स्वास्थ्य : अनार के गुण, - Study Search Point

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स्वास्थ्य : अनार के गुण,

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अनार (वानस्पतिक नाम-प्यूनिका ग्रेनेटम) एक फल हैं, यह लाल रंग का होता है। इसमें सैकड़ों लाल रंग के छोटे पर रसीले दाने होते हैं। अनार दुनिया के गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से यह एक महत्त्वपूर्ण फल है। भारत में अनार के पेड़ अधिकतर महाराष्ट्रराजस्थानउत्तर प्रदेशहरियाणाआंध्र प्रदेश,कर्नाटकतमिलनाडु और गुजरात में पाए जाते हैं। सबसे पहले अनार के बारे में रोमन भाषियों ने पता लगाया था। रोम के निवासी अनार को ज्यादा बीज वाला सेबकहते थे। भारत में अनार को कई नामों में जाना जाता है। बांग्ला भाषा में अनार को बेदाना कहते हैं, हिन्दी में अनार, संस्कृत में दाडिम और तमिल में मादुलई कहा जाता है। अनार के पेड़ सुंदर व छोटे आकार के होते हैं। इस पेड़ पर फल आने से पहले लाल रंग का बडा फूल लगता है, जो हरी पत्तियों के साथ बहुत ही खूबसूरत दिखता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि यह फल लगभग 300 साल पुराना है। यहूदी धर्म में अनार को जननक्षमता का सूचक माना जाता है, जबकि भारत में अनार अपने स्वास्थ्य सम्ब्न्धी गुण के कारण लोकप्रिय है।
औषधीय गुण
अनार में प्रचुर मात्रा में लाभदायक प्रोटीनकार्बोहाइड्रेटफाइबरविटामिन और खनिज पाए जाते हैं। 100 ग्राम अनार खाने पर हमारे शरीर को लगभग 65 किलोकैलोरी ऊर्जा मिलती है। अनेक आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में भी अनार का प्रयोग किया जाता है। इसके बीजों से निकले तेल का प्रयोग औद्योगिक क्षेत्र में किया जाता है। अनार के पेड़ की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। आमतौर पर इसकी लकड़ी का प्रयोग टहलते समय काम में लाई जाने वाली छड़ी बनाने में किया जाता है। इस पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अनार रक्तसंचार वाली बीमारियों से लड़ता है, उच्च रक्तचाप को घटाता है, सूजन और जलन में राहत पहुँचाता है, गठिया और वात रोग की संभावना घटाता और जोड़ों में दर्द कम करता है, कैंसर की रोकथाम में सहायक बनता है, शरीर के बुढ़ाने की गति धीमी करता है और महिलाओं में मातृत्व की संभावना और पुरुषों में पुंसत्व बढ़ाता है। अनार को त्वचा के कैंसर, स्तन-कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि के कैंसर और पेट में अल्सर की संभावना घटाने की दृष्टि से भी विशेष उपयोगी पाया गया है। अमरीकी डॉक्टरों की एक पत्रिका ने हाल ही में लिखा कि अनार का रस वृद्धावस्था में सठिया जाने के अल्सहाइमर रोग की संभावना भी घटाता है।

क्या आप जानते हैं?
1. नाक से खून आना या नकसीर : -
*अनार के रस को नाक में डालने से नाक से खून आना बंद हो जाता है।
*अनार के फूल और दूर्वा (दूब नामक घास) के मूल रस को निकालकर नाक में डालने और तालु पर लगाने से गर्मी के कारण नाक से निकलने वाले खून का बहाव तत्काल बंद हो जाता है।
*100 ग्राम अनार की हरी पत्तियां, 50 ग्राम गेंदे की पत्तियां, 100 ग्राम हरा धनिया और 100 ग्राम हरी दूब (घास) को एक साथ पीसकर पानी में मिलाकर शर्बत बना लें। इस शर्बत को दिन में 4 बार पीने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
*100 ग्राम अनार का रस नकसीर (नाक से खून बहना) के रोगी को कुछ दिनों तक लगातार पिलाने से लाभ होता है।
*आधे कप खट्टे-मीठे अनार के रस में 2 चम्मच मिश्री मिलाकर रोजाना दोपहर के समय पीने से गर्मी के मौसम की नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
*नथुनों में अनार का रस डालने से नाक से खून आना बंद हो जाता है। 7 दिन से अधिक रहने वाला बुखार, एपेन्डीसाइटिस में अनार लाभदायक है।
*अनार की कली जो निकलते ही हवा के झोंकों से नीचे गिर पड़ती है, अतिसंकोचन और गीलेपन को दूर करने वाली होती है। इनका रस 1-2 बूंद नाक में टपकाने से या सुंघाने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है। यह नकसीर के लिए बहुत ही उपयोगी औषधि है।
*अनार के छिलके को छुहारे के पानी के साथ पीसकर लेप करने से सूजन में तथा इसके सूखे महीन चूर्ण को नाक में टपकाने से नकसीर में लाभ होता है।
*अनार के पत्तों के काढ़े को या 10 ग्राम रस पिलाने से तथा पीसकर मस्तक पर लेप करने से नकसीर में लाभ होता है।"

2. गर्मी के कारण नाक से खून आना : -अनार के फूल और दूब की जड़ का रस निकालकर नाक में डालना चाहिए अथवा केवल अनार के फूल का रस नाक में डालना और मस्तिष्क पर लगाना चाहिए। इससे नाक से खून आना बंद हो जाता है।

3. पेशाब का अधिक मात्रा में आना (बहुमूत्र) : -
*1 चम्मच अनार के छिलकों का चूर्ण एक कप पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करें। इससे बहुमूत्र का रोग नष्ट हो जाता है।
*अनार के छिलकों को छाया में सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें। 3 ग्राम चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ लेने से बार-बार पेशाब जाने से छुटकारा मिलता है।"

4. शरीर की गर्मी : -अनार का रस पानी में मिलाकर पीने से गर्मी के दिनों में बढ़ी शरीर की गर्मी दूर होती है।

5. चेहरे का सौंदर्य : -गुलाब जल में अनार के छिलकों के बारीक चूर्ण को मिलाकर अच्छी तरह लेप बनाएं। इस लेप को सोते समय नियमित रूप से लगाकर सुबह चेहरा धो लें। इससे दाग के निशान, झांइयों के धब्बे दूर हो जाएंगे और चेहरे में चमक आ जायेगी।
अनार के ताजे हरे 100 ग्राम पत्तों के रस को 1 किलो सरसों में मिला लेते हैं। चेहरे पर इस तेल की मालिश करने से चेहरे की कील, झांईयां और काले धब्बे नष्ट हो जाते हैं।"

6 अजीर्ण : -
*3 चम्मच अनार के रस में 1 चम्मच जीरा और इतना ही गुड़ मिलाकर भोजन के बाद सेवन करने से अजीर्ण का रोग नष्ट हो जाता है।
*छाया में सुखाया हुआ अनार के पत्ते का चूर्ण 40 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम दोनों को महीन पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। 4-4 ग्राम सुबह-शाम भोजन से पहले पानी के साथ सेवन करने से अजीर्ण दूर होता है।
*अनार का रस, शहद और तिल का तेल समान मात्रा में लेकर, कुल मिश्रण 50 ग्राम की मात्रा में तैयार करते हैं। इसमें 6 ग्राम जीरा और 6 ग्राम खांड मिलाकर मुंह में भरे और थोड़ी देर तक मुंह को चलाते रहे। जब आंख नाक से पानी निकलने लगे तो कुल्ला कर दें और फिर दुबारा नया रस मुंह में भरें। दिन में 8-10 बार ऐसा करें। इसके अलावा जब बिल्कुल भूख न हो तथा यकृत में विकार हो तब उस अवस्था में भी लाभ होता है।
*खट्टे मीठे अनार का रस 1 ग्राम मुंह में भरकर धीरे-धीरे चलाकर पीयें। इस प्रकार 8 या 10 बार करने से मुंह का स्वाद सुधरकर आंत्रदोषों (आंतों के विकारों) का पाचन होता है तथा बुखार के कारण से हुई अरुचि भी दूर होती है।
*मीठे अनार के रस में शहद मिलाकर पिलाने से अरुचि में लाभ होता है।"

7. दांत से खून आना : -अनार के फूल छाया में सुखाकर बारीक पीस लेते हैं। इसे मंजन की तरह दिन में 2 या 3 बार दांतों में मलने से दांतों से खून आना बंद होकर दांत मजबूत हो जाते हैं।

8. उल्टी : -
*अनार के बीज को पीसकर उसमें थोड़ी-सी कालीमिर्च और नमक मिलाकर खाने से पित्त की वमन और घबराहट में आराम मिलता है।
*अनार का रस पीने से गर्भवती स्त्रियों की वमन विकृति (उल्टी) नष्ट होती है।
*अनार के रस में शहद मिलाकर चाटने से उल्टी आना बंद हो जाता है।
*सूखे अनारदाने को पानी में भिगो दें। थोड़ी देर के बाद इस पानी को पीने से उल्टी आने के रोग मे लाभ होता है।
*खट्टे-मीठे अनार के 200 ग्राम रस में 25 ग्राम मुरमुरे का आटा और 25 ग्राम शर्करा मिलाकर सेवन करने से मस्तिष्क की गर्मी शांत होती है। इसके प्रयोग से शारीरिक गर्मी भी दूर होती है और पित्तज्वर को शांत करने हेतु भी यह प्रयोग गुणकारी है। लू लगने से आए हुए बुखार की जलन, व्याकुलता, उल्टी और प्यास भी इसके सेवन से मिट जाता है|"

