स्मृति विशेष : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम.., - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

स्मृति विशेष : डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम..,

Share This
शख्सियत हो तो ऐसी कि जब हो तो सारे जहां का प्यार बरस पड़े और ना हो तो हर वर्ग, हर उम्र की आंखें बरस पड़े...मधुर आचरण, सरल मुस्कान, स्पष्ट उज्जवल सोच के मालिक कलाम साहब नहीं रहे.. यह वाक्य जितना पीड़ादायक है उतना ही मोहने वाला उनका जाने का अंदाज है...कितने लोगों को ऐसी रचनात्मक मृत्यु नसीब होती है..?  
kalam
AdTech Ad
यकीनन उसके लिए कलाम होना पड़ता है, सोच से कलाम, अपने कर्मों से कलाम और व्यक्तित्व से कलाम... प्रखर नेतृत्व और बेमिसाल कृतित्व की इस शख्सियत का जाना इसलिए भी जार-जार रूला रहा है क्योंकि वही इस नकारात्मकताओं से भरे युग में हमारी आशा की दमकती किरण थे... धर्म से ऊपर, कर्म से उससे भी ऊपर.... वरना तो सब जानते हैं बीमार थे वह लेकिन जाने से पहले उठ खड़े हुए क्योंकि वह भी जानते थे कि उन्हें चाहने वालों के लिए यह खबर ज्यादा तकलीफदेह होगी कि वे बिस्तर पर चले गए।
उनका अंतिम वाक्य : इस पृथ्वी को जीने लायक कैसे बनाया जाए.... बस इतना ही तो कह सके वह... लेकिन इसी में कितना कुछ कह गए यह संवेदना के स्तर पर डूबकर सोचने की बात है। कैसे बनाया जाए इस पृथ्वी को जीने लायक.... अनैतिकता, सांप्रदायिकता, आतंकवाद, छल, कपट, बुराई का कूड़ा कैसे साफ किया जाए... कैसे बहे शुद्ध बयार उत्साह की... कैसे पनपे नन्हे पौधे उम्मीदों के... कैसे पल्लवित हो सुंदर और बड़े सपने... इन दिनों जबकि 'किसी' की फांसी रुकवा देने के लिए धर्म की दुहाई दी जा रही है, कहा जा रहा है कि ज्यादातर फांसी किसी वर्ग विशेष के लोगों को ही दी गई है..इस देश में भेदभाव हो रहा है.. .40 विशेष लोगों के हस्ताक्षर अभियान चले हैं तब सोचने में तो आता है कि जब दोबारा उन्हें राष्ट्रपति बनाने की बारी आई थी तो 4 भी उनके लिए आवाज ना उठा सके थे...मैं इस 'घटिया सोच के प्रणेताओं' से पूछना चाहती हूं कि क्यों कलाम का जाना पूरे हिन्दुस्तान को स्तब्ध कर देने वाला है... कहां है धर्म, कहां है वर्ग, कहां है भेद... कलाम जैसा व्यक्तित्व आत्मा की गहराइयों में जाकर प्रस्फूटित होता है... करोड़ों युवा आंखों में चमकता है। जो 83 वर्ष की आयु में भी जाए तो कहना पड़ता है कि यह भी कोई उम्र है जाने की...हर उम्र की सोच के स्तर पर जो खिलकर और खुलकर अभिव्यक्त होता है...  
कलाम समाज की तमाम तुच्छताओं से परे कहीं अलग सी ही विराट हस्ती थे। आचरण की सचाई, कर्म की शुद्धता और तेजस्वी वैज्ञानिक सोच ने कलाम को वह ऊचांई दी है कि उनके जाने पर हर आंखें स्वाभाविक रूप से नम है। उनके प्रबल समर्थक और प्रशंसक आनंद चांदा का संदेश मिला है कि क्षुद्र नेताओं, लोभी और दंभी अधिकारियों से भरे इस देश में कलाम साहब जैसे व्यक्तित्व का जाना इस देश से अंतिम आशा का जाना है.... दुख और नैराश्य से भरे ह्रदय का अंतिम प्रणाम. ... उनका सूत्र वाक्य : छोटे सपने देखना देशद्रोह है.. मुझे हमेशा प्रेरणा देता रहेगा....यह उस शख्स के जीवन की सफलता है कि इंदौर के पास के किसी छोटे से गांव में रहने वाले भोले मन पर भी उनकी गहरी सोच का असर इतना है कि उनके सूत्र वाक्य को थामे कोई श्रद्धा के फूल भेज रहा है। लेखिका सविता व्यास ने लिखा है वे एक ऐसा सूर्य थे वह जिनके जाने से भी कभी अंधेरा नहीं होगा बल्कि उनके फैलाए ज्ञान से और, और, और...और सूर्य जन्म लेंगे....इस समय हमारी आंखों के सामने वेबदुनिया के बड़े पर्दे पर वे तिरंगे में लिपटे उतर रहे हैं और अपने की-बोर्ड को छोड़कर कब हम खड़े हो गए, कब हम सबके हाथ जुड़ गए हैं हमें नहीं पता...उज्जैन से मेरी मां का भर्राई आवाज में फोन था अगर सच में उनके प्रति प्यार है तो आज अपना साप्ताहिक अवकाश मत मनाना.. ऑफिस चली जाना...अपने मन की पीड़ा लिख देना.. कलाम साहब ने भी यही कहा था कि मैं ना रहूं तो छुट्टी मत घोषित करना, हो सके तो अतिरिक्त कार्य करना...यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी...  कलाम के लिए कलम का कंठ अवरूद्ध है...उसकी अभी भी उत्कट अभिलाषा है कि कलाम लौट आए... अपनी मीठी सी हंसी, सरल-तरल सी खूबसूरत शख्सियत के साथ...काश, कि ऐसा हो जाए..... काश....  
बहुत उदास है हर कोई तेरे जाने से...
हो सके तो लौट आ किसी बहाने से...

भारत रत्न ये नवाजे गए पूर्व राष्ट्रपति, स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का संपूर्ण जीवन देश के लिए एक प्रेरणास्त्रोत रहेगा। समय समय पर उनके द्वारा कहे गए  आदर्श वाक्य हमारे  मार्गदर्शन  के लिए महत्वपूर्ण है। पढ़िए उनके व्दारा दिए गए प्रेरणादायक आदर्श वाक्य - 
 महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं 
 अगर किसी देश को भ्रष्टाचार – मुक्त और सुन्दर-मन वाले लोगों का देश बनाना है तो , मेरा दृढ़तापूर्वक  मानना हैकि समाज के तीन प्रमुख सदस्य यह कर सकते हैं  पिता, माता और गुरु 
3   यदि हम स्वतंत्र नहीं हैं तो कोई भी हमारा आदर नहीं करेगा 
4  आइए हम अपने आज का बलिदान कर दें, ताकि हमारे बच्चों का कल बेहतर हो सके 
5  किसी भी धर्म में किसी धर्म को बनाए रखने और बढाने के लिए दूसरों को मारना नहीं बताया गया 
6  अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त ,निष्ठावान होना पड़ेगा 
 जो लोग जिम्मेदार, सरल, ईमानदार एवं मेहनती होते हैं, उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान मिलता है। क्योंकि वे इस धरती पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं।
8  प्रत्येक क्षण रचनात्मकता का क्षण है, उसे व्यर्थ मत करो।
9   सरलता और परिश्रम का मार्ग अपनाओ, जो सफलता का एक मात्र रास्ता है।
10    प्रकृति से सिखो जहां सब कुछ छिपा हुआ है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Pages