पिछले दिनों दिल्ली की स्पेशल पुलिस ने जिन संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया था उनमें से एक अलकायदा का भारतीय मुखिया भी था। अब खूफिया एजेंसियों ने इस बात का खुलासा किया है कि संभल का रहने वाला ये आतंकी स्वतंत्रता सेनानियों के घर का बेटा है। गौरतलब है कि रविवार को पता चला था कि सनाउल हक नाम का गिरफ्तार संदिग्ध आतंकी असल में मौलाना आसिम उमर है। मौलाना आसिम उमर ही अलकायदा का भारतीय मुखिया है, जिसकी तलाश सुरक्षा एजेंसियों को लंबे वक्त से थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार सनाउल हक का परिवार उसकी गिरफ्तारी से बिल्कुल भी नहीं चौंका है। उसकी मां कहती हैं कि उनके लिए वो 6 साल पहले ही मर गया था जब एक एक स्थानीय जांच एजेंसी ने उन्हें बताया था कि वो एक आतंकी संगठन में शामिल हो गया है।
गौरतलब है कि 2009 में सनाउल हक के संभल स्थित दीपा सराय गांव पर कुछ इंटेलिजेंस एजेंट आए थे और उन्होंने परिवार वालों को बताया था कि उनका जो बेटा 14 साल से लापता है और जिसे सबने मरा हुआ समझ लिया था वो जिंदा है। इतना ही नहीं एजेंट ने उन्हें ये भी बताया कि वो सिर्फ जिंदा ही नहीं है बल्कि वो आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और अलकायदा में भी शामिल हो चुका है। सनाउल के 75 वर्षीय पिता इरफान-उल-हक ने अखबारों में विज्ञापन देकर यह घोषणा कर चुके हैं कि सनाउल उनका बेटा नहीं है। एक ऐसा परिवार जिसने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया था उसके लिए बेटे की गिरफ्तारी एक बेहद दुखदायी खबर थी। सनाउल के पिता बताते हैं कि वो किताबों का बहुत शौकीन था। लेकिन एक दिन अचानक उसने ये घोषणा कर दी कि वो मदरसे में कुरान और अरबी पढ़ेगा। युवा सनाउल जो संभल के कॉलेज में पढ़ रहा था उसने अपने मां-बाप को समझाने की कोशिश की कि अगर वो हाफिज बन जाता है तो उन सभी को जन्नत नसीब होगी। उसकी ये बात पिता को ज्यादा पसंद नहीं आई और उन्होंने उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन अपने फैसले पर टिका रहा। उसकी मंशा सबके सामने तब सामने आई जब उसने 1995 में एक दिन 1 लाख रुपए की मांग की। सनाउल के पिता के अनुसार सनाउल ने अपने परिवार से 1 लाख रुपए इसलिए मांगे थे क्योंकि वो मक्का जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहता था। उसके पिता ने बताया कि वो बेटे की बात से स्तब्ध रह गए थे। उन्होंने सनाउल से कहा कि वो कोई नौकरी ढूंढ कर परिवार को चलाने में उनकी मदद करे या फिर संभल के ही किसी कॉलेज में पढ़ाई करे। लेकिन उसने पिता की बात नहीं सुनी और जिद की कि वो भारत छोड़ना चाहता है। इस बात पर उसके चाचा ने उसकी पिटाई भी की। पूरा परिवार उसके लिए डर रहा था। लेकिन उसे किसी की नहीं मानी। सनाउल के परिवार का डर बिना बात नहीं था। कुछ दिन बाद ही सनाउल गायब हो गया। परिवार ने उसके गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला।