9. बच्चों की खांसी : -बच्चों को खांसी होने पर अनार की छाल खाने के लिए देनी चाहिए अथवा अनार के रस में घी, शक्कर, इलायची और बादाम मिलाकर देना चाहिए।

10 बच्चों की दस्त एवं पेचिश : -बच्चों को दस्त या पेचिश की शिकायत होने पर अनार की छाल को घिसकर पिलाने से लाभ मिलता है।

11 पेट के कीड़े : -
*अनार की जड़ और तने की छाल का काढ़ा बनाकर पिलाना चाहिए अथवा अनार की छाल के काढ़े में तिल का तेल मिलाकर 3 दिन तक पिलाना चाहिए। इससे पेट के कीडे़ नष्ट हो जाते हैं।
*यदि कद्दू दाना कृमि ही हो तो 50 ग्राम अनार के जड़ की छाल दरदरा कूटकर 2 किलो पानी में उबालते हैं जब आधा पानी शेष बचे तो इसे उतार लें। इसके बाद 50 ग्राम सुबह खाली पेट, आधा-आधा घंटे के अंतर से 4 बार सेवन करें। फिर एक बार एरंड तेल का सेवन करें। बालकों को काढे़ की 10 ग्राम तक की मात्रा देनी चाहिए।
*छाया में सुखाये हुए अनार के पत्तों को बारीक पीस छानकर 6 ग्राम की मात्रा में सुबह गाय की छाछ के साथ या ताजे पानी के साथ प्रयोग करें। इससे पेट के सभी कीड़े दूर हो जाते हैं।
*अनार की जड़ की छाल 10 ग्राम, वायबिडंग और इन्द्रजौ 6-6 ग्राम कूटकर काढ़ा तैयार कर लेते हैं। इसके बाद काढ़े का सेवन करने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं।
*खट्टे अनार के छिलके और शहतूत की 20-20 ग्राम मात्रा को 200 ग्राम पानी में उबालकर पीने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं।
*अनार के पेड़ की जड़ की तरोताजा छाल 50 ग्राम लेकर उसके टुकड़े-टुकड़े कर लें। इसमें पलास बीज का चूर्ण 5 ग्राम, बायविडंग 10 ग्राम को एक लीटर पानी में उबालें। आधा पानी शेष रहने तक उसे उबालते रहें। उसके बाद नीचे उतारकर ठंडा होने पर छान लें। यह जल दिन में चार बार आधा-आधा घंटे के अन्तराल पर 50-50 ग्राम की मात्रा में पिलाने से और बाद में एरंड तेल का जुलाब देने से सभी प्रकार के पेट के कीड़े निकल जाते हैं।
*अनार के सूखे छिलकों का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार नियमित रूप से कुछ दिनों तक सेवन करें। इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। यही प्रयोग खूनी दस्त, खूनी बवासीर, स्वप्नदोष, अत्यधिक मासिकस्राव में भी लाभकारी होता है।
*अनार के फल की छाल को उतार लें, फिर इससे काढ़ा बनाकर उसमें 1 ग्राम तिल का तेल मिलाकर पीने से पेट के कीड़ें समाप्त हो जाते हैं।
*अनार की जड़ की छाल, पलास बीज और वायविंडग को मिलाकर काढ़ा बना लें। इस काढे़ को शहद के साथ पीने से पेट के अंदर के सूती, चपटे और गोल आदि कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकाल जाते हैं।
*अनार की जड़ के काढ़े में मीठे तेल को मिलाकर 3 दिन तक सेवन करने से आंतों के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
*50 ग्राम अनार की जड़ की छाल को 250 ग्राम पानी में उबाल लें, जब पानी 100 ग्राम की मात्रा में बचे, तब इस बने काढे़ को दिन में 3-4 दिन बार पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
* 3 ग्राम अनार के छिलकों का चूर्ण दही या छाछ (मट्ठे) के साथ सेवन करें।
*अनार की छाल को 24 घंटे पानी में भिगोकर रख दें, फिर उसी पानी को उबालकर खाली पेट सुबह पीने से पेट की फीताकृमि (कीड़) मर जाते हैं।"

12 उष्णपित्त : -शक्कर की चाशनी में अनार-दानों का रस डालकर कपडे़ से छान लें। आवश्यकता होने पर 20 ग्राम शर्बत, 20 ग्राम पानी के साथ पी लें। इससे उष्णपित्त नष्ट हो जाता है।

13 नेत्र की गर्मी : -अनार के दानों का रस आंख में डालना चाहिए। इससे आंखों की गर्मी नष्ट हो जाती है।

