1816- ईसवी को अर्जेनटाइना को स्वतंत्रता मिली। 16 वीं ईसवी शताब्दी के आरंभ में यह देश स्पेन का उपनिवेश बना। 19वीं ईसवी शताब्दी के आरंभ में स्पेन की सेना ब्रिटेन के साथ निरंतर युद्ध के कारण कमजोर पड़ गयी और ब्रिटेन ने अर्जेनटाइना की राजधानी ब्यूनस आयरिस पर अधिकार कर लिया किंतु स्थानीय जनता ने कड़ा प्रतिरोध किया और ब्रिटिश सैनिकों को अपने देश से मार भगाया और अंतत: आज के दिन इस देश को स्वतंत्रता मिल गयी।
1948- ईसवी को एक महीने के संघर्ष विराम के बाद अरबों और जायोनी शासन के बीच दोबारा युद्ध आरंभ हो गया यह युद्ध मई सन 1948 में अतिग्रहणकारी जायोनी शासन की स्थापना के बाद से आरंभ हुआ था और जून के महीने में संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की मांग पर दोनो पक्षों के बीच संघर्ष विराम हुआ। एक महीने के संघर्ष विराम के दौरान ज़ायोनी शासन को अपने पश्चिमी समर्थकों से भारी मात्रा में हथियार और सैन्य उपकरण मिल गये और आज के दिन ज़ायोनियों ने पुन: युद्ध छेड़कर भारी सफलता भी प्राप्त कर ली।
1972- ईसवी को फिलिस्तीनी लेखक ग़स्सान कनआनी और उनके भतीजे को ज़ायोनी शासन की भयानक जासूसी संस्था मोसाद के तत्वों ने शहीद कर दिया। श्री कनआनी, जो ज़ायोनी शासन के विरुद्ध व्यापक संघर्ष में भी शामिल थे, उस समय शहीद हो गये जब लेबनान की राजधानी बैरुत में मोसाद द्वारा उनकी गाड़ी में रखा गया बम विस्फोटित हो गया इसके 16 दिन बाद उनके सहायक बस्साम अबू शरीफ भी एक धमाके में घायल होने के बाद शहीद हो गये।
2002- ईसवी को अफ़्रीक़ी देशों के राष्ट्राध्यक्षों की सहमति से अफ़्रीक़ी संघ ने अफ़्रीक़ा एकता संगठन का स्थान लिया। यह संगठन सन 1963 में बनाया गया था। इसका उददेश्य अफ़्रीक़ी देशों के बीच मतभेदो को दूर करना और उनकी समस्याओं का समाधान करना था।
1948- ईसवी को एक महीने के संघर्ष विराम के बाद अरबों और जायोनी शासन के बीच दोबारा युद्ध आरंभ हो गया यह युद्ध मई सन 1948 में अतिग्रहणकारी जायोनी शासन की स्थापना के बाद से आरंभ हुआ था और जून के महीने में संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद की मांग पर दोनो पक्षों के बीच संघर्ष विराम हुआ। एक महीने के संघर्ष विराम के दौरान ज़ायोनी शासन को अपने पश्चिमी समर्थकों से भारी मात्रा में हथियार और सैन्य उपकरण मिल गये और आज के दिन ज़ायोनियों ने पुन: युद्ध छेड़कर भारी सफलता भी प्राप्त कर ली।
1972- ईसवी को फिलिस्तीनी लेखक ग़स्सान कनआनी और उनके भतीजे को ज़ायोनी शासन की भयानक जासूसी संस्था मोसाद के तत्वों ने शहीद कर दिया। श्री कनआनी, जो ज़ायोनी शासन के विरुद्ध व्यापक संघर्ष में भी शामिल थे, उस समय शहीद हो गये जब लेबनान की राजधानी बैरुत में मोसाद द्वारा उनकी गाड़ी में रखा गया बम विस्फोटित हो गया इसके 16 दिन बाद उनके सहायक बस्साम अबू शरीफ भी एक धमाके में घायल होने के बाद शहीद हो गये।
2002- ईसवी को अफ़्रीक़ी देशों के राष्ट्राध्यक्षों की सहमति से अफ़्रीक़ी संघ ने अफ़्रीक़ा एकता संगठन का स्थान लिया। यह संगठन सन 1963 में बनाया गया था। इसका उददेश्य अफ़्रीक़ी देशों के बीच मतभेदो को दूर करना और उनकी समस्याओं का समाधान करना था।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें