'24 अक्टूबर' विश्व पोलियो दिवस - Study Search Point

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'24 अक्टूबर' विश्व पोलियो दिवस

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विश्व पोलियो दिवस प्रत्येक वर्ष '24 अक्टूबर' को मनाया जाता है। इस दिवस को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्यपोलियो जैसी बीमारी के विषय में लोगों में जागरूकता फैलाना है। पोलियो एक संक्रामक बीमारी है, जो पूरे शरीर को प्रभावित करती है। इस बीमारी का शिकार अधिकांशत: बच्चे होते हैं। पोलियो को 'पोलियोमाइलाइटिस' या 'शिशु अंगघात' भी कहा जाता है। यह ऐसी बीमारी है, जिससे कई राष्ट्र बुरी तरह से प्रभावित हो चुके हैं। हालांकि विश्व के अधिकतर देशों से पोलियो का खात्मा पूरी तरह से हो चुका है, लेकिन अभी भी विश्व के कई देशों से यह बीमारी जड़ से खत्म नहीं हो पायी है।

 ➤ पोलियोमाइलाइटिस अथवा पोलियो एक संक्रामक रोग है, जो वायरस के द्वारा फैलता है। यह लक्षण सामान्य से तीव्र हो सकते हैं और इसमें आम तौर पर टांगों में लकवा हो जाता है। पोलियो का वायरस मुँह के रास्ते शरीर में प्रविष्ठ‍ होता है और आंतों को प्रभावित करता है। वायरय के शरीर में प्रवेश करने के कुछ ही घंटों बाद इससे पक्षाघात तक हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि यह लक्षण तीन से पाँच दिनों में प्रदर्शित हों।

लक्षण

पोलियो की बीमारी में मरीज़ की स्थिति वायरस की तीव्रता पर निर्भर करती है। अधिकतर स्थितियों में पोलियो के लक्षण 'फ्लू' जैसै ही होते हैं, लेकिन इसके कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार होते हैं : -
☞ पेट में दर्द होना
☞ उल्टियाँ आना
☞ गले में दर्द
☞ सिर में तेज़ दर्द
☞ तेज़ बुखार
☞ खाना निगलने में कठिनाई होना
☞ जटिल स्‍‍थितियों में हृदय की मांस-पेशियों में सूजन आ जाती है।
 ➤ प्रति वर्ष '24 अक्तूबर' को 'विश्व पोलियो दिवस' के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी महीने में जोनास सॉक का जन्म हुआ था। जोनास सॉक वर्ष 1955 में पहली पोलियो वैक्सीन का आविष्कार करने वाली टीम के प्रमुख थे। पोलियो रोधक दवा की कुछ बूंदे बच्चों को पिलाई जाती हैं। कई देशों में पोलियो से निजात दिलाने के लिए यह वैक्सीन बहुत महत्त्वपूर्ण साबित हुई है।
➲ पोलियो जैसी ख़तरनाक बीमारी को पुन: प्रकट होने से रोकने के लिए हर साल भारत सरकार दो 'राष्ट्रीय प्रतिरक्षण दिवस' आयोजित करती है। हर बार क़रीब 170 मिलियन बच्चों को प्रतिरक्षण दिया जाता है। स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी घर-घर जाकर पता लगाते हैं कि क्या बच्चों को खुराक दी जा चुकी है। पोलियो के प्रति जागरुकता फैलाना भी काफ़ी महत्वपूर्ण है और यह वह अभियान है, जिसे जाने-माने लोगों द्वारा सक्रियतापूर्वक प्रचारित किया गया है, इन लोगों में बॉलीवुड अभिनेताअमिताभ बच्चन भी शामिल हैं, जिनका कथन 'दो बूँद जिन्दगी की' काफ़ी प्रसिद्धि पा चुका है।

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