14 छाती का दर्द : -
*अनार के दानों के रस में एक ग्राम सोनामक्खी का चूर्ण मिलाकर पिलाना चाहिए। इससे छाती का दर्द नष्ट हो जाता है।
*अनार के दानों का रस 10 ग्राम में इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर पीने से हृदय को लाभ होता है तथा छाती का दर्द भी दूर होता है। छाती के दर्द में अनार के दानों के रस में 1 ग्राम सोनामुखी का चूर्ण डालकर पीना भी छाती के दर्द में लाभकारी होता है।"

15 पित्त-रोग : -पके हुए अनार के रस में शक्कर मिलाकर पीना चाहिए। इससे पित्त का रोग नष्ट हो जाता है।

16 रक्तातिसार (दस्त में खून का आना) : -अनार की छाल और कुरैया (इन्द्रजव) की छाल का काढ़ा शहद के साथ पीने से रक्तातिसार नष्ट हो जाता है।

17 अनार पाक : -धनिया, सोंठ, नागरमोथा, खस, बेल का गूदा, आंवले, कुरैया की छाल, जायफल, अतिविषा, खैर की छाल, अजमोदा, एरंड की जड़, जीरा, लौंग, पीपल, कर्कटश्रृंगी, खुरासानी अजवाइन, धाय के फूल और लोघ्रा सभी को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में बारीक चूर्ण कर लेते हैं और अनार में भरकर आटे से बंद कर दे और चूल्हे में सेंककर आटा निकाल दें। इसके बाद सभी को मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर खाने से अतिसार (दस्त), संग्रहणी (ऑव रक्त) का आना, मंदाग्नि (अपच), अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना) और दर्द का नाश होता है।

18 अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना) : -* अनार के दाने चबाकर उनका रस निगलने से अरुचि नष्ट हो जाती है।
*कालीमिर्च आधा चम्मच, सेंका हुआ जीरा 1 चम्मच, सेंकी हुई हींग चने की दाल के बराबर, सेंधानमक स्वादानुसार, अनारदाना 70 ग्राम इन सबको पीस लें। यह स्वादिष्ट अनारदाने का चूर्ण बन जाएगा। इसके खाने से अरुचि नष्ट हो जाती है और मन प्रसन्न हो जाता है।
*14 मिलीलीटर अनार के रस में 1 ग्राम कालानमक मिलाकर अथवा भुना जीरा मिलाकर शहद या चीनी के साथ सेवन करें। इससे अजीर्ण और अरुचि नष्ट हो जाती है।"

19 प्यास : -
*अधिक प्यास की शिकायत होने पर अनारदाने खाने चाहिए अथवा उनका रस निकालकर तुरन्त ही थोड़ा-थोड़ा पीना चाहिए।
*60 ग्राम अनारदाने को 2 लीटर पानी में डालकर मिट्टी के बर्तन में भिगो दें। 2 से 3 घंटे बाद थोड़े-थोड़े पानी में मिश्री मिलाकर पिलाने से प्यास और गले की जलन मिट जाती है।
20 बुखार से या किसी भी कारण से मुख की अरुचि : -पके हुए अनार के 10 ग्राम रस में 7 ग्राम शहद और 4 ग्राम गाय का घी मिलाकर सुबह-शाम देना चाहिए। दूसरी किसी औषधि का बार-बार सेवन करने से जी घबड़ा जाता है, पर इस औषधि से ऐसा नहीं होता, बल्कि इसे बार-बार खाने की इच्छा होती है।

