मनोविज्ञान शब्दकोश भाग - 1 - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

मनोविज्ञान शब्दकोश भाग - 1

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कर्ता-प्रेक्षक प्रभाव (Actor-observer effect) : स्वयं अपने अनुभव या व्यवहार के लिए (कर्ता) और दूसरे व्यक्ति (प्रेक्षक) के उसी अनुभव या व्यवहार के लिए अलग-अलग गुणारोपण करने की प्रवृत्ति।
अनुकूलन (Adaptation) : संरचनात्मक या प्रकार्यात्मक परिवर्तन जो किसी जीव के उत्तरजीविता मूल्य में वृद्धि करता है।
आक्रमण (Aggression) : शशरीरिक या शाब्दिक तौर पर किसी को चोट पहुँचाने के आशय से किया गया व्यवहार।
वायु प्रदूषण (Air pollution) : वायु की गुणवत्ता का निम्नीकरण।
सचेत प्रतिक्रिया (Alarm reaction) : सामान्य अनुकूलन संलक्षण की पहली अवस्था जिसमें अधिवृक्कीय और अनुकंपी क्रिया के जरिए उर्जा के सक्रियण द्वारा आपाती प्रतिक्रिया होती है।
विसंबंधन (Alienation) : किसी समाज या समूह का अंग न होने की भावना।
गुदीय अवस्था (Anal stage) : फ्रायड द्वारा वर्णित मनोलैंगिक अवस्थाओं में दूसरी, जो शिशु के दूसरे वर्ष में घटित होती है। इसमें सुख की प्रतीति गुदा पर और मल के बतिधारण और निष्कासन पर केंद्रित रहती है।
क्षुधा-अभाव (Anorexia nervosa) : ऐसा विकार जिसमें शशरीरिक वजन में अत्यधिक कमी निहित है और इसमें वजन बढ़ने या ‘मोटा’ होने का तीव्र भय उत्पन्न होता है।
समाजविरोधी व्यक्तित्व (Antisocial personality) : ऐसा व्यवहार विकार जिसमें पलायनवृनि, अपरामाशीलता, स्वैरिता, चोरी, मवंसकारिता, लड़ना, सामान्य सामाजिक नियमों का उल्लंघन, खराब काम का इतिहास, आवेगशीलता, अविवेक, आवमकता, दुस्साहसी व्यवहार तथा आगे की योजना बनाने की अयोग्यता आदि विशेषताएँ पायी जाती हैं। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ऐसे व्यवहार का विशिष्ट स्वरूप अलग-अलग होता है।
दुश्चिंता (Anxiety) : मानसिक व्यथा की एक दशा जिसमें भय, आशंका और शरीरक्रिया भाव बबोमान उदोलन पाया जाता है।
दुश्चिंता विकार (Anxiety disorders) : ऐसे विकार जिसमें दुश्चिंता ही प्रमुख लक्षण होती है। इस विकार में सुभेद्यता की भावना, आशंका या भय पाया जाता है।
अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान (Applied psychology) : सैद्धान्तिक और प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के परिणाम स्वरूप मन, मस्तिष्क एवं व्यवहार के संबन्ध में मिले ज्ञान का व्यावहारिक अनुबयोग।
अभिक्षमता (Aptitude) : ऐसी विशेषताओं का संयोग जो व्यक्ति की बशिक्षण द्वारा कुछ विशिष्ट कौशलों को अर्जित करने की समर्थता का सूचक होता है।
अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude tests) : व्यक्ति के भावी निष्पादन की क्षमता का मापन करने वाले परीक्षण।
आद्यप्ररूप (Archetypes) : सामूहिक अचेतन की अंतर्वस्तुओं के लिए युंग द्वारा बयुक्त पद; अनुभव के संगठन के लिए वंशागत प्रतिरूपों को अभिव्यक्त करने वाली प्रतिमाएँ या बतीक।
