आज का इतिहास 30 दिसम्बर - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

आज का इतिहास 30 दिसम्बर

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1803- ब्रिटेन की ईस्ट इंडिया कंपनी ने दिल्ली, आगरा तथा भरूच पर नियंत्रण किया।

1873- अमेरिका के न्यूयार्क में माप तौल के लिए मेट्रोलॉजिकल सोसायटी का गठन।


1906- अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में हुई जिसने आगे चलकर पाकिस्तान की मांग की।

1922- रूस की राजधानी मास्को के बोलशोई थियेटर से सोवियत संघ के निर्माण की औपचारिक रूप से घोषणा की गयी।

1943- स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचंद्र बोस ने पोर्ट ब्लेयर में भारत की आजादी का झंडा लहराया।


1947- को रोमानिया के नरेश के त्यागपत्र के साथ ही इस देश में राजशाही शासन व्यवस्था का अंत हुआ और लोकतंत्र की स्थापना हुई। 1862 ईसवी तक यह देश उसमानी शासन के अधीन था। सन 1877 तक इस देश ने कठिन प्रयास करके स्वाधीनता प्राप्त की। 1913 से 1920 के बीच रोमानिया का क्षेत्रफल दोगुना हो गया। इसका कारण बालकान युद्ध के बाद रोमानिया की फ़्रांस और ब्रिटेन के साथ एकता थी जिसके फलस्वरुप हंग्री का कुछ भाग रोमानिया को मिल गया किंतु द्वितीय विश्व युद्ध में उक्त भाग लगभग पूर्ण रुप से रोमानिया के नियंत्रण से निकल गया। 

1947- को फिलिस्तीन के बलदुश्शैख़ गांव पर दो ज़ायोनी संगठनों के आतंकवादियों ने आक्रमण किया। इस पाश्विक आक्रमण में फ़िलिस्तीनियों के घरों को जला दिया गया और 60 फिलिस्तीनी मौत के घाट उतार दिए गये। इसी दिन एक आतंकवादी ज़ायोनी गुट एयरगॉन ने बमों से आक्रमण करके 17 फिलिस्तीनियों को शहीद और अन्य दसियों को घायल कर दिया।

1949- भारत ने चीन को मान्यता दी।

1971- जाने माने वैज्ञानिक विक्रम साराभाई का त्रिवेन्द्रम में निधन हुआ।


1975- अफ्रीकी देश मेडागास्कर में संविधान प्रभावी हुआ।


1979- पश्चिमी अफ्रीकी देश टोगो ने संविधान अंगीकार किया।


 2006- को इराक़ में ख़ूंख़ार तानाशाह सद्दाम हुसैन को अदालत के फ़ैसले के अनुसार फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। सद्दाम ने अनगिनत अपराध किए। वर्ष 1937 में बग़दाद के 140 किलोमीटर उत्तर में स्थित तिकरीत नगर के निकट सद्दाम का जन्म हुआ। सद्दाम 20 वर्ष की आयु में बास पार्टी में शामिल हो गये वर्ष 1968 में अहमद हसन अलबक्र के नेतृत्व में जब बास पार्टी ने इराक़ में विद्रोह करके अपनी सरकार बनाई तो सद्दाम ने उप राष्ट्रपति का पद हथिया लिया। वर्ष 1979 में उसने स्वयं को इराक़ का राष्ट्रपति घोषित कर दिया। इराक़ के इस रक्त पिपासु तानाशाह ने राष्ट्रपति पद के साथ ही बास पार्टी की अध्यक्षता, सेना की कमान तथा अन्य बहुत से महत्वपूर्ण पद अपने ही पास रखे।

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