हिंदी साहित्य के नई कविता के दौर के प्रसिद्ध कवि : विजयदेव साही - Study Search Point

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हिंदी साहित्य के नई कविता के दौर के प्रसिद्ध कवि : विजयदेव साही

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विजयदेव नारायण साही (Vijaydev Narayan Sahi,  7 अक्तूबर1924 -  5 नवम्बर1982हिंदी साहित्य के नई कविता के दौर के प्रसिद्ध कवि, एवं आलोचक थे। वे तार सप्तक के कवियों में शामिल थे। जायसी पर दिए गए इनके व्याख्यायान एवं नई कविता संबंधी आलेख इनकी प्रखर आलोचकीय क्षमता के परिचायक हैं। विजयदेव नारायण साही का जन्म 7 अक्तूबर1924 को काशी में हुआ। प्रयाग से अंग्रेज़ी में एम.ए. करके तीन वर्ष काशी विद्यापीठ और फिर प्रयाग विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे। मज़दूर संगठनों से सम्बद्ध रहे तथा कई बार जेल गए। साही की कविताओं में मर्मस्पर्शी व्यंग्य हैं। 'मछली घर' तथा 'साखी' इनकी काव्य-कृतियाँ हैं। ये 'तीसरे सप्तक के चर्चित प्रयोगवादी कवि हैं। इन्होंने निबंध तथा समालोचना भी लिखी है। प्रवर समीक्षक, बौद्धिक, निबंधकार, और जायसी काव्य के विशेषज्ञ विद्वान थे। इनके अकाल निधन (5 नवम्बर1982) से हिन्दी नई कविता की बड़ी हानि हुई।
'आलोचना' और 'नई कविता' नामक दोनों पत्रिकाओं के संपादक मंडल में शामिल रहे।

प्रमुख कृतियाँ

कविता संग्रह
  • तीसरा सप्तक (छह अन्य कवियों के साथ)
  • मछलीघर
  • साखी
  • संवाद तुमसे
  • आवाज़ हमारी जाएगी
निबंध संग्रह
  • जायसी
  • साहित्य और साहित्यकार का दायित्व
  • वर्धमान और पतनशील
  • छठवाँ दशक
  • साहित्य क्यों
  • लोकतंत्र की कसौटियाँ
  • वेस्टर्निज्म एंड कल्चरल चेंज
नाटक
  • कुर्सी का उम्मीदवार
  • कोठी का दान
  • एक निराश आदमी
  • सुभद्र
  • धुले हुए रंग
  • बेबी का कुत्ता
  • रामचरन मिस्त्री का बेटा
अनुवाद
  • गार्गांतुआ (फ्रांसीसी उपन्यास)
  • सोसियोलोजिकल क्रिटिसिजम 
(ग्वेसटेव रुडलर - फ्रेंच से अंग्रेज़ी में)
संपादन
  • आलोचना
  • नई कविता

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