जेल में बंद इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के कमांडर यासीन भटकल से पूछताछ से मिले सुराग के आधार भारत में पहली बार अल-कायदा गैंग का भंडाफोड़ किया गया है। हालांकि, सुराग मिलने के बाद इस कार्रवाई को अंजाम देने में 27 महीने का वक्त लगा। अल-कायदा के खिलाफ अभियान का दायरा चार राज्यों में फैला हुआ है। दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अल-कायदा से जुड़े तीसरे आतंकवादी और फाइनेंसर जफर मसूद को पकड़ा है। दिल्ली से दबोचा गया अल कायदा भारत का चीफ सनाउल हक उर्फ मौलाना आसिम उमर उत्तर प्रदेश के संभल का रहने वाला है और वह स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से ताल्लुक रखता है। एक रिपोर्ट के अनुसार अल कायदा ने सनाउल को भारतीय उपमहाद्वीप का मुखिया घोषित किया था। उसे पूरे उपमहाद्वीप में अल कायदा के नेटवर्क को फैलाने की खतरनाक जिम्मेदारी दी गई थी।
अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट समाचार के मुताबिक खुफिया एजेंट 2009 में पहली बार संभल गए थे और उन्होंने सनाउल के परिवार को बताया था कि उनका बेटा जिंदा है। उन्होंने बताया कि सनाउल अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहा है। इसके बाद सनाउल के पिता इरफान ने अखबारों में इश्तिहार देकर घोषणा कर दी थी कि सनाउल से उनका कोई लेना देना नहीं है। सनाउल के पिता ने बताया कि 1995 में उसने मक्का जाकर पढ़ाई करने के लिए एक लाख रुपये मांगे थे। इस बात को लेकर घर में काफी बवाल हुआ था। वह कहता था कि कुरान और अरबी भाषा पढ़कर वह हाफिज बनना चाहता है। सनाउल की मां ने बताया कि हमारे लिए तो वह छह साल पहले ही मर गया था जब खुफिया एजेंटों ने बताया कि वह आतंकियों के साथ काम करता है। गौरतलब है कि सनाउल के बारे में मोहम्मद आसिफ से पूछताछ के बाद पता चला और उसकी पहचान हुई। जेल में बंद इंडियन मुजाहिदीन के कमांडर यासीन भटकल से पूछताछ के आधार पर भारत में पहली बार अल कायदा की गैंग का पर्दाफाश किया गया है। सनाउल संभल जिले के दीप सराय गांव का रहने वाला साधारण परिवार से है। अल कायदा के भारतीय चीफ की जिम्मेदारी उसे अल जवाहिरी ने दी थी। उसने पाकिस्तान के वजीरिस्तान में ट्रेनिंग ली थी।