भारत का एक पूर्वी राज्य : मणिपुर - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

भारत का एक पूर्वी राज्य : मणिपुर

Share This
मणिपुर भारत का एक पूर्वी राज्य है। मणिपुर राज्य की राजधानी इंफाल है। मणिपुर राज्य के उत्तर और दक्षिण में मिज़ोरम, पश्चिम में असम, और पूर्व में अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से म्यांमार लगा हुआ है। मणिपुर का क्षेत्रफल 22,347 वर्ग कि.मी है। मेइती जनजाति, जो घाटी क्षेत्र में ही रहते हैं, वे ही यहाँ के मूल निवासी हैं। इनकी भाषा मेइतिलोन है। इसी भाषा को मणिपुरी भाषा कहते हैं। यह भाषा 1992 में भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूचीमें सम्मिलित की गई। यहाँ के पर्वतीय भाग में नागा व कुकी जनजाति के लोग निवास करते हैं। मणिपुरी बहुत ही संवेदनशील सीमावर्ती राज्य है। 

इतिहास

मणिपुर का शाब्दिक अर्थ ‘आभूषणों की भूमि’ है। भारत की स्वतंत्रता के पहले यह रियासत थी। आजादी के बाद यह भारत का एक केंद्रशासित राज्य बना। यहाँ की राजधानी इंफाल है। यह संपूर्ण भाग पहाड़ी है। जलवायु गरम एवं तर है तथा वार्षिक वर्षा का औसत 65 इंच है। यहाँ नागा तथा कूकी जाति की लगभग 60 जनजातियाँ निवास करती हैं। यहाँ के लोग संगीत तथा कला में बड़े प्रवीण होते हैं। यहाँ यद्यपि कई बोलियाँ बोली जाती हैं। पहाड़ी ढालों पर चाय तथा घाटियों में धान की उपजें प्रमुख हैं। यहीं से होकर एक सड़क बर्मा को जाती है। इस राज्य में प्राकृतिक संसाधनों का प्रचुर भंडार है। यहां की प्राकृतिक छटा देखने योग्य है। यहां तरोताजा करने वाले जल-प्रपात है; रंग-बिरंगे फूलों वाले पौधे हैं, दुर्लभ वनस्पतियां व जीव-जंतु हैं, पवित्र जंगल हैं, हमेशा बहने वाली नदियां हैं, पर्वतों-पहाड़ियों पर बिखरी हरी विभा है और टेढ़े-मेढ़े गिरने वाले झरने हैं। लोकटक झील यहां की एक महत्वपूर्ण झील है। भौतिक आधार पर राज्य- को दो भागों में बांटा जा सकता है, पहाड़ियां व घाटियां। चारों ओर पहा‍ड़ियां हैं और बीच में घाटी है। इस प्रकार प्रकृति की प्राचीन गौरव है। राज्य की कला व संस्कृरति समृद्ध है जो विश्व मानचित्र पर इसकी समृद्धि को दर्शाती है। यहां तीन प्रमुख जनजातियां निवास करती हैं। घाटी में मीतई जनजाति रहती है तो नागा और कूकी-चिन जनजातियां पहा‍ड़ियों पर रहती हैं। प्रत्येक जनजाति वर्ग की खास संस्कृति और रीति रिवाज हैं जो इनके नृत्य, संगीत व पारंपरिक प्रथाओं से दृष्टिगोचर होता है। मणिपुर के लोग कलाकार होते हैं साथ ही सृजनशील होते हैं जो उनके द्वारा तैयार खादी व दस्तकारी के उत्पादों में झलकती है, ये उत्पाद विश्वभर में अपनी डिज़ाइन, कौशल व उपयोगिता के लिए जाने जाते हैं। यहां नेपाल से आकर बसे नेपालियों की भी काफी संख्या है, जो मणिपुर के कई इलाकों में बसे हैं|
भारत के पूर्वी सीमा पर स्थित यह राज्य 23.83 डिग्री उत्तार और 25.68 डिग्री उत्तरी अक्षांश व 94.78 डिग्री पूर्वी देशांतर के बीच पड़ता है। एक ओर तो पूर्व में म्यांमार है तो नागालैंड उत्तर-पश्चिम दिशा में हैं, तो मिज़ोरम दक्षिण में है। यह पूरे 22,327 किलोमीटर में फैला है। मणिपुर की भौगोलिक स्थिति दर्शनीय है। उत्तरी तथा पूर्वी इलाकों में ऊंची पहाडियां है और मध्य भाग में मैदानी समतल है। यहां हर पहाड़ के बीच में कोई न कोई नदी बहती हैं। इम्फाल नदी यहां की प्रमुख नदी है। कृषि व कृषि आधारित उद्योग अर्थव्यवस्था का आधार हैं। राज्य सूचना प्राद्योगिकी आधारित व्यवसायों के लिए एक उपयुक्त स्थान है। यहां उच्च शिक्षा की व्यवस्था है, यहां निवेश की अपार संभावनाएं हैं, खासकर कृषि व खाद्य प्रसंस्कथरण के क्षेत्र में. हथकरघा, दस्तकारी और पर्यटन के क्षेत्र में कई संभावनाएं है। इन क्षेत्रों में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकार ने कई नीतियां तैयार की हैं साथ ही निवेशकों को आकर्षित करने के कई प्रोत्साहन देने की भी घोषणा की गयी है।
कृषि राज्‍य की अर्थव्‍यवस्‍था का मुख्‍य आधार है। 70 प्रतिशत लोग कृषि पर ही निर्भर हैं। राज्‍य में कृषि कुल क्षेत्र 10.48 प्रतिशत ही है। कुल कृषि क्षेत्र का 13.24 प्रतिशत क्षेत्र, लगभग 30,980 हेक्‍टेयर सिंचित क्षेत्र है। राज्‍य में अन्‍न उत्‍पादन मामूली सा कम है लेकिन तिलहन और दलहन का उत्‍पादन बहुत ही कम होता है।
  • राज्‍य का कृषि विभाग 11वीं योजना में कृषि की बढ़त को बनाए रखने और उसके व्‍यवसायीकरण की योजना पर कार्य कर रहा है। इसके लिए राज्य कुछ बातों पर विशेष ध्‍यान दे रहा है-
  • कुल कृषि क्षेत्र का प्रतिशत बढ़ाना
  • 11वीं योजना में फ़सल का घनत्व बढाना
  • फ़सल उत्‍पादन दर को बढाकर 11वीं योजना के अंत तक 39.85 प्रतिशत तक करना
    इस उद्देश्‍य के लिए निम्‍न बातों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है -
    1. गुणवत्ता पूर्ण बीजों का उत्‍पादन,
    2. सिंचाई के साधनों का विस्तार,
    3. कृषि फार्मों का आधुनिकीकरण,
    4. मृदा प्रबंधन,
    5. जैविक फार्मों का विकास,
    6. उच्चस्तरीय फ़सल उगाना,
    7. कटाई के बाद फ़सल का प्रबंधन,
    8. बाज़ार उपलब्ध कराना
    9. जैव प्रौद्योगिकी और कृषि प्रसंस्‍करण का विकास और अनुसंधान
    10. कृषि में सूचना प्रौद्योगिकी का प्रयोग,
    11. प्रौद्योगिक हस्‍तांतरण-
    • हर ज़िले में किसान फील्ड स्‍कूल को स्‍थापित करना
    • किसान फील्ड स्‍कूल के विस्‍तार का प्रबंधन करना

