अर्बेला का संग्राम/गौगेमेला का युद्ध, - Study Search Point

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अर्बेला का संग्राम/गौगेमेला का युद्ध,

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अर्बेला का संग्राम या गौगेमेला का युद्ध सिकंदर महान के युद्धों में से एक था। यह युद्ध यूनान के सम्राट सिकंदर व फारस के राजा डेरियस या दारा की बीच 331 ई.पू. में हुआ था। 30 सितंबर331 ई.पू. को हुआ था। गौगामेला का युद्ध (या, अरबेला का युद्ध) सिकंदर और दारा के बीच पहली अक्टूबर, 331 ई. पू. का इतिहासप्रसिद्ध युद्ध, जिसके परिणामस्वरूप ईरानी साम्राज्य का पतन हो गया। गौगामेला बाबुल से बहुत दूर नहीं था, दजला के पास अरबेला से केवल 32 मील पश्चिम पड़ता था। वहाँ ग्रीक और ईरानी सेनाएँ शक्ति के अंतिम निर्णय के लिये आमने-सामने खड़ी हुई। गौगामेला का युद्ध संसार के निर्णायक युद्धों में से है।
मिस्र आदि जीतने के बाद जब सिकंदर गौगामेला के मैदान में दारा की पड़ाव डाले पड़ी सेना से लगभग तीन मील की दूरी पर पहुँचा शाम का झुटपुटा हो चुका था। पारमेनियो ने सिकंदर को सुझाया कि रात के अँधरे ही में ईरानियों पर हमला किया जाय क्योंकि दिन के उजाले में ईरानी सेना की गणनातीत संख्या देख, बहुत संभव है कि हमारी सेना सहम जाय। सिंकदर ने उत्तर में उससे कहा कि वह जीत चुराया नहीं करता, लड़कर उसे संभव करता है। संभव है, जैसा कुछ इतिहासकारों ने कहा है, रात में सिकंदर का हमला न करने का कारण वस्तुत: युद्ध की वह तकनीक थी जिसका उपयोग वह रात के अंधेरे में न कर पाता।
सिकंदर ने आस पास के इलाकों का कुछ ही घंटों में कुछ घुड़़सवारों के साथ दौरा कर अपनी सेना का व्यूह बनाया। दाहिने और बाएँ बाजू फालांक्स के घुड्सवारों के तीन डिवीजन जमा दिए गए। अपनी हरावल के पीछे उसने दो हमलावर स्तंभों के रिजर्व खड़े किए, एक एक दोनों बाजुओं के पीछे, जिससे पीछे के बाजुओं का तोड़ने की कोशिश अगर शत्रु करे तो ये दुश्मन पर धावे बोल सकें। और यदि इसकी आवश्यकता न पड़े तो वे घूमकर प्रधान सेना की सहायता करें। दाहिने पक्ष के घुड़सवारों के सामने उसने धनुर्धरों और मल्लधारियों को ईरानी रथों के सामने खड़ा किया। ग्रीक इतिहासकारों के अनुसार सिकंदर की सेना में 7 हजार घुड़सवार और 40 हजार पैदल थे, जब कि ईरानियों की सेना संख्या में इससे पांचगुनी थी। सिकंदर ने मौका देखकर स्वयं हमला किया। वह ईरानियों के बाएँ बाजू पर इस तरह टूटा कि दारा को समतल छोड़ ऊँची नीची भूमि पर सरक जाना पड़ा। दारा ने जब देखा कि ऊँची नीची जमीन पर उसके रथ बेकार हो जाएँगे तब उसने बाएँ बाजू के घुड़सवारों को सिकंदर के दाहिने बाजू पर घूमकर हमला करने और उसे रोक देने का हुक्म दिया। दोनों ओर के घुड़सवारों में घमासान छिड़ गया। अब दारा ने रथों को बढ़ाया पर वे कभी सही उपयोग में नहीं लाए जा सके और ग्रीक