राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, 'मलेरिया' एक जानलेवा बीमारी, विश्व पशु चिकित्सा दिवस, अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, 'मलेरिया' एक जानलेवा बीमारी, विश्व पशु चिकित्सा दिवस, अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस

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राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस ( National Panchayati Raj Day) प्रत्येक वर्ष 24 अप्रॅल को मनाया जाता है। पंचायती राज व्यवस्था में ग्रामतहसील, तालुका और ज़िला आते हैं। भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राजव्यवस्था अस्तित्व में रही है, भले ही इसे विभिन्न नाम से विभिन्न काल में जाना जाता रहा हो। पंचायती राज व्यवस्था को कमोबेश मुग़ल काल तथा ब्रिटिश काल में भी जारी रखा गया। ब्रिटिश शासन काल में 1882 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड रिपन ने स्थानीय स्वायत्त शासन की स्थापना का प्रयास किया था, लेकिन वह सफल नहीं हो सका।

ब्रिटिश शासकों ने स्थानीय स्वायत्त संस्थाओं की स्थिति पर जाँच करने तथा उसके सम्बन्ध में सिफ़ारिश करने के लिए 1882 तथा 1907 में शाही आयोग का गठन किया। इस आयोग ने स्वायत्त संस्थाओं के विकास पर बल दिया, जिसके कारण 1920 में संयुक्त प्रान्त, असमबंगालबिहारमद्रास और पंजाब में पंचायतों की स्थापना के लिए क़ानून बनाये गये। वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पंचायत राज दिवस के राष्ट्रीय समारोह में आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में छत्तीसगढ़ दुर्ग ज़िले की सरपंच श्रीमती शारदा सिंह ध्रुव (ग्राम पंचायत निकुम) के भाषण की जमकर तारीफ की। समारोह में महिला सरपंच श्रीमती ध्रुव देश के विभिन्न राज्यों से आए पंचायत प्रतिनिधियों की प्रशंसा का केन्द्र बन गयी। उल्लेखनीय है कि इस राष्ट्रीय समारोह में हजारों की संख्या में मौजूद पंचायत प्रतिनिधियों में से केवल छत्तीसगढ़ की महिला सरपंच श्रीमती धु्रव को ही मंच से प्रधानमंत्री के सामने भाषण देने का अवसर मिला। महिला सरपंच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी ग्राम पंचायत निकुम और छत्तीसगढ़ में आने के लिए आमंत्रण भी दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने उदबोधन में छत्तीसगढ़ की महिला सरपंच के आत्मविश्वास और उनके द्वारा अपनी ग्राम पंचायत में किए गए कार्यो की जमकर प्रशंसा की। मोदी जी ने कहा कि यदि यदि महिला सरपंचों को कार्य करने का पूरा अवसर दिया जाएगा, तो वो भी श्रीमती शारदा सिंह की तरह पूरे आत्मविष्वास से कार्य कर सकेगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह आत्मविश्वास का ही नतीजा है कि श्रीमती शारदा सिह धु्रव ने धारा प्रवाह भाषण दिया और कहा कि उन्हें अपनी ग्राम पंचायत में हुए और हो रहे विकास कार्यों की पूरी जानकारी है।  केन्द्रीय पंचायत राज मंत्री वीरेन्द्र सिंह, छत्तीसगढ़ सरकार के पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री, अजय चन्द्राकर और अपर मुख्य सचिव एम.के. राउत भी इस मौके पर मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर एक सम्मेलन को सम्बोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि
"पंचायतों को पंचवर्षीय योजनाओं की आदत डालनी चाहिए, सिर्फ बजट से गांव की स्थिति नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि गांवों में बच्चों का स्कूल छोड़ना चिंता का कारण है और हमें गांव के स्तर पर सोचना होगा। इसलिए हर सप्ताह 'अपना गांव अपना विकास' पर चर्चा हो"।
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विश्व मलेरिया दिवस सम्पूर्ण विश्व में '25 अप्रैल' को मनाया जाता है। 'मलेरिया' एक जानलेवा बीमारी है, जो मच्छर के काटने से फैलती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को यदि सही समय पर उचित इलाज तथा चिकित्सकीय सहायता न मिले तो यह जानलेवा सिद्ध होती है। मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो हज़ारों वर्षों से मनुष्य को अपना शिकार बनाती आई है। विश्व की स्वास्थ्य समस्याओं में मलेरिया अभी भी एक गम्भीर चुनौती है। हर दिन का अपना एक ख़ास महत्त्व होता है। फिर चाहे वह खुशी का दिन हो या दु:ख का। 'विश्व मलेरिया दिवस' एक ऐसा ही दिन है, जिसे पहली बार '25 अप्रैल,2008' को मनाया गया था। यूनिसेफ़ द्वारा इस दिन को मनाने का उद्देश्य मलेरिया जैसे ख़तरनाक रोग पर जनता का ध्यान केंद्रित करना था, जिससे हर साल लाखों लोग मरते हैं।

