कोवलम एक दूसरे से सटे तीन अर्धचन्द्राकार सागर तटों वाला अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बीच है। यह पर्यटकों, खासकर यूरोपीय पर्यटकों का 1930 के दशक से ही पसंदीदा पर्यटन स्थल रहा है। यहां एक विशाल चट्टानी प्रोत्तुंग ने समुद्र में नहाने के लिए शांत जल का एक सुन्दर खाड़ी का निर्माण कर दिया है। इस बीच पर छुट्टियां बिताने के अनेक विकल्प हैं। रेत पर धूपस्नान, तैराकी, जड़ी-बूटियों पर आधारित शरीर की मालिश, विशिष्ट सांस्कृतिक कार्यक्रम और कैटामारैन क्रूजिंग उनमें से कुछ प्रमुख हैं। ऊष्ण कटिबंधीय सूरज की धूप इतनी तीखी होती है कि आप मिनटों में अपनी त्वचा पर धूप-ताम्रता को महसूस करने लगेंगे। बीच पर चहल-पहल दोपहर ढलने के बाद शुरू होता है और देर रात तक जारी रहता है। बीच कॉम्प्लेक्स के अंतर्गत बजट कॉटेज, आयुर्वेदिक हेल्थ रिजॉर्ट, सम्मेलन सुविधा, शॉपिंग जोन, स्विमिंग पूल, योग और आयुर्वेदिक मसाज की व्यवस्था है। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम को त्रिवेंद्रम के नाम से भी पुकारा जाता है। देवताओं की नगरी के नाम से मशहूर इस शहर को महात्मा गांधी ने सदाबहार शहर की संज्ञा दी थी। इस शहर का नाम शेषनाग अनंत के नाम पर पड़ा जिनके ऊपर पद्मनाभस्वामी (भगवान विष्णु)विश्राम करते हैं। तिरुवनंतपुरम, एक प्राचीन नगर है जिसका इतिहास 1000 ईसा पूर्व से शुरु होता है। त्रावणकोर के संस्थापक मरतडवर्मा ने तिरुवनंतपुरम को अपनी राजधानी बनाया जो उनकी मृत्यु के बाद भी बनी रही।
आजादी के बाद यह त्रावणकोर- कोचीन की राजधानी बनी। 1956 में केरल राज्य के बनने के बाद से यह केरल की राजधानी है। पश्चिमी घाट पर स्थित यह नगर प्राचीन काल से ही एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र रहा है। तिरुवनंतपुरम की सबसे बड़ी पहचान श्री पद्मनाभस्वामी का मंदिर है जो करीब 2000 साल पुराना है। अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने के बाद से यह शहर एक प्रमुख पर्यटक और व्यवसायिक केंद्र के रूप में स्थापित हुआ है। इसकी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और खूबसूरत तटों से आकर्षित होकर प्रतिवर्ष हजारों पर्यटक यहां खीचें चले आते हैं।
यहां आने का सर्वोत्तम समय: सितंबर से मार्च, हालांकि यहां सालों भर आया जा सकता है।
क्या देखें
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर
यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है तथा तिरुवनंतपुरम का ऐतिहासिक स्थल है। पूर्वी किले के अंदर स्थित इस मंदिर का परिसर बहुत विशाल है जिसका अहसास इसका सात मंजिला गोपुरम देखकर हो जाता है। केरल और द्रविड़ियन वास्तुशिल्प में निर्मित यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है। पद्मा तीर्थम, पवित्र कुंड, कुलशेकर मंडप और नवरात्रि मंडप इस मंदिर को और भी आकर्षक बनाते हैं। 260 साल पुराने इस मंदिर में केवल हिंदु ही प्रवेश कर सकते हैं। पुरुष केवल सफेद धोती पहन कर यहां आ सकते हैं। इस मंदिर का नियंत्रण त्रावणकोर शाही परिवार द्वारा किया जाता है। इस मंदिर में दो वार्षिकोत्सव मनाए जाते हैं- एक पंकुनी के महीने (15 मार्च-14 अप्रैल) में और दूसरा ऐप्पसी के महीने(अक्टूबर-नवंबर) में। इन समारोहों में हजारों की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।
तिरुवनंतपुरम वेधशाला
यह वेधशाला तिरुवनंतपुरम के संग्रहालय परिसर में स्थित है। महाराजा स्वाति तिरुल ने 1837 में इसका निर्माण करवाया था। यह भारत की सबसे पुरानी वेधशालाओं में से एक है। यहां आप अंतरिक्ष से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त कर सकते है। पहाड़ी के सामने एक खूबसूरत बगीचा है जहां गुलाब के फूलों का बेहतरीन संग्रह है। वर्तमान में इसकी देखरेख भौतिकी विभाग, केरल विश्वविद्यालय द्वारा की जाती है।