भाव प्रबोधन (Arousal) : दूसरों के उपस्थित रहने या निष्पादन के मूल्यांकित होने के विचार से अनुभूत तनाव।
अभिवृत्तियाँ (Attitudes) : किसी विषय पर मन, विचारों या बत्ययों की वे स्थितियाँ जिनमें संज्ञानात्मक, भावात्मक और व्यवहारात्मक घटक होता है।
अभिवृत्ति विषय (Attitude object) : किसी अभिवृत्ति का लक्ष्य।
गुणारोपण (Attribution) : अपने अथवा दूसरों के व्यवहार की व्याख्या करने के लिए उस व्यवहार के कारणों का विवरण देना।
सत्ता या प्रभुत्व (Authority) : किसी पद (जैसे - प्रबंधकीय) में निहित अधिकार जिनके आधार पर आदेश देना और उनका पालन किए जाने की अपेक्षा करना।
स्वलीनता (Autism) : शैशवावस्था में बारंभ होने वाला व्यापक विकासात्मक विकार जिसमें अनेक बकार की असमान्यताएँ निहित होती हैं, जैसे - भाषागत, बात्यक्षिक और गतिपरक विकास में न्यूनता, दोषपूर्ण वास्तविक परीक्षण और सामाजिक विरक्ति आदि।
संतुलन (Balance) : अभिवृत्ति व्यवस्था की वह स्थिति जिसमें एक व्यक्ति (P) और दूसरे व्यक्ति (O) व्यक्ति (P) और अभिवृत्ति विषय (X) दूसरे व्यक्ति (O) और अभिवृत्ति विषय (X) अभिवृत्तियाँ एक ही दिशा में होती हैं या तार्किक रूप से एक-दूसरे से संगत होती है।
व्यवहार चिकित्सा (Behaviour therapy) : ऐसी उपचार पद्धति जो दुरनुकूलक व्यवहार को परिवर्तित करने के लिए व्यवहारवादी अधिगम सिद्धान्तों के नियमों पर आधारित होती है।
विश्वास (Beliefs) : किसी विषय से संबंधित विचारों या बत्ययों का संज्ञानात्मक घटक।
प्रमुख विशेषक या शीलगुण (Cardinal trait) : आलपोर्ट के अनुसार, वह एकल विशेषक जो व्यक्ति के संपूर्ण व्यक्तित्व में प्रमुखता से विद्यमान रहता है।
व्यक्ति अध्ययन (Case study) : व्यवहार के संबन्ध में सामान्य विकसित करने के लिए किसी व्यक्ति या स्थिति का गहन अमययन।
केंद्रीय विशेषक या शीलगुण (Central traits) : दूसरों के बारे में विचार निर्मित करने के लिए मयान देने योग्य मुख्य विशेषक।
अभिवृत्ति की केंद्रिकता (Centrality of attitude) : वह मात्र जहाँ तक कोई एक विशिष्ट अभिवृत्ति पूरी अभिवृत्ति व्यवस्था को बभावित करती है।
सेवार्थी-केंद्रित (रोशर्स की) चिकित्सा (Client-centred (Rogerian) therapy): कार्ल रोशर्स द्वारा विकसित चिकित्सा उपागम जिसमें चिकित्सक सेवार्थियों को अपनी सही भावनाओं को स्पष्ट करने और वे कौन हैं उसका मूल्यांकन करने में उनकी सहायता करता है।
सहकार्य (Coaction) : ऐसी स्थिति जिसमें बहुत से लोग दूसरों की उपस्थिति में उसी कार्य को करते हैं।
संज्ञान (Cognition) : जानने की प्रक्रिया। ऐसी मानसिक क्रियाएँ जो चिंतन, निर्णयन, भाषा के उपयोग तथा अन्य उच्चतर मानसिक प्रक्रियाओं से संबण् होती हैं।
संज्ञानात्मक मूल्यांकन प्रणाली (Cognitive assessment system) : परीक्षणों की एक माला जिसका निर्माण चार आधारभूत पास (PASS) प्रक्रियाओं - योजना-अवधान-सहकालिक-आनुक्रमिक का मापन करने के लिए किया गया है।

संज्ञानात्मक संगति (Cognitive consistency) : ऐसी स्थिति जिसमें विचार या बत्यय तार्किक दृष्टि से एक-दूसरे के सुसंगत होते हैं।
