कर्नाटक राज्य की स्थापना 1 नवंबर, - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

कर्नाटक राज्य की स्थापना 1 नवंबर,

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दक्षिण भारत में स्थित कर्नाटक भारत के बड़े राज्यों में से एक है। इस राज्य में अनेक इन्जीनियरिंग (अभियांत्रिकी) और मेडिकल (आयुर्विज्ञान) कॉलेज हैं। कर्नाटक के उत्तर में महाराष्ट्र, दक्षिण में केरल, दक्षिण-पूर्व में तमिलनाडु तथा पूर्व में आंध्र प्रदेश राज्य हैं। इसके पश्चिम में अरब सागर है। कन्नड़ यहाँ की मुख्य भाषा है। तुळु और कोंकणी भाषा भी बोली जाती हैं।

इतिहास

कर्नाटक राज्य का लगभग 2,000 वर्ष का लिखित इतिहास उपलब्ध है। कर्नाटक पर नंदमौर्य और सातवाहन नामक राजाओं का शासन रहा। चौथी शताब्दी के मध्य से इसी क्षेत्र के राजवंशों बनवासी के कदंब तथा गंगों का अधिकार रहा। श्रवणबेलगोला में गोमतेश्वर की विशाल प्रतिमा गंग वंश के मंत्री चामुंडराया ने बनवायी थी, जो विश्व प्रसिद्ध है। बादामी के चालुक्य वंश (500-735 ई. तक) ने नर्मदा से कावेरी तक के विशाल भूभाग पर राज किया और पुलिकेशी द्वितीय (609-642 ई.) ने कन्नौज के शाक्तिशाली राजा हर्षवर्धन को हराया था। इस राजवंश ने बादामी, ऐहोल और पट्टादकल में अनेक सुंदर कलात्मक तथा कालजयी स्मारकों का निर्माण कराया था। इसमें कुछ मंदिर चट्टानों को तराशकर बनाए गए है। एहोल के मंदिर में वास्तुकला का विकास हुआ।चालुक्यों के स्थान पर बाद में मलखेड़ के राष्ट्रकूटों ने (753-973 ई.) कन्नौज के वैभवशाली समय में भी वसूल किया। इसी समय कन्नड़ साहित्य का विकास प्रारम्भ हुआ। भारत के प्रमुख जैन विद्वान यहाँ के राजाओं के दरबार की शोभा थे। कल्याण के चालुक्य राजा (973-1189 ई.) और उनके बाद हलेबिड के होयसालशासकों ने कलात्मक मंदिरों का निर्माण करवाया। ललित कलाओं और साहित्य को बढावा दिया। विजयनगर साम्राज्य (1336-1646 ई.) ने इन्हीं परपंराओं का पालन करते हुए कलाधर्मसंस्कृत, कन्नड़, तेलुगु और तमिल साहित्य को बढावा दिया। उनके समय में व्यापार का भी बहुत विस्तार हुआ। अजीमुद्दौला को 1801 ई. में गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली (1798-1805 ई.) द्वारा कर्नाटक का नाम मात्र के लिए नवाब बनाया गया और उसे पेंशन दी।


बहमनी सुल्तानों और बीजापुर के आदिलशाहों ने सारासानी शैली में विशाल भवनों का निर्माण कराया। उर्दू, फ़ारसी के साहित्य की रचना इसी समय में हुई। इसके बाद पुर्तग़ाली अपने साथ नई फ़सलें जैसे- तंबाकूमक्का, मिर्च, मूँगफलीआलू आदि लेकर आये और इनकी खेती प्रारम्भ हुई।पेशवा (1818) और टीपू सुल्तान (1799) की पराजय के बाद कर्नाटक ब्रिटिश शासन के अधीन हो गया। 19वीं शताब्दी में ईसाई मिशनरियों के कारण अंग्रेज़ी की शिक्षा, परिवहन, संचार और उद्योग में क्रान्तिकारी बदलाव आया और नगरों में मध्यम वर्ग का पनपना प्रारम्भ हुआ।
मैसूर राजवंश ने विकास की पहल की और औद्योगिकीकरण तथा सांस्कृतिक वृद्धि के लिए इन्हें अपनाया। आज़ादी की लड़ाई के समय कर्नाटक में एकता का अभियान चलाया गया। स्वतंत्रता मिलने पर 1953 में मैसूर राज्य का निर्माण हुआ, जिसमें कन्नड बहुल क्षेत्रों को साथ लेकर मैसूर राज्य का निर्माण 1956 में किया गया और इसे 1973 में कर्नाटक का नाम दिया गया। विजयनगर साम्राज्य के विघटन के दौरान अनेक हिन्दू जागीरदारों ने अपने स्वतन्त्र राज्य क़ायम कर लिये थे। इसी प्रकार का एक छोटा राज्य इक्केरी (बेदनूर) भी था। जो कि कर्नाटक के अंतर्गत आता है।