    सांस्कृतिक

    पोलो और हॉकी यहाँ के लोकप्रिय खेल हैं। मणिपुर ने शास्त्रीय नृत्य की एक स्थानीय शैली मणिपुरी को भी जन्म दिया है। भारत के अन्य नृत्य रूपों के विपरीत इस नृत्य शैली में हाथ की मुद्राओं का उपयोग मूक अभिनय के बजाए सजावटी तोर पर ही किया जाता है, घुंघरुओं से स्वराघात उत्पन्न नहीं किया जा सकता और नर्तक व नर्तकी मिलकर यह नृत्य करते हैं। नृत्य नाटिकाएँ, जिनकी व्याख्या वाचक के द्वारा होती है, यहाँ के धार्मिक जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इन नाटिकाओं के विषय सामान्यत: हिन्दू धर्म के पशुपालक देवता कृष्ण के जीवन से लिए जाते हैं। लम्बे समय तक लगभग अज्ञात इस नृत्य का शेष भारत से परिचय महाकवि रबीन्द्रनाथ टैगोर ने 1917 में करवाया। रास, संकीर्तन नृत्य और थांग-ता (मृदंग वादन) भी इनके सांस्कृतिक जीवन के महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इसके अलावा मणिपुरी अच्छे योद्धा होते हैं और कुश्ती, तलवारबाज़ी और युद्ध कलाओं का अभ्यास करते हैं। वे पोलो भी खेलते हैं। इस राज्य में अनेक पर्यटन स्थल हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 39 पर इम्फ़ाल से सात किमी. दूर खोंगमपाट ऑर्किड उद्यान है, जहाँ इस पुष्प पौधे की 110 से भी अधिक क़िस्में उपलब्ध हैं। राज्य की राजधानी से 106 किमी. दूर 1,757 मीटर की ऊँचाई पर मनोहारी पर्वतीय स्थल माओ है। यह इम्फ़ाल और दीमापुर के बीच रास्ते में स्थित है। इम्फ़ाल से मात्र 27 किमी. दूर बिष्णुपुर में विष्णु का मन्दिर है। इसके अलावा मोहरा वह जगह है, जहाँ नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने पहली बार भारत की भूमि पर भारतीय तिरंगा फहराया था। यह जगह इम्फ़ाल से 45 किमी. दक्षिण में है और यहाँ आज़ाद हिन्द सेना स्मारक भवन तथा युद्ध संग्रहालय हैं। यह स्थान प्राचीन मणिपुरी लोक संस्कृति के लिए भी प्रसिद्ध है। निकट ही लोकटक झील भव्य दृश्य प्रस्तुत करती है और पास ही में एक हिरन उद्यान भी है। पर्यटक 165 किमी. की दूरी पर स्थित तमेंलों भी जाना पसन्द करते हैं, जहाँ जलप्रपात और देश-विदेश के ऑर्किड फूलों सहित विविध प्रकार के आकर्षण मिलते हैं।
    देश की विभिन्न हस्तशिल्प कलाओं में राज्य के हस्तशिल्प उद्योग का अनूठा स्थान है। इसके अंतर्गत बेंत व बांस के बने उत्पादों के साथ-साथ मिट्टी के बर्तन बनाने की संस्कृति भी शामिल है। मणिपुर में मिट्टी के बर्तन बनाने की प्रथा काफी पुरानी है और यह उद्यम मुख्यत: एंड्रो, सिकमाई, चैरन, थोगजाओ, नुंगवी व सेनापति जिले में किया जाता है। चूंकि बांस व बेंत काफी मात्रा में उपलब्ध है, टोकरी बुनना यहां के लोगों का लोकप्रिय व्यवसाय बन गया है। इसके अतिरिक्ति मछली मारने के उपकरण भी बेंत व बांस के बनाए जाते हैं। घरेलू के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इन सभी उत्पादों की काफी मांग है। हथकरघा उद्योग राज्य का सबसे बड़ा कुटीर उद्योग है। यहां यह उद्योग अनादि काल से फल-फूल रहा है। राज्यथ में यह सर्वाधिक रोजगार उपलब्ध् करा रहा है खासकर महिलाओं को। मणिपुर के प्रमुख हथकरघा उत्पाकद साड़ी, चादर, पर्दे, फैशनवाले कपड़े, स्काधर्फ व तकिए के कवर आदि है। अधिकांश जुलाहे जिन्हेंथ हुनर व महीन डिजाइनिंग के लिए जाना जाता है। वे वांग खाई बायोन कांपू, कोंगमान, खोंग मैन उल्लालऊ आदि से हैं जो उत्कृमष्टन सिल्कन आदि उत्पामदों के लिए प्रसिद्ध हैं।
     