संज्ञानात्मक विसंगति (Cognitive dissonance) : किसी अभिवृत्ति व्यवस्था की वह स्थिति जिसमें दो संज्ञानात्मक तत्व तार्किक दृष्टि से विरोधात्मक या असंगत होते हैं।
संज्ञानात्मक चिकित्सा (Cognitive therapies) : विछत और दुरनुकूलक विचार प्रतिरूपों को परिवर्तन करने पर केंद्रित चिकित्सा की विधि।
संसक्तता (Cohesiveness) : सभी शक्तियाँ (कारक) जो समूह के सदस्यों को समहू में बने रहने का निमिन बनती हैं।
सामूहिक अचेतन (Collective unconscious) : कार्ल युंग द्वारा अभिगृहीत अचेतन का वंशागत अंश। वह अचेतन जो सभी मानवों में समान रूप से विद्यमान है।
संक्रामक या संचारी रोग (Communicable disease) : किसी विशिष्ट संवमक कारक द्वारा उत्पन्न ऐसी बीमारी जो मनुष्य से मनुष्य में, पशु से पशु में या पर्यावरण से मनुष्य या पशु में बत्यक्ष या अबत्यक्ष रूप से संचारित या अंतरित होती है।
प्रतिस्पर्धा (Competition) : एक ही उपेश्य की प्राप्ति के लिए दो व्यक्तियों या समूहों में परस्पर होड़ उत्पन्न होना।
प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता (Competition tolerance) : किसी ऐसी स्थिति को सहन करने की योग्यता जिसमे लोगों को भौतिक स्थान आदि बुनियादी संसामानों तक के लिए अन्य बहुतों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है।
अनुपालन (Compliance) : सामाजिक बभाव का एक बकार जिसमें एक या अधिक व्यक्ति, बभुत्व न रखते हुए भी, एक या अधिक व्यक्तियों के सीमो अनुरोधों को स्वीकार कर लेते हैं।
घटकीय बुद्धि (Componential intelligence) : स्टर्नबर्ग के त्रिचापीय सिणंत में यह आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक दृष्टि से सोचने की योग्यता का द्योतक है।
द्वंद्व (Conflict) : परस्पर-विरोधी अभिबेरकों, अंतर्नोदों, आवश्यकताओं या लक्ष्यों से उत्पन्न हुए विक्षोभ या तनाव की दशा।
अनुरूपता (Conformity) : सामाजिक बभाव का एक बकार जिसमें व्यक्ति वर्तमान सामाजिक मानकों का अनुपालन करते हुए अपनी अभिवृत्तियों या व्यवहार में परिवर्तन कर लेते हैं।
सर्वसम अभिवृत्ति परिवर्तन (Congruent attitude change) : विद्यमान अभिवृनि की ही दिशा में अभिवृनि में परिवर्तन।
सांदर्भिक बुद्धि (Contextual intelligence) : स्टर्नबर्ग के त्रिचापीय सिणंत में यह व्यावहारिक बुद्धि है जिसका उपयोग दैनिक समस्याओं के समाधान में किया जाता है।
सामना करना (Coping) : ऐसी माँगों के प्रबंधन का प्रयास करने की प्रक्रिया जो बयत्नसामय या व्यक्ति के संसामानों की सीमा का अतिक्रमण करने वाली समझी जाती है।
परामर्श या उपबोधन (Counselling) : समायोजन की प्राप्ति में व्यक्ति की सहायता के लिए विविमा बकार की कार्यविधियों का सामान्य द्योतक शब्द है, जैसे - सलाह देना, चिकित्सात्मक विचार-विमर्श, परीक्षण देना एवं उनकी व्याख्या करना तथा व्यावसायिक सहायता।
परामर्शी साक्षात्कार (Counselling interview) : ऐसी साक्षात्कार जिसका उपेश्य व्यक्तित्व और व्यवसाय चयन आदि के क्षेत्र में परामर्श या मार्गदर्शन प्रदान करना है।