21 अतिसार : -
* 10 ग्राम अनार की छाल, 10 ग्राम पुराना गुड़ और 5 ग्राम जीरा मिलाकर देना चाहिए। इससे 1-2 दिन में ही अतिसार में लाभ होता है।
*3-6 ग्राम अनार के जड़ की छाल या अनार के छिलके का चूर्ण शहद के साथ दिन में 3 बार देना चाहिए। इससे अतिसार नष्ट हो जाता है।
*लगभग 14-28 मिलीलीटर अनार के छिलके तथा कोरैया की छाल का काढ़ा दिन में 2 बार सेवन करने से अतिसार नष्ट हो जाता है।
*अनार फल के छिलके के 2-3 ग्राम चूर्ण का सुबह-शाम ताजे पानी के साथ प्रयोग करने से अतिसार तथा आमातिसार में लाभ होता है।
*अनार की ताजी कलियों के साथ छोटी इलायची के बीज और मस्तंगी को पीसकर शक्कर मिलाकर अवलेह तैयार कर लें, इसे चटाने से बालकों के पुराने अतिसार और प्रवाहिका में विशेष लाभ होता है।
*अनार को छिलके सहित कूटकर रस निचोड़कर 30-50 ग्राम तक पिलायें। इसमें शक्कर मिलाकर पिलाने से पित्त के कारण होने वाली उल्टी, खुजली और थकान में लाभ होता है।
*अनार का छिलका 20 ग्राम को 1 किलो पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर रख लें, फिर इसी बने काढ़े को छानकर पीने से अतिसार (दस्त, पतली ट्टटी लगना) में खून का आना बंद हो जाता है।
*अनार के पत्तों को पानी में पीसकर लेने से अतिसार में लाभ मिलता है।
*अनार की कली 1 ग्राम, बबूल की हरी पत्ती 1 ग्राम, देशी घी में भुनी हुई सौंफ 1 ग्राम, खसखस या पोस्त के दानों की राख आदि 3 ग्राम की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में 1 दिन में सुबह, दोपहर और शाम को मां के दूध के साथ पीने से बच्चों का दस्त आना बंद हो जाता है।
*अनार के छिलके 50 ग्राम को लगभग एक किलो 20 ग्राम दूध की मात्रा में डालकर धीमी आग पर रख दें, जब दूध 800 ग्राम बच जाये इसे एक दिन में 3 से 4 बार खुराक के रूप में पीने से अतिसार यानी दस्त समाप्त हो जाते हैं।
*अनार की छाल का काढ़ा बनाकर 20 ग्राम से 40 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है।
*अनार के फल, सौंफ, सोंठ, आम की गुठली यानी गिरी, खसखस की डोडी और भुना हुआ सफेद जीरा को बराबर मात्रा में लेकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, इस बने चूर्ण को लगभग 5 ग्राम की मात्रा में लेकर 10 ग्राम मिश्री के साथ हर 2 घंटे के बाद खाकर ताजा पानी को पीने से अतिसार यानी दस्त की बीमारी से रोगी को छुटकारा मिलता है।
*अनार की छाल का 100 ग्राम चूर्ण, 50 ग्राम जीरा, 3 ग्राम सेंधानमक को बारीक पीसकर 1 चम्मच की मात्रा में चूर्ण को लेकर 1 दिन में सुबह, दोपहर और शाम को पीने से पतले दस्तों का आना बंद हो जाता है।
*अनार के फल के छिलकों को उतारकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें, इसी बने चूर्ण को 20 ग्राम की मात्रा में लगभग 400 ग्राम पानी में, 2 लौंग को डालकर अच्छी तरह से उबालकर काढ़ा बनाकर पीने से पेट में होने वाली मरोड़ या ऐंठन और दस्त बंद हो जाते हैं।
*अनार के रस को लगभग 2 से 3 ग्राम की मात्रा में 4 या कुछ दिनों तक पीने से अतिसार का आना रुक जाता है।
*अनार के छिलकों को सुखाकर 15 ग्राम की मात्रा में लेकर 2 लौंग को डालकर पीसकर 1 गिलास पानी में डालकर उबाल लें, जब पानी आधा रह जाये तब इसका सेवन 1 दिन में लगभग 3-3 घंटे के बाद पिलाने से दस्त, पेचिश और पेट में से मल के द्वारा आने वाली आंव समाप्त हो जाती है।"

22 अजीर्ण से उत्पन्न अतिसार: -आधा ग्राम अनार की छाल का चूर्ण, आधा ग्राम जायफल और दो लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग केसर को मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर शहद के साथ देना चाहिए। इससे एक ही बार में लाभ होगा। यदि न हो, तो दुबारा देना चाहिए।

23 हिस्टीरिया, पागलपन: -15 अनार के पत्ते, 15 ग्राम गुलाब के ताजे फूल 500 ग्राम पानी में उबालें। चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर 20 ग्राम देशी घी मिलाकर रोजाना पीने से हिस्टीरिया और पागलपन के दौरों में लाभ होता है।

24 पाण्डुरोग (पीलिया): -*अच्छे अनार के 20 ग्राम रस में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर सुबह-शाम देना चाहिए। इससे थोड़े दिनों में ही पीलिया ठीक हो जाता है।
*अनार खाने और रस पीने से शारीरिक कमजोरी नष्ट होती है और खून की कमी (एनीमिया) के रोग से मुक्ति मिलती है।
*50 ग्राम अनार के रस में रात को साफ लोहे का टुकड़ा डुबो दें। सुबह लोहे का टुकड़ा निकालकर, छानकर स्वादानुसार मिश्री और 25 ग्राम पानी मिलाकर पी जायें। इससे पीलिया में लाभ होगा।
*लगभग 250 ग्राम उत्तम अनार के रस में 750 ग्राम चीनी मिलाकर चाशनी बना लें। इसका सेवन दिन में 3 या 4 बार करने से पीलिया रोग दूर हो जाता है।
*छाया में सुखाए हुए अनार के पत्ते के महीन चूर्ण की 6 ग्राम मात्रा को सुबह गाय की छाछ तथा शाम को उसी छाछ के पनीर के साथ सेवन कराने से पीलिया रोग में लाभ मिलता है।
*अनार का रस मल बंध की शिकायत दूर करता है और पीलिया रोग में फायदा करता है।"

