1484-महान कवि एवं संत सूरदास का जन्म।
1625- हालैंड और इंग्लैंड के बीच सैन्य संधि पर हस्ताक्षर।
1742- स्वीडन के प्रसिद्ध रसायनशास्त्री व आधुनिक रसायनशास्त्र के संस्थापकों में से एक कार्ल विलहेल्म शील का स्टॉकहोम में जन्म हुआ। परिवार की विषम आर्थिक स्थिति के बावजूद वे बड़ी लगन से ज्ञान की प्राप्ति में लगे रहे। शील जिस युग में पैदा हुए वह रासायन शास्त्र की उन्नति का काल था। पांच वर्षों के गहन अध्ययन व प्रयास से वह वर्ष 1772 में क्लोरिन गैस का पता लगाने में सफल हुए। क्लोरिन की महत्वपूर्ण रासायनिक तत्वों में गणना होती है और उद्योग में इसकी बहुत अधिक उपयोगिता है।
1758- भारत में मदरास का तेरह महीनों तक चलने वाला युद्ध आरंभ हुआ। भारत में ब्रिटेन व फ़्रांस के बीच होने वाला ये सबसे खतरनाक युद्ध था। फ़्रांस ने तीन हज़ार सैनिकों से मद्रास के तट पर आक्रमण किया जो 22 हजार ब्रिटिश सैनिकों के क़ब्ज़े में था। इन दो साम्राज्यवादी शक्तियों के बीच होने वाले युद्ध में रसद न मिलने के कारण फ़्रांस के सैनिकों ने जनवरी 1761 ईसवी में अंग्रेज़ों के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया।
1762- ब्रिटिश संसद ने पेरिस संधि को स्वीकार किया।
1825- सिपाही विद्रोह के एक प्रमुख नायक राव तुलाराम का हरियाणा के रेवाड़ी जिले में जन्म।
1898- बेलूर मठ की स्थापना।
1910- फ्रांसीसी सेनाओं ने मोरक्को के बंदरगाह शहर अगादीर पर कब्जा किया।
1917- प्रथम विश्व विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के सैनिकों ने उसमानी शासन के सैनिकों को फिलिस्तीन में पराजित किया। और इस भूमि का अतिग्रहण कर लिया। अंग्रेज़ों ने अगले वर्ष के अक्तूबर महीने में दोनों पक्षों के बीच युद्ध रोकने और शांति के समझौते पर हस्ताक्षर होने तक मध्यपूर्व के अधिकांश क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। फ़िलिस्तीन पर ब्रिटिश सैनिकों का अधिकार इस लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि यह तत्कालीन ब्रिटिश विदेश मंत्री बेलफ़ोर के घोषणा पत्र का क्रियानवयन समझा गया जो एक महीने पूर्व जारी हुआ था।
1924- हालैंड और हंगरी के बीच व्यापार संधि पर हस्ताक्षर।
1931- जापानी सेना ने चीन के जेहोल प्रांत पर हमला किया।
1941- चीन ने जापान,जर्मनी और इटली के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1946- संविधान सभा की पहली बैठक नयी दिल्ली के कांस्टीट्यूनल हॉल में हुई।
1987- जार्डन नदी के पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रों और ग़ज़्ज़ा पट्टी में ज़ायोनी अतिग्रहणकारियों के विरुद्ध फ़िलिस्तीनी जनता का संघर्ष आरंभ हुआ। इंतेफ़ाज़ा के नाम से प्रख्यात यह आंदोलन ज़ायोनी शासन द्वारा फ़िलिस्तीनियों के दमन और फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों के अतिग्रहण में वृद्धि के पश्चात आरंभ हुआ। यह ऐसी स्थिति में था कि जब फिलिस्तीनी जनता अपने अधिकारों की वापसी हेतु अरब देशों तथा अन्य फ़िलिस्तीनी संगठनों के प्रयासों की ओर से निराश हो चुकी थी
1625- हालैंड और इंग्लैंड के बीच सैन्य संधि पर हस्ताक्षर।
1742- स्वीडन के प्रसिद्ध रसायनशास्त्री व आधुनिक रसायनशास्त्र के संस्थापकों में से एक कार्ल विलहेल्म शील का स्टॉकहोम में जन्म हुआ। परिवार की विषम आर्थिक स्थिति के बावजूद वे बड़ी लगन से ज्ञान की प्राप्ति में लगे रहे। शील जिस युग में पैदा हुए वह रासायन शास्त्र की उन्नति का काल था। पांच वर्षों के गहन अध्ययन व प्रयास से वह वर्ष 1772 में क्लोरिन गैस का पता लगाने में सफल हुए। क्लोरिन की महत्वपूर्ण रासायनिक तत्वों में गणना होती है और उद्योग में इसकी बहुत अधिक उपयोगिता है।
1762- ब्रिटिश संसद ने पेरिस संधि को स्वीकार किया।
1825- सिपाही विद्रोह के एक प्रमुख नायक राव तुलाराम का हरियाणा के रेवाड़ी जिले में जन्म।
1898- बेलूर मठ की स्थापना।
1910- फ्रांसीसी सेनाओं ने मोरक्को के बंदरगाह शहर अगादीर पर कब्जा किया।
1917- प्रथम विश्व विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन के सैनिकों ने उसमानी शासन के सैनिकों को फिलिस्तीन में पराजित किया। और इस भूमि का अतिग्रहण कर लिया। अंग्रेज़ों ने अगले वर्ष के अक्तूबर महीने में दोनों पक्षों के बीच युद्ध रोकने और शांति के समझौते पर हस्ताक्षर होने तक मध्यपूर्व के अधिकांश क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। फ़िलिस्तीन पर ब्रिटिश सैनिकों का अधिकार इस लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि यह तत्कालीन ब्रिटिश विदेश मंत्री बेलफ़ोर के घोषणा पत्र का क्रियानवयन समझा गया जो एक महीने पूर्व जारी हुआ था।
1924- हालैंड और हंगरी के बीच व्यापार संधि पर हस्ताक्षर।
1931- जापानी सेना ने चीन के जेहोल प्रांत पर हमला किया।
1941- चीन ने जापान,जर्मनी और इटली के खिलाफ युद्ध की घोषणा की।
1946- संविधान सभा की पहली बैठक नयी दिल्ली के कांस्टीट्यूनल हॉल में हुई।
1987- जार्डन नदी के पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्रों और ग़ज़्ज़ा पट्टी में ज़ायोनी अतिग्रहणकारियों के विरुद्ध फ़िलिस्तीनी जनता का संघर्ष आरंभ हुआ। इंतेफ़ाज़ा के नाम से प्रख्यात यह आंदोलन ज़ायोनी शासन द्वारा फ़िलिस्तीनियों के दमन और फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों के अतिग्रहण में वृद्धि के पश्चात आरंभ हुआ। यह ऐसी स्थिति में था कि जब फिलिस्तीनी जनता अपने अधिकारों की वापसी हेतु अरब देशों तथा अन्य फ़िलिस्तीनी संगठनों के प्रयासों की ओर से निराश हो चुकी थी