काम वाला फ़ोन!
एक साहब के घर फ़ोन का बहुत अधिक बिल आने पर उन्होंने अपने घर के सभी लोगों को बुलाया और बोले, "देखो, मुझे इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नही हो रहा है कि फ़ोन का इतना अधिक बिल कैसे आ सकता है? जबकि मैं तो सारे फ़ोन अपने ऑफिस के फ़ोन से करता हूँ।"
पत्नी: जी बिल्कुल, मैं भी। मैं तो कभी भी इस फ़ोन से फ़ोन नही करती क्योंकि मेरे पास तो अपना ऑफिस वाला फ़ोन है।
बेटा: मुझे भी तो मेरी कंपनी वालों ने बिल्कुल नया फ़ोन दिया है और मैं भी तो उसी से फ़ोन करता हूँ।
आदमी: अगर सभी अपने काम वाले फ़ोन से फ़ोन करते हैं तो फिर इतना ज्यादा बिल कैसे आ सकता है?
(यह कहते हुए साहब अपनी नौकरानी की तरफ देखने लगे।)
नौकरानी: तो इसमें क्या दिक्कत है साहब? अगर सभी अपने काम वाले फ़ोन से ही फ़ोन करते हैं तो मैं भी तो वही करती हूँ।
👾😜
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मांग का महत्त्व!
क्या आपने कभी सोचा है कि औरतें मांग क्यूं भरती हैं?
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नहीं पता न...
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मैं बताता हूँ।
औरतें मांग इसलिए भरती हैं ताकि लोगों को पता चल जाए कि इस प्लाट की रजिस्ट्री हो चुकी है।
पुरुष कभी मांग नहीं भरते क्योंकि ये तो गोचर भूमि है, इसकी रजिस्ट्री नही हो सकती।
शादी के समय आपने देखा होगा वरमाला का समय होता है तब दुल्हन के साथ तीन चार और लडकियां आती हैं, उसका क्या तात्पर्य है?
उसका तात्पर्य है कि जिस प्लाट की रजिस्ट्री हो रही होती है उसके नक्शे में आस-पास खाली प्लाट दिखाने पड़ते हैं।
इसमे भी एक समस्या है कि कुछ की रजिस्ट्री हो चुकी होती है और बाकियों पर अवैध कब्जा चल रहा होता है।
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कबीर के आधुनिक दोहे!
यदि कबीर जिन्दा होते तो आजकल के दोहे यह होते:
नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात;
बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात;
पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज;
कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज;
भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास;
बहन पराई हो गयी, साली खासमखास;
मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश;
बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश;
बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान;
पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान;
पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग;
मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग;
फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर;
पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर;
पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप;
भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप।
😛
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राज़ की बात!
भारतीय लड़कियां खेलों में अच्छी क्यों नहीं हैं?
क्योंकि, सिर्फ 10% क्रिकेट, हॉकी, टेनिस, बैडमिंटन, शतरंज आदि खेलती हैं बाकि कि 90% तो "जानू" से खेलने में व्यस्त रहती हैं।
जानू कहाँ हो?
जानू क्या कर रहे हो?
जानू कब आओगे?
जानू आप मुझसे प्यार करते हो न?
जानू किसके साथ हो?
जानू मुझे ये चाहिए।
जानू फिल्म देखने चलें, जानू ये क्या है?
जानू क्या किया दिनभर?
जानू आपने मुझे याद किया न?
जानू कुछ तो बोलो।
जानू मुझे आपकी बहुत याद आ रही है।
जानू ये।
जानू वो।
जानू कुछ नहीं।
"जान ले लो जानू की।"
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