25 क्षय (टी.बी) के रोग: -
*पके हुए स्वादिष्ट अनार के 200 ग्राम रस में 40 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण, 40 ग्राम जीरे का चूर्ण, 40 ग्राम सोंठ का चूर्ण, 40 ग्राम दालचीनी का चूर्ण और 10 ग्राम शुद्ध केसर डालकर 200 ग्राम उत्तम पुराना गुड़ मिलाएं, फिर सबको एकत्र करके जलाकर उसमें 10 ग्राम इलायची का चूर्ण डालें और 5-5 ग्राम वजन की गोलियां बनाएं फिर रोज सुबह-शाम 250 ग्राम दूध के साथ अपनी पाचन शक्ति के अनुसार लेना चाहिए। इससे टी.बी का रोग नष्ट हो जाता है।
*अनार के 200 ग्राम स्वादिष्ट रस में पीपल, सफेद जीरा, सोंठ और दालचीनी का चूर्ण 40-40 ग्राम, उत्तम केशर 10 ग्राम, पुराना गुड़ 200 ग्राम, हल्की आंच पर पकायें, जब गोली बनने योग्य गाढ़ा हो जाये, तो नीचे उतारकर 10 ग्राम छोटी इलायची का चूर्ण डालकर 6-6 ग्राम की गोलियां बनाकर, सुबह-शाम 1-1 गोली बकरी के दूध के साथ सेवन करें।
*यदि कमजोरी अधिक हो, परन्तु दस्त और खांसी न हो तो, ताजे अनार का रस जितना पी सकें पिलायें। इससे टी.बी का रोग नष्ट हो जाता है।
*यदि खांसी हो तो अनार का रस 2-2 चम्मच दिन में 3-4 बार पिलायें।"

26 अधिक बोलने से स्वर बिगड़ने पर: -अच्छा पका हुआ एक अनार रोज खाना चाहिए। इससे गले की बिगड़ी हुई आवाज कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है।

27 आंख की फूली (गुहेरी): -*अनार का फल जो अच्छी तरह पका हो, उसकी छाल को पके हुए अनार फल के रस में घिसे। फिर इसे लाल घोंगची के ऊपर के छिलके निकालकर घिसना चाहिए और आंख की फूली पर अंजन करना चाहिए।
*अनार का फल जो अच्छी तरह पका हो, उसकी छाल को पके हुए अनार फल के रस में घिसे। फिर इसमें एक या दो लाल गुंजा का छिलका निकालकर घिसें। इसे फूली पर दिन में तीन बार लगावें|"

28 कोढ़ के घाव : -
*अनार के पत्तों को पीसकर लगाने से कोढ़ के जख्म, दाद और बर्र या बिच्छू दंश आदि में लाभ होता है।
*अनार के पत्तों को छाया मे सुखाकर उसका चूर्ण बनाकर 6 ग्राम से 10 ग्राम तक रोजाना पानी के साथ खाने से सफेद कोढ़ ठीक हो जाता है।"

29 गर्भस्राव : -लगभग 100 ग्राम अनार के ताजा पत्तों को पीसकर पानी में
छानकर पिलाने से और पत्तों का रस पेडू पर लेप करने से गर्भस्राव रुक जाता है

30 अत्यधिक मासिक स्राव (अत्यार्तव): -अनार के सूखे छिलके पीसकर छान लें। इस चूर्ण को 1 चम्मच भर की मात्रा में दिन में 2 बार सेवन करने से रक्तस्राव बंद हो जाता है। नोट : शरीर के किसी भी भाग से खून निकल रहा हो, उसे रोकने में भी इस विधि का उपयोग किया जा सकता है।

31 मुंह की दुर्गन्ध: -मुंह से दुर्गन्ध आती हो अथवा मुंह से पानी आता हो तो 4 ग्राम अनार के पिसे हुए छिलकों को सुबह-शाम ताजा पानी से लेने तथा छिलका उबालकर कुल्ले करने से लाभ होता है।

32 खांसीनाशक गोलियां: -80 ग्राम अनार का छिलका 10 ग्राम सेंधानमक में थोड़ा पानी डालकर गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली दिन में 3 बार चूसने से खांसी ठीक हो जाती है।

