संविधान (चवालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1978 से उद्धरण
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ-
(1)
(1)
(2) यह उस तारीख को प्रवृत्त होगा जो केंद्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे और इस अधिनियम के विभिन्न उपबंधों के लिए वि तारीखें नियत की जा सकेंगी।
3. अनुच्छेद 22 का संशोधन- संविधान के अनुच्छेद 22 में,-
(क) खंड (4) के स्थान पर निम्नलिखित खंड रखा जाएगा, अर्थात् :-
'(4) निवारक निरोध का उपबंध करने वाली कोई विधि किसी व्यक्ति का दो मास से अधिक की अवधि के लिए निरुद्ध किया जाना प्राधिकृत नही करेगी जब तक कि समुचित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति की सिफारिश के अनुसार गठित सलाहकार बोर्ड ने उक्त दो मास की अवधि की समाप्ति से पहले यह प्रतिवेदन नहीं दिया है कि उसकी राय में ऐसे निरोध के लिए पर्याप्त कारण है :
परंतु सलाहकार बोर्ड एक अध्यक्ष और कम से कम दो अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा और अध्यक्ष समुचित उच्च न्यायालय का सेवारत न्यायाधीश होगा और अन्य सदस्य किसी उच्च न्यायालय के सेवारत या सेवानिवृत्त न्यायाधीश होंगे :
परंतु यह और कि इस खंह की कोई बात किसी व्यक्ति का उस अधिकतम अवधि के लिए निरुद्ध किया जाना प्राधिकृत नहीं करेगी जो खंड (7) के उपखंड (क) के अधीन संसद द्वारा बनाई गई विधि द्वारा विहित की जाए।
स्पष्टीकरण- इस खंड में, 'समुचित उच्च न्यायालय' से अभिप्रेत है-
(1) भारत सरकार या उस सरकार के अधीनस्थ किसी अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा किए गए निरोध आदेश के अनुसरण में निरुद्ध व्यक्ति की दशा में, दिल्ली संघ राज्यक्षेत्र के लिए उच्च न्यायालय;
(2) (संघ राज्यक्षेत्र से भिन्न) किसी राज्य सरकार द्वारा किए गए निरोध आदेश के अनुसरण में निरुद्ध व्यक्ति की दशा में, उस राज्य के लिए उच्च न्यायालय; और
(3) किसी संघ राज्यक्षेत्र के प्रशासक या ऐसे प्रशासक के अधीनस्थ किसी अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा किए गए निरोध आदेश के अनुसरण में निरुद्ध व्यक्ति की दशा में वह उच्च न्यायालय जो संसद द्वारा इस निमित्त बनाई गई विधि द्वारा या उसके अधीन विनिर्दिष्ट किया जाए।';
(ख) खंड (7) में,-
(1) उपखंड (क) का लोप किया जाएगा;
(2) उपखंड (ख) को उपखंड (क) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया जाएगा; और
(3) उपखंड (ग) को उपखंड (ख) के रूप में पुनःअक्षरांकित किया जाएगा और इस प्रकार पुनःअक्षरांकित उपखंड में 'खंड (4) के उपखंड (क)' शब्दों, कोष्ठकों, अंक और अक्षर के स्थान पर 'खंड (4)' शब्द, कोष्ठक और अंक रखे जाएँगे।
संविधान (छियासीवाँ संशोधन) अधिनियम, 2002
12 दिसम्बर, 2002
12 दिसम्बर, 2002
भारत के संविधान का और संशोधन करने के लिए अधिनियम
भारत गणराज्य के तिरपनवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित हो :
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ - (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम संविधान (छियासीवाँ संशोधन) अधिनियम, 2002 है।
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ - (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम संविधान (छियासीवाँ संशोधन) अधिनियम, 2002 है।
(2) यह उस तारीख। को प्रवृत्त होगा जो केंद्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियत करे।
2. नए अनुच्छेद 21क का अंतःस्थापन-- संविधान के अनुच्छेद 21 के पश्चात्, निम्नलिखित अनुच्छेद अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात :
2. नए अनुच्छेद 21क का अंतःस्थापन-- संविधान के अनुच्छेद 21 के पश्चात्, निम्नलिखित अनुच्छेद अंतःस्थापित किया जाएगा, अर्थात :
''21क. शिक्षा का अधिकार - राज्य, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले सभी बालकों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने का ऐसी रीति में, जो राज्य विधि द्वारा, अवधारित करे, उपबंध करेगा ।''
3. अनुच्छेद 45 के स्थान पर नए अनुच्छेद का प्रतिस्थापन - संविधान के अनुच्छेद 45 के स्थान पर, निम्नलिखित अनुच्छेद रखा जाएगा, अर्थात् :
''45. छह वर्ष से कम आयु के बालकों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख और शिक्षा का उपबंध - राज्य, सभी बालकों के लिए छह वर्ष की आयु पूरी करने तक, प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा देने के लिए उपबंध करने का प्रयास करेगा।''
''45. छह वर्ष से कम आयु के बालकों के लिए प्रारंभिक बाल्यावस्था देखरेख और शिक्षा का उपबंध - राज्य, सभी बालकों के लिए छह वर्ष की आयु पूरी करने तक, प्रारंभिक बाल्यावस्था देख-रेख और शिक्षा देने के लिए उपबंध करने का प्रयास करेगा।''
4. अनुच्छेद 51क का संशोधन -संविधान के अनुच्छेद 51क में, खंड (ञ) के पश्चात्, निम्नलिखित खंड जोड़ा जाएगा, अर्थात् :
''(ट) यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे।''
''(ट) यदि माता-पिता या संरक्षक है, छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु वाले अपने, यथास्थिति, बालक या प्रतिपाल्य के लिए शिक्षा के अवसर प्रदान करे।''
* तारीख अधिसूचित की जानी है।