सर्जनात्मकता (Creativity) : विचारों एवं वस्तुओं को उत्पन्न करने की योग्यता तथा समस्या के ऐसे समाधानों को बस्तुत करने की योग्यता जिसमें नयापन हो एवं जो उपयुक्त हों।
भीड़ (Crowding) : अत्यंत कम स्थान की मनोवैज्ञानिक अनुभूति, अतिसंकीर्णता का बत्यक्षण।
भीड़ सहिष्णुता (Crowding tolerance) : उच्च सघनता या भीड़-भाड़ वाले पर्यावरण के प्रति मानसिक रूप से समायोजन करने की योग्यता, जैसे - भीड़ वाले घर में रहना।
संस्कृति-निरपेक्ष परीक्षण (Culture-fair test): ऐसा परीक्षण जो परीक्षार्थियों में सांस्कृतिक अनुभवों के आधार पर विभेदन नहीं करता।
रक्षा युक्तियाँ (Defence mechanisms) : फ्रायड के अनुसार वे तरीके जिनमें ‘अहं’ अचेतन रूप से ‘इदम्’ के अस्वीकार्य आवेगों का बयत्न करता है, जैसा कि दमन, प्रक्षेपण, प्रतिक्रिया-निर्माण, उदानीकरण, युक्तिकरण आदि में होता है।
संस्था-विमुक्ति (Deinstitutionalisation) : पूर्व मानसिक रोगियों कों संस्थाओं से समुदाय में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया।
भ्रमासक्ति (Delusions) : विरुण् दंग का बभूत साक्ष्य रहने के बावजूद विद्यमान अतार्किक/उच्छृंखल विश्वास निर्वैयक्तिकीकरण या व्यक्तित्व-लोप विकार (Depersonalisation कपेवतकमत) %, slk foPNsnh ;k विसाहचर्य विकार जिसमें ‘आत्म’ का बोमा समाप्त हो जाता है।
रोगोन्मुखता-दबाव मॉडल (Diathesis-stress model): यह दृष्टिकोण कि जैविक पूर्वप्रवृनि और जीवन के दबाव आदि कारकों की अंतःक्रिया के परिणामस्वरूप कोई विशिष्ट विकार उत्पन्न हो सकता है।
दायित्व विसरण (Diffusions of responsibility) : यह विचार कि जब अन्य लोग उपस्थित हैं तो किसी कार्य को करने या न करने का उत्तरदायी किसी एक व्यक्ति को नहीं माना जा सकता; कार्य करने के लिए दूसरे सदस्य भी उतने ही उत्तरदायी हैं।
विपदा (Disaster) : विपदा एक अबत्याशित और बायः आकस्मिक घटना है जो किसी समाज की सामान्य दशाओं को विघटित कर देती है तथा व्यापक क्षति, विनाश और मानवीय कष्ट उत्पन्न करती है।
भेदभाव (Discrimination) : ऐसा व्यवहार जिसमें यह अनुभव हो कि दो या अधिक व्यक्तियों के बीच, बायः किसी व्यक्ति (या व्यक्तियों) के प्रति उनको किसी अन्य विशिष्ट समुदाय का सदस्य होने के आधार पर उसके प्रति विभेद किया जाना।
विस्थापन (Displacement) : किसी आवेश को कम संकटकारी या सुरक्षित लक्ष्य की ओर मोड़ देना; मनोविश्लेषणात्मक सिणंत का एक आधारभूत संप्रत्यय; एक रक्षा युक्ति।
विच्छेदन (Dissociation) : चेतनता में विखंडन जिसके कारण कुछ विचार, भावनाएँ या व्यवहार एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर क्रियाशील होते हैं।
पारिस्थितिकी (Ecology) : जीवविज्ञान की वह शाखा जो जीवों का उनके पर्यावरण के साथ संबंधों का अमययन करती है।
अहं (Ego) : व्यक्तित्व का वह अंश जो इदम् और बां जगत के बीच अंतर्रोधी का कार्य करता है।