33 खूनी बवासीर: -
*खूनी बवासीर में सुबह-शाम अनार के पिसे छिलके के चूर्ण को 8 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी से फंकी लेना चाहिए। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाता है।
*12 ग्राम अनार के फल के छिलके का चूर्ण समान मात्रा में चीनी के साथ दिन में 2 बार दें। इससे खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
*10 मिलीलीटर अनार के रस को मिसरी के साथ दिन में सुबह-शाम 2 बार लेना चाहिए। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
*10 ग्राम अनार के सूखे छिलकों के चूर्ण को बराबर मात्रा में बूरा मिलाकर दिन में 2 बार लेना चाहिए। इससे खूनी बवासीर नष्ट हो जाती है।
*मीठे अनार का छिलका शीतल तथा खट्टे फल का छिलका शीतल रूक्ष होता है इसलिए यह अर्श (बवासीर) के लिए विशेष उपयोगी होता है।
*अनार की जड़ के 100 ग्राम काढे़ में 5 ग्राम सोंठ का चूर्ण मिलाकर दिन में 2-3 बार पीने से रक्तार्श यानी खूनी बवासीर में लाभ होता है।
*अनार के पत्तों का लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रस सुबह-शाम पीने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
*अनार के 8-10 पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर गर्म घी में भूनकर बांधने से अर्श (बवासीर) के मस्सों में लाभ होता है।"

34 कामशक्तिवर्धक: -प्रतिदिन मीठा अनार खाने से पेट मुलायम रहता है तथा कामेन्द्रियों को बल मिलता है।

35 यकृत के रोग: -यकृत रोगों में अनार का रस सेवन करना लाभकारी होता है।

36 क्षुधावर्द्धक (भूख बढ़ाने वाली): -कालीमिर्च आधा चम्मच, सिंका हुआ जीरा 1 चम्मच, सेंकी हुई हींग चने की दाल के बराबर, सेंधानमक स्वादानुसार, अनारदाना 70 ग्राम लें। इन सबको पीस लें। यह स्वादिष्ट अनारदाने का चूर्ण बन जाएगा। इसको खाने से अरुचि नष्ट हो जाती है तथा मन प्रसन्न रहता है।

37 गर्मी के मौसम में सिर दर्द होना: -गर्मियों में सिर दर्द हो, लू लग जाए और आंखें लाल-लाल हो जाए तो अच्छे, पके अनार के दानों का रस निकालें। रस में डेढ़ गुनी शर्करा डालकर रस को उबालें और चासनी बनाकर शर्बत तैयार करें। उसमें 5 ग्राम केसर और 10 ग्राम इलायची दोनों का कपड़छन चूर्ण मिला लें। 20 से 25 ग्राम शर्बत में उतना ही पानी मिलाकर पीने से उष्णपित्त में शीघ्र ही लाभ होता है। गर्मी के मौसम में मस्तिष्क को शांत रखने, आंखों की जलन मिटाने और धूप में घूमने के कारण आई हुई बेचैनी को दूर करने हेतु प्रयोग करें। यह शर्बत रुचिकर एवं पित्तशामक होता है।

38 पित्तप्रकोप: -ताजे अनार के दानों का रस निकालकर उसमें मिश्री मिलाकर पीने से हर प्रकार का पित्तप्रकोप शांत हो जाता है।

39 दबी हुई आवाज के लिए: -पका अनार खाने से दबी हुई गले की आवाज खुल जाती है।
40 हठीली खांसी: -अनार की सूखी छाल पांच ग्राम बारीक पीसकर कपड़े से
छानकर उसमें 0.10 ग्राम कपूर भी मिला लें। यह चूर्ण दिन में 2 बार पानी में मिलाकर पीने से भयंकर बिगड़ी हुई हठीली खांसी भी दूर हो जाती है।

41 गर्भवती स्त्री की शारीरिक शक्ति की वृद्धि हेतु: -
*अनार के पत्तों की चटनी, घिसा हुआ चंदन, थोड़ा-सा दही और शहद मिलाकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से गर्भस्थ शिशु व गर्भवती स्त्री की बल वृद्धि होती है।
*खट्टे-मीठे अनार के रस या शर्बत के सेवन से गर्भावस्था की उल्टी शांत हो जाती है तथा मीठे अनार के दाने खाने से गर्भवती स्त्री के कमजोर रहने वाले हृदय और शरीर में सुधार होता है तथा गर्भवती महिला की दुर्बलता भी दूर होती है।"

42 नई पेचिश: -अनार का छिलका 5 ग्राम, लौंग का अधकुटा चूर्ण लगभग 8 ग्राम और 500 ग्राम पानी को ढंककर उबालें। 15 मिनट बाद इसे नीचे उतारकर ठंडा होने पर कपड़े से छान लें। यह जल दिन में 25 ग्राम से 50 ग्राम तक की मात्रा में सेवन कराने से नया अतिसार, नई पेचिश और आमातिसार की शिकायत दूर हो जाती है तथा आंते बलवान बनती हैं।

