेत्र लद्दाख (लेह) ज़िला औरअनंतनागबारामूला, श्रीनगर, पुलवामा, बड़गाम, कुपवाड़ा और कारगिल ज़िला, जो श्रीनगर प्रान्त में हैं और जम्मू प्रान्त के ज़िले, कठुआ, उधमपुर, राजौरी, डोडा और पुंछ का कुछ भाग, ये सभी भारत के जम्मू - कश्मीर राज्य के भाग हैं। 
जम्मू - कश्मीर राज्य का संघ सरकार में एक विशेष दर्जा बना हुआ है। भारत के शेष राज्य भारतीय संविधान का पालन करते हैं, लेकिन जम्मू - कश्मीर का अपना पृथक संविधान (1956 में स्वीकृत) है, जो भारतीय गणराज्य का अभिन्न अंग होने की पुष्टि करता है। संघ सरकार के पास प्रतिरक्षा, विदेश नीति एवं संचार के मामलों में प्रत्यक्ष वैधानिक अधिकार हैं और नागरिकता, सुप्रीम कोर्ट के क्षेत्राधिकार और आपातकालीन शक्तियों के मामलों में अप्रत्यक्ष प्रभाव हासिल है। जम्मू - कश्मीर के संविधान के अंतर्गत, राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। प्रशासनिक अधिकार, निर्वाचित मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के पास होते हैं। विधानसभा के दो सदन है - विभिन्न क्षेत्रों के 87 प्रतिनिधियों से गठित विधानसभा और 36 सदस्यीय विधान परिषद, राज्य से छह निर्वाचित प्रतिनिधि सीधे भारतीय संसद की लोकसभा में भेजे जाते हैं और विधानसभा व विधान परिषद द्वारा संयुक्त रूप से निर्वाचित छह सदस्य राज्यसभा में भेजे जाते हैं। उच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायधीश और 11 अन्य न्यायधीश होते हैं, जो भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।

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पर्यटन सुविधाओं में काफ़ी सुधार किए गए हैं, यद्यपि सम्भावनाओं का अभी भी काफ़ी उपयोग करना शेष है। पर्यटन का लद्दाख पर महत्त्वपूर्ण सामाजिक - आर्थिक प्रभाव पड़ा है। यह 1970 तक बाहरी लोगों से सामान्यतः कटा रहा था। (1974 में 500 पर्यटक और 1992 में 16,018)। ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के अलावा पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र हैं -
  • गुलमर्ग में आइस स्केटिंग केन्द्र, जो बारामूला के दक्षिण में पीर पंजाल श्रेणी में स्थित है और पहलगाम, जो लिद्दर नदी के किनारे स्थित है।
  • गंधक के सोते, जो जोड़ों के दर्द और गठिया के रोगों के शीघ्र इलाज के लिए प्रसिद्ध हैं, लेह के निकट चुमथंग में और नोबरा व पूगा (चागथंग) में स्थित है, पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • कश्‍मीर घाटी को पृथ्‍वी का स्‍वर्ग माना जाता है। कश्‍मीर घाटी में चश्‍मेशाही झरना, शालीमार बाग, डल झील, गुलमर्ग, पहलगाम, सोनमर्ग और अमरनाथ की पर्वत गुफा तथा जम्मू के निकट वैष्‍णो देवी मंदिर, पटनी टाप और लद्दाख के बौद्ध मठ राज्‍य के प्रमुख पर्यटन केंद्र हैं। 15 सितंबर को लद्दाख महोत्‍सव तथा जून सिंधु दर्शन प्रसिद्ध त्‍योहार हैं।


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