चिड़ियाघर
पी.एम.जी. जंक्शन के पास स्थित यह चिड़ियाघर भारत का दूसरा सबसे पुराना चिड़ियाघर है। 55 एकड़ में फैला यह जैविक उद्यान वनस्पति उद्यान का हिस्सा है। इसका निर्माण 1857 ई. में त्रावणकोर के महाराजा द्वारा बनाए गए संग्रहालय के एक भाग के रूप में हुआ था। यहां देशी-विदेशी वनस्पति और जंतुओं का संग्रह है। यहां आने पर ऐसा लगता है जैसे कि शहर के बीचों बीच एक जंगल बसा हो। रैप्टाइल हाउस में सांपों की अनेक प्रजातियां रखी गई हैं। इस चिड़ियाघर में नीलगिरी लंगूर, भारतीय गैंडा, एशियाई शेर और रॉयल बंगाल टाइगर भी आपको दिख जाएगें।
समय: सुबह 10-शाम 5 बजे तक, सोमवार को बंद
दूरभाष: 0471-2316275
वाइजिनजाम
तिरुवनंतपुरम से17 किमी. दूर वाइजिनजाम मछुआरों का गांव है जो आयुर्वेदिक चिकित्सा और बीच रिजॉर्ट के लिए प्रसिद्ध है। वाइजिनजाम का एक अन्य आकर्षण चट्टान को काट कर बनाई गई गुफा है जहां विनंधरा दक्षिणमूर्ति का एक मंदिर है। इस मंदिर में 18वीं शताब्दी में चट्टानों को काटकर बनाई गई प्रतिमाएं रखी गई हैं। मंदिर के बाहर भगवान शिव और देवी पार्वती की अर्धनिर्मित प्रतिमा स्थापित है। वाइजिनजाम में मैरीन एक्वैरियम भी है जहां रंगबिरंगी और आकर्षक मछलियां जैसे क्लाउन फिश, स्क्विरिल फिश, लायन फिश, बटरफ्लाइ फिश, ट्रिगर फिश रखी गई हैं। इसके अलावा आप यहां सर्जिअन फिश और शार्क जैसी शिकारी मछलियां भी देख सकते हैं।
समय: सुबह 9 बजे- रात 8 बजे तक
दूरभाष: 0471-2480224
कनककुन्नु महल
नेपिअर संग्रहालय से 800 मी. उत्तर पूर्व में स्थित यह महल केरल सरकार से संबंद्ध है। एक छोटी-सी पहाड़ी पर बने इस महल का निर्माण श्री मूलम तिरुनल राजा के शासन काल में हुआ था। इस महल की आंतरिक सजावट के लिए खूबसूरत दीपदानों और शाही फर्नीचर का प्रयोग किया गया है। यहां स्थित निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम और सूर्यकांति ओडिटोरिअम में अनेक सांस्कृतिक सम्मेलनों और कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। पर्यटन विभाग निशागंधी ओपन एयर ओडिटोरिअम में प्रतिवर्ष अखिल भारतीय नृत्योत्सव का आयोजन करता है। इस दौरान जानेमाने कलाकार भारतीय शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं।
नेपियर संग्रहालय
लकड़ी से बनी यह आकर्षक इमारत शहर के उत्तर में म्यूजियम रोड पर स्थित है। यह भारत के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक है। इसका निर्माण 1855 में हुआ था। मद्रास के गवर्नर लॉर्ड चाल्र्स नेपियर के नाम पर इस संग्रहालय का नाम रखा गया है। यहां शिल्प शास्त्र के अनुसार 8वीं-18वीं शताब्दी के दौरान कांसे से बनाई गई शिव, विष्णु, पार्वती और लक्ष्मी की प्रतिमाएं भी प्रदर्शित की गई हैं।
चाचा नेहरु बाल संग्रहालय
यह बच्चों के आकर्षण का केंद्र है। इसकी स्थापना 1980 में की गई थी। यह सिटी सेंट्रल बस स्टेशन से 1 किमी. उत्तर में स्थित है। इस संग्रहालय में विभिन्न परिधानों में सजी 2000 आकृतियां रखी गई हैं। यहां हेल्थ एजुकेशन डिस्प्ले, एक छोटा एक्वेरिअम और मलयालम में प्रकाशित पहली बाल साहित्य की प्रति भी प्रदर्शित की गई है।
शंखुमुखम बीच
यह बीच शहर से लगभग 8 किमी. दूर है। इसके पास ही तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डा है। इंडोर मनोरंजन क्लब, चाचा नेहरु ट्रैफिक ट्रैनिंग पार्क, मत्सय कन्यक और स्टार फिश के आकार का रेस्टोरेंट यहां के मुख्य आकर्षण हैं। नाव चलाते सैकड़ों मछुवारे और सूर्यास्त का नजारा यहां बहुत ही सुंदर दिखाई देता है। मंदिरों में होने वाले उत्सवों के समय इस बीच पर भगवान की प्रतिमाओं को पवित्र स्नान कराया जाता है।
कोवलम बीच
