ज्योलिकोट उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में स्थित है। ज्योलिकोट की खुबसूरती पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यहां पर दिन के समय गर्मी और रात के समय ठंड पडती है। आसमान आमतौर पर साफ और रात तारों भरी होती है। कहा जाता है कि बहुत पहले श्री अरबिंदो और स्वामी विवेकानन्द भी यहां की यात्रा कर चुके हैं। पर्यटक यहां के गांवों के त्योहारों और उत्सवों का आनंद भी ले सकते हैं। ज्योलिकोट उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में स्थित है। ज्योलिकोट की खुबसूरती पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। यहां पर दिन के समय गर्मी और रात के समय ठंड पडती है। आसमान आमतौर पर साफ और रात तारों भरी होती है। कहा जाता है कि बहुत पहले श्री अरबिंदो और स्वामी विवेकानन्द भी यहां की यात्रा कर चुके हैं। पर्यटक यहां के गांवों के त्योहारों और उत्सवों का आनंद भी ले सकते हैं। यहां से कुछ ही दूरी पर कुमाऊं की झील, बिनसर, कौसानी, रानीखेत और कार्बेट नेशनल पार्क स्थित हैं। छोटी या एक दिन की यात्रा के लिए ज्योलिकोट सबसे आदर्श पर्यटन स्थल माना जाता है। ज्योलिकोट में अनेक पहाडियां हैं जो एक-दूसरे से जुडी हुई हैं। इन पहाडियों में अनेक गुप्त रास्ते हैं।
ब्रिटिश राज के समय इन रास्तों का प्रयोग संदेशों के आदान-प्रदान के लिए किया जाता है। यहां पर अनेक हिल रिजार्ट भी हैं। इन रिजार्ट में ठहरने और पहाडों में घूमने के अलावा भी यहां पर करने के लिए बहुत कुछ है। ज्योलिकोट में भारत का सबसे पुराना 18 होल्स का गोल्फ कोर्स है। इसके अलावा नैनी झील और सत्तल में नौकायन का आनंद लिया जा सकता है। किलबरी में बर्फ की सुन्दर चोटियों को देखा जा सकता है। यह कॉटेज वगरेमाउंट एस्टेट का भाग है और आजादी मिलने तक यह होटल के रूप में प्रसिद्ध था। उस समय इस पर स्कॉटलैण्ड की एक महिला और उसकी बेटी का अधिकार था। इसके बाद भुवन कुमारी ने उनसे इस होटल को खरीद लिया और इसमें अनेक सुधार कर इसको एक जाना-माना कॉटेज बना दिया। यह कॉटेज पहाडियों से घिरा हुआ है। इस कॉटेज के निर्माण के समय इस बात का पूरा ध्यान रखा गया है कि इसके आस-पास की प्राकृतिक सुन्दरता कम न हो। इस कॉटेज के पास लगभग आठ एकड के क्षेत्र में फलदार वृक्ष, खुशबूदार ङाडियो और फूलों के वृक्ष फैले हुए हैं। इसके अलावा यहां पर नाशपाती, आडु और आलुबूखारा आदि फलों के वृक्ष बहुतायत में लगे हुए हैं। चांदनी रात में यहां की छटा देखने लायक होती है।
ज्योलिकोट पहाडियों से घिरा हुआ है और यहां पर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर और मठ बने हुए हैं। यह सभी जंगलों में थोडी-थोडी दूरी पर स्थित है। यहां के प्रत्येक मंदिर और मठ के साथ बुर्रा साहिब की कहानियां जुडी हुई हैं। इन मंदिरों और मठों के अलावा यहां पर एक छोटा-सा बंगला भी है। कहा जाता है कि किसी समय यहां पर नेपोलियन बोनापार्ट की बेटी रहती थी, जो यहां रहने वाले एक स्थानीय लडके से प्यार करने लगी थी। बंगले के अलावा यहां पर वार्विक साहिब का घर भी है। वार्विक साहिब ब्रिटिश थल सेना के रिटायर्ड मेजर थे। यह जानना बडा ही दिलचस्प है की उनके मरने के बाद पता चला था कि वह एक महिला थी। स्थानीय लोग कहते हैं कि उनकी आत्मा आज भी इस घर में भटकती है।
पर्यटकों के पास ज्यादा समय नहीं है तो वह एक दिन की पिकनिक के लिए भी यहां आ सकते हैं। सरकार ने ज्योलिकोट में एक बागवानी केन्द्र भी बनाया है। पर्यटक अगर चाहें तो यहां से ताजा शहद और पौधे ले सकते हैं। इस केन्द्र से गाईडों को किराए पर भी ले सकते हैं।अगर पर्यटक बर्फ से ढकी चोटियों को देखना चाहते हैं तो वह पंगोट और किलबरी जा सकते हैं। जो नैनीताल की बाहरी सीमा के पास है। पंगोट और किलबरी जाते समय रास्ते में अनेक जगह आती हैं जहां रूककर विश्राम भी किया जा सकता है।
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