पैदलों के तीरों के ईरानी रथी शिकार होने लगे। ठीक तभी सिकंदर घूमकर चार डिवीजनों के साथ ईरानी घुड़सवारों द्वारा छोड़ी जमीन से होकर ईरानियों के बाएँ बाजू पर टूटा और स्वंय दारा की ओर बढ़ा। यह हमला इतने जोर का हुआ कि दारा के पाँव उखड़ गए और वह मैदान छोड़ भागा। इसी बीच सिकंदर के दाहिने बाजू के ईरानी घुड़सवारों ने जब अपने ऊपर मकदूनियाइयों को पीछे से हमला करते देखा तब वे भी भाग निकले, यद्यपि वे शत्रु द्वारा बहुत संख्या में हताहत हुए। सिकंदर की सेना के बीच उसके हमलों से जो दरार बन गई थी, ईरानियों और भारतीयों ने उसी की राह सहसा घुसकर ग्रीकों के सामान भरे तंबुओं पर हमला किया। तभी दारा के दाहिने बाजू के घुड़सवारों ने सिकंदर के बाएँ बाजू घूमकर पारमेनियों के पार्श्व पर आक्रमण किया। पारमेनियों ने बुरी तरह घिर जाने पर सिकंदर को अपनी भयानक स्थिति की खबर दी। सिकंदर तब बाएँ बाजू टूटी ईरानी सेना का पीछा कर रहा था। वह एकाएक अपने घुड़सवारों को लिए लौटा और ईरानियों के दाहिने बाजू पर टूटा। ईरानी घुड़सवार अब भागने के लिये पीछे लौटे पर उनके पीछे की राह जब इस तरह रुक गई, तब वे सामने के शत्रु से घमासान करने लगे। न उन्होंने आप शरण माँगी न शत्रु को शरण दी। सिकंदर ने उन्हें कुचल दिया और एक एक ईरानी घुड़सवार मारा गया। अरबेला तक सिकंदर की सेना दारा का पीछा करती रही पर उसे पकड़ न पाई। दारा भाग निकला और उसने बाख्त्री में जाकर शरण ली। एरियन लिखता है कि तीन लाख ईरानी मारे गए जब कि सिकंदर के कुल एक हजार घुड़सवार मारे गए। प्रकट है कि इस आँकड़े पर विश्वास नहीं किया जा सकता। इस्सस के युद्ध के बाद यह दूसरा युद्ध था जिसमें ईरान को हारना पड़ा था और इस युद्ध के बाद ईरानी साम्राज्य टूक टूक हो गया। ईरानियों का अंतिम केंद्र फिर वंक्षुनद (आमू दरिया) की घाटी में स्थापित हुआ पर शीघ्र ही उनके उस अंतिम मोर्चे को भी सिकंदर ने तोड़ डाला जहाँ सिकंदर की मृत्यु के बाद स्वतंत्र ग्रीक राजतंत्र कायम हुआ।
सिकन्दर की सेना
Phalangists- 31,000
Peltasts- 9000 
कैवेलरी- 7000
कुल- 47,000

दारा की सेना
Peltasts- 10,000 / 30,000 
कैवेलरी- 12,000 / 40,000
फारसी अमर- 10,000 / 10,000
ग्रीक hoplites- 8000 / 10,000
बक्ट्रियन कैवलरी- 1,000 / 2,000
तीरंदाजों- 1,500 / 1,500
Scythed रथों- 200 / 200
युद्ध हाथियों- 15 / 15
कुल 52,930 / 93,930

परिणाम
सिकंदर को डेरियस पर सफलता मिली। अब फारस भी सिकंदर के अधिकार में आ गया था। इसके बाद वह काबुल होता हुआ, झेलम पहुंचा, व 326ई.पू. में पोरस को पराजित किया। परन्तु इसके आगे गंगा तक जाने के अपने विचार को उसने अपने सैनिकों की थकान के कारण छोड़ दिया। फिर वह वापस हो चला, व बेबीलिन में अपनी राजधानी बनाने की सोची। व अनेक नवीन कार्य भी वहां कराये।

साभार : Wikik

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