तिरुवनंतपुरम से 16 किमी. दूर स्थित कोवलम बीच केरल का एक प्रमुख पर्यटक केंद्र है। रेतीले तटों पर नारियल के पेड़ों और खूबसूरत लैगून से सजे ये बीच पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। कोवलम बीच के पास तीन और तट भी हैं जिनमें से दक्षिणतम छोर पर स्थित लाइट हाउस बीच सबसे अधिक प्रसिद्ध है। यह विश्व के सबसे अच्छे तटों में से एक है। कोवलम के तटों पर अनेक रेस्टोरेंट हैं जिनमें आपको सी फूड मिल जाएगें।
अट्टुकल पोंगल
यह महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध उत्सव है। यह उत्सव तिरुवनंतपुरम से 2 किमी. दूर देवी के प्राचीन मंदिर में मनाया जाता है। 10 दिनों तक चलने वाले पोंगल उत्सव की शुरुआत मलयालम माह मकरम-कुंभम (फरवरी-मार्च) के भरानी दिवस (कार्तिक चंद्र) को होती है। पोंगल एक प्रकार का व्यंजन है जिसे गुड़, नारियल और केले के निश्चित मात्रा को मिलाकर बनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह देवी का पसंदीदा पकवान है। धार्मिक कार्य प्रात:काल ही शुरु हो जाते हैं और दोपहर तक चढ़ावा तैयार कर दिया जाता है। पोंगल के दौरान पुरुषों का मंदिर में प्रवेश वर्जित होता है। मुख्य पुजारी देवी की तलवार हाथों में लेकर मंदिर प्रांगण में घूमता है और भक्तों पर पवित्र जल और पुष्प वर्षा करता है।
संपर्क करें
असिसटेंट वाइल्ड लाइफ वार्डन,
नेय्यर वाइल्ड लाइफ सेंचुरी,
नेय्यर डैम,
तिरुवनंतपुरम
दूरभाष: 0471-2272182
कैसे जाएं
वायु मार्ग: तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए चैन्नई, दिल्ली, गोवा, मुंबई से उड़ाने जाती हैं।
रेल मार्ग: मैंगलोर, अर्नाकुलम, बैंगलोर, चैन्नई, दिल्ली, गोवा, मुंबई, कन्याकुमारी और अन्य शहरों से यहां के लिए रेलगाड़ियां चलती हैं। त्रिसूर के रोजाना करीब सात ट्रेनें यहां आती हैं। कोलम और कोच्चि से भी प्रतिदिन यहां ट्रेन आती है।
सड़क मार्ग: कोच्चि, चैन्नई, मदुरै, बैंगलोर और कन्याकुमारी से तिरुवनंतपुरम के लिए बसें चलती हैं। लंबी दूरी की बसें सेंट्रल बस स्टेशन (केएसआरटीसी, तिरुवनंतपुरम बस टर्मिनल) से जाती हैं।
खरीदारी
खरीदारी के शौकीनों के लिए तिरुवनंतपुरम बिल्कुल सही जगह है। यहां ऐसी अनेक चीजें मिलती हैं जो कोई भी व्यक्ति अपने साथ ले जाना चाहेगा। केरल का हस्तशिल्प पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां से पारंपरिक हस्तशिल्प जैसे तांबे का सामान, बांस का फर्नीचर लिया जा सकता हैं। कथककली के मुखौटे और पारंपरिक परिधान अनेक दुकानों पर मिलते हैं। सरकारी दुकानों के अलावा चलाई बाजार, कोन्नेमारा मार्केट, पावन हाउस रोड के पास की दुकानें और एम.जी.रोड, अट्टुकल शॉपिंग कॉम्प्लेक्स (पूर्वी किला), नर्मदा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स (कोडियार) से भी खरीदारी की जा सकती है। अधिकतर दुकानें सुबह 9 बजे-रात 8 बजे तक तथा सोमवार से शनिवार तक खुली रहती हैं।
खानपान
त्रिवेंद्रम के हर प्रमुख रोड के कोने पर चाय और पान की दुकानें मिल जाएंगी। केले के चिप्स यहां की खासियत है। स्वादिष्ट केले के चिप्स के लिए कैथामुक्कु या वाईडब्ल्यूसीए रोड, ब्रिटिश लाइब्रेरी के पास जा सकते हैं। यहां ताजे और अच्छे चिप्स मिलते हैं। त्रिवेंद्रम में ऐसे कई रेस्टोरेंट भी हैं जो उत्तर भारतीय भोजन परोसते है। यहां नारियल के तेल का प्रयोग प्राय: हर व्यंजन में होता है। तिरुवनंतपुरम शहर के दर्शनीय स्थल हैं- नेपियर म्यूजियम, श्री चित्रा आर्ट गैलरी, पद्मनाभस्वामी मंदिर, पोन्मुडि हिल स्टेशन आदि। राज्य सरकार का हस्तशिल्प एम्पोरियम एसएमएसएम इंस्टीट्यूट एक बढ़िया जगह है जहां से आप दुर्लभ कलाकृतियां और अन्य वस्तुएं खरीद सकते हैं।
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