43 पेचिश: -अनार का छिलका और इन्द्रजौ प्रत्येक 20-20 ग्राम लेकर उन्हें चार गुने पानी में मिलाकर चतुर्थांश काढ़ा तैयार कर लेते हैं। उसकी 3 खुराक बनाकर 1-1 मात्रा सुबह, दोपहर शाम दिन में 3 बार प्रयोग करने से 1-2 दिन में ही रक्तातिसार (पेचिश में खून गिरना) बंद होता है। यदि पेचिश के कष्ट के साथ पेट में दर्द भी हो तो काढे में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में अफीम भी मिला लें।

44 संग्रहणी: -
*कच्चे अनार के रस में माजूफल, लौंग और सोंठ को घिसकर शहद के साथ पीना चाहिए। यदि अनार न मिले तो अनार की छाल को घिसकर पिलाना चाहिए। इससे संग्रहणी नष्ट हो जाती है।
*अनार के 50 ग्राम रस में लौंग, सोंठ और जायफल का 3 ग्राम चूर्ण मिलाकर, शहद डालकर सेवन करने से संग्रहणी रोग नष्ट हो जाता है।
* अनार के दानों को कूटकर रस निकाल लेते हैं। इसके बाद उसमें जायफल, लौंग और सोंठ का थोड़ा-सा चूर्ण और शहद मिलाकर पीने से संग्रहणी रोग मिटता है। सूखे अनार के छिलकों को पीसकर उसमें पानी मिलाकर पीने से भी संग्रहणी का रोग दूर हो जाता है।
* 10 ग्राम अनारदाना, 2 ग्राम सोंठ, 2 ग्राम कालीमिर्च, 5 ग्राम मिश्री आदि सभी को कूट-पीसकर कपड़छन कर लें। इस प्राप्त चूर्ण का सेवन करने से संग्रहणी अतिसार के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
* 20 से 40 ग्राम अनार की छाल का काढ़ा सुबह-शाम सेवन करने से संग्रहणी अतिसार ठीक हो जाते हैं।"

45 आंखों की थकावट: -अनार के वृक्ष के पत्तों को पीसकर आंखें बंद करके उन पर यह लुग्दी बनाकर रखने से आंखों का दर्द ठीक हो जाता है।

46 आंखों की चिरमाहट: -अनार के दानों का रस आंखों में डालने से आंखों की गर्मी दूर होती है।

47 स्त्रियों के स्तन को सुडौल, सख्त और आकर्षक करना : -
*एक तरोताजा अनार को पीस लें। इसे 200 या 250 ग्राम सरसों के तेल में डालकर गर्म कर लें। इस तेल की मालिश नियमित रूप से स्तनों पर करते रहने से स्त्रियों के स्तन उन्नत, सुडौल, सख्त और सौंदर्ययुक्त बन जाता है।
*अनार की छाल लगभग एक किलो और माजूफल 125 ग्राम को 2 लीटर पानी में डालकर पकायें जब पानी आधा बच जाये तब इसे छानकर रख लें, फिर इसी में 125 ग्राम तिल्ली का तेल डालकर पकाकर स्तनों पर लेप करने से स्तन कठोर होते हैं।"

48 हृदय के रोग: -
*अनार के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम, 100 ग्राम पानी में मिलाकर पीने से हृदय की तेज धड़कन में बहुत लाभ होता है। इसे सुबह-शाम सेवन करना चाहिए।
*अनार का शर्बत 20-25 मिलीलीटर का नित्य सेवन करें। इससे हृदय के रोग नष्ट हो जाते हैं।
*छाया में सुखाये हुए अनार के महीन पत्तों के चूर्ण को ताजे पानी के साथ सेवन करने से दाद, रक्तविकार (खून के रोग), कुष्ठ, प्रमेह (वीर्य विकार), दिल की धड़कन, नासूर, घाव, पित्तज्वर, वातकफज्वर में लाभ होता है।"

49 मूत्राघात (पेशाब के साथ धातु का जाना): -
*लगभग 50 ग्राम अनार के रस में छोटी इलायची के बीजों का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण आधा-आधा ग्राम मिलाकर पीने से मूत्राघात में बहुत लाभ होता है।
*अनार के रस में छोटी इलायची के बीज और सोंठ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से मूत्राघात में बहुत लाभ मिलता है।
*अनार के पत्ते 10 ग्राम और हरा गोखरू 10 ग्राम दोनों को 150 ग्राम पानी में पीस-छानकर सेवन करने से मूत्राघात की शिकायत दूर हो जाती है।"

50 गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि: -
*अनार की ताजी, कोमल कलियां पीसकर पानी में मिलाकर, छानकर पीने से गर्भधारण की क्षमता में वृद्धि होती है।

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