पिथौरागढ़ में जनवरी में औसत वर्षा 54 मिलीमीटर आंकी गई है, लेकिन इस बार अब तक जनवरी में मात्र 5.6 एमएम बारिश हुई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सूखे की स्थिति कितनी भयावह होने जा रही है। तुलनात्मक रूप से देखें तो जनवरी 2015 में पिथौरागढ़ में औसत से कहीं अधिक बारिश हुई थी। तब पूरे महीने 75.1 एमएम वर्षा रिकार्ड की गई और नमी का स्तर पूरे महीने काफी अच्छा रहा। मौसम विभाग के स्थानीय कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी बीत गई है, लेकिन बारिश की दृष्टि से यह महीना निराशाजनक रहा है। ऐसे में फसलों पर सूखे का असर पड़ेगा और पेयजल की किल्लत भी बढ़ने लगेगी। सब्जी तथा फलों का उत्पादन गिरने लगेगा। घाटी वाले इलाकों में फरवरी अंत से गेहूं की फसल पीली पड़ने लगती है। उसके पकने का समय नजदीक आ जाता है। ऐसे में यदि फरवरी में बारिश होती भी है तो उसका फसलों को कोई लाभ नहीं मिलेगा। मानसून सीजन में यदि कम बारिश हो तो जाड़ों में उसकी भरपाई हो जाती है वाला मिथक भी इस बार टूट गया है। इस बार मानसून सीजन में भी 30 से 40 फीसदी कम बारिश हुई थी। अब जाड़ों में तो यह 80 से 90 फीसदी की कमी पर आ गई है।
जनवरी में हालांकि बारिश नाममात्र की हुई, लेकिन ठंड में कोई कमी नहीं आई। इस बार न्यूनतम और अधिकतम तापमान में बड़ा अंतर देखने को मिला। 21 जनवरी को न्यूनतम तापमान सबसे कम 0.9 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया, जबकि वर्ष 2015 में सबसे कम तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं उतरा। यह तापमान 31 जनवरी 2015 को रिकार्ड किया गया था, जहां तक अधिकतम तापमान की बात है तो एक जनवरी 2016 को यह 20 डिग्री सेल्सियस रहा, जबकि वर्ष 2015 में 26 जनवरी को सबसे अधिक तापमान 18.6 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया था। मौसम विभाग के अनुसार मध्यम स्तर के बादल तो छाए रहेंगे, लेकिन आने वाले तीन-चार दिनों तक बारिश की कोई संभावना नहीं बन रही है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भी इस बार बर्फ कम पड़ी है। ऐसे में यह संभावना जताई जा रही है कि इस बार गर्मी का आगाज समय से पहले और प्रचंड रूप से होगा। तापमान बढ़ने पर जंगलों में आग के खतरे भी बढ़ जाएंगे।
पिथौरागढ़ में औसत से कहीं कम बारिश सूखे जैसी स्तिथि,
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