विद्युत्-आक्षेपी चिकित्सा (Electroconvulsive therapy, ECT) : सामान्यतः इसे आघात चिकित्सा कहा जाता है। यह एकमा्रुवीय अवसाद का एक जैविक उपचार है जिसमें रोगी के सिर से इलेक्ट्रोड संलग्न कर उसमें विद्युत धारा प्रवाहित करके मष्तिष्क तक पहुँचाई जाती है जिससे रोगी को आक्षेप हो जाता है। यह तीव्र अवसाद के रोगियों पर बभावी होती है जिन पर औषधि-चिकित्सा असफल हो जाती है।
सांवेगिक बुद्धि (Emotional intelligence) : जीवन के सांवेगिक पक्ष से संबंधित विशेषकों या योग्यताओं का समूह, जैसे - अपने निजी संवेगों की पहचान एवं प्रबंधन करने, दूसरों के संवेगों की पहचान एवं प्रबंधन करने, स्वयं अपने को उत्प्रेरित करने एवं अपने आवेगों को नियंत्रित रखने तथा बभावी ढंग से अंतर्वैयक्तिक संबंधों पर व्यवहार करने की योग्यताएँ। इसे एक सांवेगिक लब्धि प्राप्तांक (EQ) के रूप में व्यक्त किया जाता है।
तदनुभूति (Empathy) : दूसरे की भावनाओं के प्रति एक सांवेगिक अनुक्रिया करना जो दूसरे व्यक्ति की भावनाओं के समान हो।
पर्यावरण (Environment) : किसी जीव को प्रभावित करने वाली और उसके आस-पास के परिवेश में व्याप्त भौतिक और सामाजिक व्यवस्था की समग्रता।
पर्यावरणी मनोविज्ञान (Environmental psychology) : मनोविज्ञान की एक शाखा जो भौतिक जगत और मानव व्यवहार के बीच अंतःक्रिया पर केंद्रित होती है।
मूल्यांकन बोध (Evaluation apprehension) : उपस्थित व्यक्तियों (श्रोताओं) द्वारा नकारात्मक रूप में मूल्यांकित होने का भय।
परिश्रांति (Exhaustion) : एक ऐसी दशा जिसमें ऊर्जा संसामान व्यवंत हो चुके रहते हैं तथा अनुक्रियाशीलता घटकर न्यूनतम हो जाती है।
झाड़फूंक या भूत अपसारण (Exorcism) : किसी ‘आत्माग्रस्त’ व्यक्ति से दुष्टात्माओं या शक्तियों को निकाल भगाने के लिए अभिकल्पित मार्म-बेरित उपचार विधि।
आनुभविक बुद्धि (Experiential intelligence) : स्टर्नबर्ग के त्रिचापीय सिणंत में पूर्णतः नयी समस्याओं का समाधान करने के लिए सर्जनात्मक ढंग से विगत अनुभवों के उपयोग की योग्यता।
बहिर्मुखता (Extraversion) : व्यक्तित्व की एक विमा जिसमें व्यक्ति की अभिरुचि अपने विचारों या भावनाओं की ओर अंतर्मुखी न होकर प्रकृति या अन्य व्यक्तियों की ओर बहिर्मुखी हो जाती है।
अभिवृत्ति की चरमसीमा (Extremeness of attitude) : तटस्थ बिन्दु से अभिवृत्ति की अधिकतम दूरी।
कारक विश्लेषण (Factor analysis) : सहसंबंधों के उपयोग वाली गणितीय प्रक्रिया जिससे विशेषक पदों या परीक्षण अनुक्रियाओं को गुच्छों या कारकों के रूप में अलग-अलग किया जाता है। इसका उपयोग मूल व्यक्तित्व विशेषकों का पता लगाने के लिए अभिकल्पित परीक्षणों के विकास में किया जाता है।
तरल बुद्धि (Fluid intelligence) : जटिल संबंधों का बत्यक्षण करने, अमूर्त रूप से तर्क करने तथा समस्याओं का समाधान करने की योग्यता।
मुक्त साहचर्य (Free association) : एक मनोगतिक तकनीक जिसमें रोगी मन में आए हुए किसी विचार, भावना या प्रतिमा का शाब्दिक वर्णन करता है, भले ही वह महत्वहीन क्यों न प्रतीत हो।
मूल गुणारोपण त्रुटि (Fundamental attribution error) : व्यवहार के लिए बां कारणों की अपेक्षा आंतरिक कारणों का अधिक गुणारोपण करने की प्रवृत्ति।