इस मुद्दे पर 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' का कहना है कि मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम चलाने से बहुत-सी जानें बचाई जा सकती हैं। 'मलेरिया' एक प्रकार का बुखार है। इसमें बुखार ठण्‍ड (कंपकपी) के साथ आता है। इस बुखार के मुख्य लक्षण हैं- सरदर्द, उलटी और अचानक तेज सर्दी लगना। मलेरिया मुख्यत: संक्रमित मादा एनाफ़िलीज मच्‍छर द्वारा काटने पर ही होता है। जब संक्रमित मादा एनाफ़िलीज मच्‍छर किसी स्वस्थ व्‍यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्‍त में मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देता है। संक्रमित मच्‍छर के काटने के 10-12 दिनो के बाद उस व्‍यक्ति में मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं। मलेरिया के रोगी को काटने पर असंक्रमित मादा एनाफ़िलीज मच्‍छर रोगी के रक्त के साथ मलेरिया परजीवी को भी चूस लेते हैं व 12-14 दिनों में ये मादा एनाफ़िलीज मच्‍छर भी संक्रमित होकर जितने भी स्‍वस्थ मनुष्‍यों को काटते हैं, उनमें मलेरिया फैलाने में सक्षम होते हैं।
'डब्ल्यूएचओ' (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की एक रिपोर्ट कहती है कि साल 2000 से अब तक मलेरिया से होने वाली मौतों में 25 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। इसमें कहा गया है कि मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित 99 में से 50 देश 2015 तक मलेरिया के मामलों में 75 फीसदी तक की कमी लाने के रास्ते पर हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, इस उपलब्धि के बावजूद हकीकत यह है कि आज भी दुनिया में मलेरिया से हर साल क़रीब छह लाख 60 हज़ार लोगों की मौत हो जाती है। इनमें से ज्यादातर बच्चे होते हैं। यदि गौर किया जाए तो भारत की स्वतंत्रता के बाद से अब तक हज़ारों लोग इस बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं। मलेरिया एक जटिल बीमारी है। मानव गतिविधियाँ और प्राकृतिक आपदाएं, जैसे- अत्यधिक वर्षाबाढ़अकाल और अन्य आपदाएं इस बीमारी की संक्रमण क्षमता को तेजी से बढ़ाती हैं। 'स्वास्थ्य मंत्रालय' के 'राष्ट्रीय मच्छर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम' (एनवीबीडीसीपी) देश में प्रतिवर्ष क़रीब 15 लाख मलेरिया के मरीजों की संख्या दर्ज करता है। इनमें से 50 प्रतिशत मलेरिया प्लाज्‍मोडियम फैल्सीपरम मच्छर के काटने से फैलता है। स्वतंत्रता के बाद मलेरिया पर रोकथाम के लिए 'भारत सरकार' ने वर्ष 1953 में 'राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम' (एनएमसीपी) चलाने के साथ ही डीडीटी का छिड़काव शुरू किया था, जबकि 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' के अनुरोध पर वर्ष 1958 में 'राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम' (एनएमईपी) और आगे चलकर 'मोडिफ़ाइड प्लान ऑफ़ ऑपरेशन' (एमपीओ) नाम से नई योजना शुरू की गई।
'25 अप्रैल' 'विश्व मलेरिया दिवस' का दिन है, जब मलेरिया को जड़ से मिटाने के लिए कारगार कदम उठाने के भरसक प्रयासों को हरी झंडी दी गई थी। साथ ही जनता को मलेरिया के प्रति जागरूक करने और इस रोग पर लोगों का ध्यान आकर्षित करने की पहल की गई थी। मलेरिया पूरे विश्व में महामारी का रूप धारण कर चुका है। ख़ासकर विकासशील देशों में मलेरिया कई मरीजों के लिए मौत का पैगाम बनकर सामने आया है। मच्छरों के कारण फैलने वाली इस बीमारी में हर साल कई लाख लोग जान गवाँ देते हैं। 'प्रोटोजुअन प्लाज्‍मोडियम' नामक कीटाणु मादा एनोफिलीज मच्छर के माध्यम से फैलते है। ये मच्छर एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे तक कीटाणु फैलाने का काम भी करते है। यूनिसेफ़ का मलेरिया को लेकर कहना है कि अफ़्रीका के कुछ देशों सहित अन्य देशों में मच्छर के कारण हो रही मौतों को रोकने के और अधिक उपाय करने होंगे। इसके अलावा ग्रामीण एवं गरीब लोगों वाले ऐसे क्षेत्रों तक ज्यादा पहुँच बढ़ानी होगी, जहाँ मलेरिया एक बड़े खतरे का रूप ले चुका है। यूनिसेफ़ के मुताबिक मलेरिया को आसानी से मात दी जा सकती हैं, बस जरूरत है विश्व को मलेरिया के ख़िलाफ़ एकजुट होने की। मलेरिया एक वैश्विक जन-स्वास्थ्य समस्या है। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' का कहना है कि हर साल मलेरिया के कारण विश्व में हो रही मौतों की ओर लोगों का ध्यान खींचने के लिए '25 अप्रैल' को 'विश्व मलेरिया दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है। गौरतलब है कि पिछले कई सालों से 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' (डब्ल्यूएचओ) इस दिन को 'अफ़्रीका मलेरिया दिवस' के तौर पर मनाता था, लेकिन दुनिया के बाक़ी हिस्सों में भी जागरूकता लाने के लिए इसे वैश्विक आयोजन का रूप दिया गया। 'विश्व स्वास्थ्य संगठन' के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में हर वर्ष क़रीब 50 करोड़ लोग मलेरिया से पीड़ित होते हैं; जिनमें क़रीब 27 लाख रोगी जीवित नहीं बच पाते, जिनमें से आधे पाँच साल से कम के बच्चे होते हैं। मच्छर मलेरिया के रोगाणु का केवल वाहक है। रोगाणु मच्छर के शरीर में एक परजीवी की तरह फैलता है और मच्छर के काटने पर उसकी लार के साथ मनुष्य के शरीर में पहुँचता है। रोगाणु केवल एक कोषीय होता है, जिसे 'प्लास्मोडियम' कहा जाता है।रोगाणु की क़िस्म के अनुसार मलेरिया के तीन मुख्य प्रकार हैं- 'मलेरिया टर्शियाना', 'क्वार्टाना' और 'ट्रोपिका'। इनमें सबसे ख़तरनाक है- 'मलेरिया ट्रोपिका', जो 'पी.फ़ाल्सिपेरम' नामक रोगाणु से फैलता है औरभारत में भी चारों और फैला हुआ है।मलेरिया का संक्रमण होने और बीमारी फैलने में रोगाणु की किस्म के आधार पर 7 से 40 दिन तक लग सकते हैं। मलेरिया के शुरूआती दौर में सर्दी-जुकाम या पेट की गड़बड़ी जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं, इसके कुछ समय बाद सिर, शरीर और जोड़ों में दर्द, ठंड लग कर बुख़ार आना, नब्ज़ तेज़ हो जाना, उबकाई, उल्टी या पतले दस्त होना इत्यादि होने लगता है। लेकिन जब बुखार अचानक से बढ़ कर 3-4 घंटे रहता है और अचानक उतर जाता है, इसे मलेरिया की सबसे खतरनाक स्थिति माना जाता है।