    पर्यटन

    अपनी विविध वनस्पतियों व जीव-जंतुओं के कारण मणिपुर को 'भारत का आभूषण' व 'पूरब का स्विट्जरलैंड' आदि विविध नामों से संबोधित किया जाता है। लुभाने वाले प्राकृतिक दृश्यों, में विलक्षण फूल-पौधे, निर्मल वन, लहराती नदियां, पहाड़ियों पर छाई हरियाली शामिल है। इन सबके अलावा पर्यटकों के लिए कई आकर्षण हैं जो राज्य में पर्यटन के विकास के लिए उत्कृष्ठ अवसर प्रदान करता हैं। श्री गोविंद जी मंदिर, खारीम बंद बाजार (इमा कैथल) युद्ध कब्रिस्तान, शहीद मीनार, नुपी सान (महिलाओं का युद्ध) मेमोरियल कॉम्लेार क्सा, खोंघापत उद्यान, आईएनए मेमोरियल (मोइरांग), लोकटक झील, कीबुल लामजो राष्ट्रीय उद्यान, विष्णुपुर स्थित विष्णु मंदिर, सेंड्रा, मोरेह सिराय गांव, सिराय की पहा‍ड़ियां, डूको घाटी, राजकीय अजायबघर, कैना पर्यटक निवास, खोंगजोम वार मेमोरियल आदि मणिपुर के कुछ महत्व पूर्ण पर्यटक स्थल है। मणिपुर देश के सुदूर उत्तरपूर्वी छोर पर स्थित है और, इसका अधिकांश पहा‍ड़ियों से घिरा हुआ है। यहां निवेश के कई अवसर हैं। यहां कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां निवेशकों को आकर्षित करने के लिए काफी संभावनाएं हैं। यहां के दर्शनीय स्थलों में इम्फाल, उख्रुल प्रसिद्ध हैं। इम्फाल में कांग्ला पार्क, गोविंद मन्दिर वहां के बाजार, टीकेन्द्रजित पार्क प्रसिद्ध हैं तो उख्रुल की पहाड़ियां प्रसिद्ध हैं। चुडाचांदपुर जिले में लोकतक झील प्रसिद्ध हैं। मणिपुर में प्रवेश करने वाले विदेशियों को, चाहे वे यहां जन्मे हों, प्रतिबंधित क्षेत्र पर्मिट लेना आवश्यक होता है। यह चारों मुख्य महानगरों में स्थित विदेशियों के क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय से मिलता है। यह पर्मिट मात्र दस दिन के लिए वैध होता है, व सैलानी यहां भ्रमण करने के लिए प्राधिकृत ट्रैवल एजेंट द्वारा वयवस्थित चार लोगों के समूहों में ही जा सकते हैं। साथ ही विदेशी सैलानी यहां वायुयान द्वारा ही आ सकते हैं और उन्हें राजधानी इंफाल के बाहर घूमने की आज्ञा नहीं है।

    कोई टिप्पणी नहीं:

    एक टिप्पणी भेजें

    Pages