सामान्य अनुकूलन संलक्षण (General adaptation syndrome, GAS) : इसमें तीन अवस्थाएँ होती हैं - सचेत अवस्था जो अनुकंपी तंत्रिका तंत्र की क्रियाओं को अग्रसर करती है, प्रतिरोध अवस्था जिसमें जीव संकट का सामना करने का बयत्न करता है तथा परिश्रांति अवस्था जो तब घटित होती है जब जीव संकट पर विजय पाने में असफल रहता है तथा शरीरक्रियात्मक संसामानों को निःशेष कर देता है।
आनुवंशिकी (Genetics) : जीवविज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत बाणियों में जीनों की गुणता स्थानांतरण का अमययन किया जाता है।
गेस्टाल्ट चिकित्सा (Gestalt therapy) : चिकित्सा का एक ऐसा उपागम जो सेवार्थी के विचारों, भावनाओं और व्यवहार को एक एकीकृत संपूर्ण में समाकलित करने का प्रयास करता है।
सा-कारक (g-factor): बुद्धि की सभी अभिव्यक्तियों में निहित मूल बौण्कि क्षमता का संकेत देने वाला सामान्य बुद्धि कारक।
समूह (Group) : दो या अधिक व्यक्ति जो एक-दूसरे से अंतक्रिया करते हैं, साझा लक्ष्य रखते हैं, एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं तथा अपने को एक ही समूह का सदस्य समझते हैं।
समूह परीक्षण (Group test) : वैयक्तिक परीक्षण के विपरीत एक ही समय पर एक से अधिक व्यक्तियों को देने के लिए अभिकल्पित परीक्षण।
समूहचिंतन (Groupthink) :  ̄चतन करने का एक ढंग जिसमें सर्वसम्मत सहमति पर पहुँचने की इच्छा उचित तार्किक और निर्णयकारी प्रक्रियाओं पर हावी हो जाती हैसमूह मा्रुवीकरण का एक उदाहरण।
विभ्रांति (Hallucination) : एक मिथ्या बत्यक्षण जिसमें संगत और उपयुक्त वस्तु के दर्शनीय उपीपक के रूप में न रहने पर भी वस्तु की वास्तविकता का बामयकारी बोमा होता है। यह एक अपसामान्य गोचर है।
परिवेश प्रभाव (Halo effect) : सकारात्मक गुणों को अन्य सकारात्मक गुणों के साथ, जिनके बारे में कोई जानकारी उपलब्मा नहीं है, संबण् करने की प्रवृत्ति।
दृढ़ता (Hardiness) : यह अपने बारे में, जगत के बारे में और इनकी अंतःक्रियाओं के संबन्ध में विश्वासों का एक समुच्चय/ सेट है। इसकी तीन विशेषताएँ होती हैं μ बतिबण्ता, नियंत्रण तथा चुनौती।
समस्थिति (Homeostasis) : शरीर के भीतर शरीरक्रियात्मक संतुलन की दशा।
मानवतावादी उपागम (Humanistic approach) : वह सिणंत जिसमें लोग मूलतः अच्छे होते हैं और कार्यशीलता के उच्चतर स्तर की ओर विकसित होने के लिए बवृन होते हैं।
मानवतावादी चिकित्सा (Humanistic therapy) : ऐसी चिकित्सा पद्धति जिसमें निहित अभिग्रह यह है कि लोगों का अपने व्यवहार पर नियंत्रण होता है, वे स्वयं अपने जीवन के संबंध में चयन कर सकते हैं और अनिवार्य रूप से अपनी समस्याओं के समाधान के लिए उत्तरदायी होते हैं।
स्वकायदुश्चिंता रोग (Hypochondriasis) : एक मनोवैज्ञानिक विकार जिसमें व्यक्ति चिकित्सकों के बार-बार किसी बीमारी के न होने का आश्वासन दिए जाने के उपरांत भी शशरीरिक प्रक्रियाओं के विषय में सोचता रहता है और काल्पनिक बीमारियों के भय से ग्रस्त रहता है।

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