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विश्व पशु चिकित्सा दिवस ( World Veterinary Day) प्रत्येक वर्ष अप्रैल महीने का अंतिम शनिवार को मनाया जाता है। वर्ष 2010 का विश्व पशु चिकित्सा दिवस 25 अप्रैल को मनाया गया जिसका थीम था- ‘वन वर्ल्ड, वन हेल्थ: पशु चिकित्सकों और चिकित्सकों के बीच ज्यादा सहयोग। 

विश्व पशु चिकित्सा दिवस के अवसर पर पशु चिकित्सालयों में पशुओं में पाए जाने वाले जीवाणुओं का दवाओं के प्रति प्रतिरोध विषय पर चर्चा की जाती है और लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाता है।
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अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस (International Dance Day) प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को विश्व स्तर पर मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस की शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई। यूनेस्को की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्था की सहयोगी अंतर्राष्ट्रीय नाच समिति ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में स्थापित किया। अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस को पूरे विश्व में मनाने का उद्देश्य जनसाधारण के बीच नृत्य की महत्ता का अलख जगाना था। साथ ही लोगों का ध्यान विश्वस्तर पर इस ओर आकर्षित करना था। जिससे लोगों में नृत्य के प्रति जागरूकता फैले। साथ ही सरकार द्वारा पूरे विश्व में नृत्य को शिक्षा की सभी प्रणालियों में एक उचित जगह उपलब्ध कराना था।

सन 2005 में नृत्य दिवस को प्राथमिक शिक्षा के रूप में केंद्रित किया गया। कहा जाता है कि आज से 2000 वर्ष पूर्व त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने नृत्य वेद तैयार किया, तभी से नृत्य की उत्पत्ति संसार में मानी जाती है। इस नृत्य वेद में सामवेदअथर्ववेदयजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया। जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरतमुनि के सौ पुत्रों ने किया।
संसार की बहुत सी संस्कृतियों की तरह ताइवान के मूल निवासी वृत्त में नृत्य करते हैं। उनके पूर्वजों का विश्वास था कि बुरा और अशुभ वृत्त के बाहर ही रहेगा। हाथों की श्रंखला बनाकर वो एक दूसरे के स्नेह और जोश को महसूस करते हैं, आपस में बांटते हैं और सामूहिक लय पर गतिमान होते हैं। और नृत्य समानांतर रेखाओं के उस बिंदु पर होता है जहाँ रेखाएं एक-दूसरे से मिलती हुई प्रतीत होती हैं। गति और संचालन से भाव-भंगिमाओं का सृजन और ओझल होना एक ही पल में होता रहता है। नृत्य केवल उसी क्षणिक पल में अस्तित्व में आता है। यह बहुमूल्य है। यह जीवन का लक्षण है। आधुनिक युग में, भाव-भंगिमाओं की छवियाँ लाखों रूप ले लेती हैं। वो आकर्षक होती है। परन्तु ये नृत्य का स्थान नहीं ले सकतीं क्योंकि छवियाँ सांस नहीं लेती। नृत्य जीवन का उत्सव है।

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