स्थापना दिवस

कर्नाटक राज्य की स्थापना 1 नवंबर, 1956 को हुई थी। इसलिये कर्नाटक का स्थापना दिवस प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर को मनाया जाता है।

अर्थव्यवस्था

कर्नाटक की लगभग 70 प्रतिशत जनता कृषि कार्य में लगी है। तटीय मैदान में सघन खेती होती है, जहाँ प्रमुख खाद्यान्न चावल और प्रमुख नकदी गन्ना है। अन्य प्रमुख फ़सलों में ज्वार और रागी शामिल हैं। अन्य नकदी फ़सलों में काजू, इलायची, सुपारी और अंगूर प्रमुख हैं। पश्चिमी घाट की ठंडी ढलानों पर कॉफी औरचाय के बागान हैं। पूर्वी क्षेत्र में सिंचाई के कारण गन्ने और अल्प मात्रा में रबड़ केले व संतरे जैसे फलों की खेती संभव हो सकी है। पश्चिमोत्तर में मिलने वाली काली मिट्टी में कपासतिलहन और मूंगफली की फ़सलें उगाई जाती है।
पश्चिम में मलनाड क्षेत्र के जंगलों में सागौन, चंदन व बांस मिलते हैं और अन्य वनोपजों में चर्मरंजक गोद लाख (गोंद के जैसा पदार्थ, जिसका उपयोग वार्विश के निर्माण में होता है) शामिल हैं। अन्य वृक्षों में यूकलिप्टस और शीशम आते हैं। मैसूर नगर में चंदन के तेल का प्रसंस्करण होता है और यह राज्य की अग्रणी निर्यात सामग्री है।

उद्योग

राज्य के खनिज संसाधन, भद्रावती में लौह और इस्पात उद्योग और बंगलोर में भारी इंजीनियरिंग कारख़ाने को आधार प्रदान करते है। राज्य के अन्य उद्योगों में सूती वस्त्र की मिलें चीनी प्रसंस्करण, वस्त्र निर्माण, खाद्य सामग्री, बिजली की मशीनरी उर्वरक, सीमेंट और काग़ज़ उद्योग शामिल हैं। मैसूर शहर बंगलोर दोनों में प्राचीन काल से स्थापित रेशम उद्योग है, जहाँ भारत के मलबेरी रेशम का अधिकांश हिस्सा उत्पादित होता है। जोग जलप्रपात के पास स्थित शरावती परियोजना कर्नाटक के उद्योगों को बिजली प्रदान करने वाले अनेक जलविद्युत संयंत्रों में सबसे बड़ी है।

पर्यटन स्थल



‘एक राज्य - कई दुनियां’ के रूप में जाना जाने वाला कर्नाटक राज्य दक्षिण भारत का प्रमुख पर्यटन केंद्र बनता जा रहा है।

  1. सूचना प्रौद्योगिकी और जैव प्रौद्योगिकी के केंद्र कनार्टक में हाल ही में बहुत से पर्यटक आते हैं।
  2. 2005-06 की तुलना में 2006-07 में पर्यटकों की संख्या में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह राज्य अपने स्मारकों की विरासत और प्राकृतिक पर्यटन के रूप में प्रसिद्ध है।
  3. 'स्वर्ण रथ', जिसका नाम दक्षिण भारत की विश्व धरोहर 'हंपी' के प्रस्तर रथ के नाम पर रखा गया है, प्राचीन धरोहरों, भव्य महलों, वन्यजीवन और सुनहरे समुद्र-तटों के बीच भ्रमण करेगा। मैसूर में श्रीरंगपटन, मैसूर के महल, नगरहोल राष्ट्रीय पार्क (कबीनी) की सैर कराते हुए 11वीं शताब्दी के 'होयसाला स्थापत्य' और विश्व धरोहर 'श्रवणबेल गोला, बेलूर, हलेबिड, हंपी' से होते हुए बदामी,पट्टदकल व ऐहोल की त्रिकोणीय धरोहर से होते हुए गोवा के सुनहरे समुद्र-तटों का अवलोकन कराते हुए अंत में यह बैंगलोर वापस आएगा।
  4. मेगुती स्थान कर्नाटक राज्य के बीजापुर ज़िले में स्थित है। इस स्थान पर 634 ई. में चालुक्य वास्तुशैली में निर्मित एक महत्त्वपूर्णजैन मंदिर है।
कर्नाटक में धरोहर वाले महल, घने वन और पवित्र स्थलों की भरमार है। ‘होम स्टे’ नामक नई अवधारणा ने राज्य में पर्यटन के नए आयाम जोड़ दिए हैं। हंपी और पट्टकल को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर दिया गया है।

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