उसकी मां ने उसे मरा हुआ समझ लिया और परिवार उसे भूलकर आगे बढ़ गया। गायब होने के 14 साल बाद परिवार को उसकी खबर मिली लेकिन वो भी ऐसी जिसे सुनकर वो सब सिहर उठे। खबर आई कि वो आतंकी संगठन में शामिल हो चुका है। दिल्ली पुलिस की पूछताछ ने सब बातें साफ कर दीं कि कैसे एक छोटे से कस्बे का छात्र ओसामा बिन लादेन के वारिस का खासमखास बन गया। दो दशक पहले हरकत-उल-मुजाहिदीन वो संगठन था जिसने सनाउल को उसका गांव छोड़कर कश्मिर अधिकृत पाकिस्तान ले जाने में कामयाबी हासिल की।पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार सनाउल आतंकी संगठन के जरिए संभल से नियुक्त किए गए पहले जत्थे में पाकिस्तान जाने वाला स्थानीय लड़का था। यह नियुक्ति पाकिस्तान के आईएसआई की निगरानी में हुई थी।
सनाउल ने ये भी बताया कि उसने पीओके स्थित खैबर पख्तूनख्वा में ट्रेनिंग ली थी। वो हम से तहरीक-ए-तालिबान में स्थानांतरित किया गया था। बाद में वो अल-कायदा में शामिल हो गया। सनाउल ने जल्द ही जवाहिरी का विश्वास जीत लिया और दो साल पहले जब अलकायदा के मुखिया ने भारत का मुखिया चुनने के बारे में सोचा तो उसने सनाउल को ही इसके लिेए उपयुक्त समझा। इस नए पद के साथ सनाउल का नाम भी बदलकर मौलाना आसिम उमर हो गया। इसके बाद उसके परिवार को भी पता चल गया कि क्यों वो मक्का जाना था और अरबी क्यों पढ़ना चाहता था। आज सनाउल के परिवार और जांच एजेंसी दोनों को इस बात का यकीन है कि जवाहिरी की जहर उगलती वीडियो में जो हिंदी सबटाइटल चलते हैं उन्हें सनाउल ही अरबी से हिंदी में बदलता है ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा उससे प्रभावित होकर अलकायदा में शामिल हों जैसे वो हुआ।
उसकी मां ने उसे मरा हुआ समझ लिया और परिवार उसे भूलकर आगे बढ़ गया। गायब होने के 14 साल बाद परिवार को उसकी खबर मिली लेकिन वो भी ऐसी जिसे सुनकर वो सब सिहर उठे। खबर आई कि वो आतंकी संगठन में शामिल हो चुका है। दिल्ली पुलिस की पूछताछ ने सब बातें साफ कर दीं कि कैसे एक छोटे से कस्बे का छात्र ओसामा बिन लादेन के वारिस का खासमखास बन गया। दो दशक पहले हरकत-उल-मुजाहिदीन वो संगठन था जिसने सनाउल को उसका गांव छोड़कर कश्मिर अधिकृत पाकिस्तान ले जाने में कामयाबी हासिल की।पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार सनाउल आतंकी संगठन के जरिए संभल से नियुक्त किए गए पहले जत्थे में पाकिस्तान जाने वाला स्थानीय लड़का था। यह नियुक्ति पाकिस्तान के आईएसआई की निगरानी में हुई थी।
सनाउल ने ये भी बताया कि उसने पीओके स्थित खैबर पख्तूनख्वा में ट्रेनिंग ली थी। वो हम से तहरीक-ए-तालिबान में स्थानांतरित किया गया था। बाद में वो अल-कायदा में शामिल हो गया। सनाउल ने जल्द ही जवाहिरी का विश्वास जीत लिया और दो साल पहले जब अलकायदा के मुखिया ने भारत का मुखिया चुनने के बारे में सोचा तो उसने सनाउल को ही इसके लिेए उपयुक्त समझा। इस नए पद के साथ सनाउल का नाम भी बदलकर मौलाना आसिम उमर हो गया। इसके बाद उसके परिवार को भी पता चल गया कि क्यों वो मक्का जाना था और अरबी क्यों पढ़ना चाहता था। आज सनाउल के परिवार और जांच एजेंसी दोनों को इस बात का यकीन है कि जवाहिरी की जहर उगलती वीडियो में जो हिंदी सबटाइटल चलते हैं उन्हें सनाउल ही अरबी से हिंदी में बदलता है ताकि ज्यादा से ज्यादा युवा उससे प्रभावित होकर अलकायदा में शामिल हों जैसे वो हुआ।