पृथ्वी दिवस को पहली बार सन् 1970 में मनाया गया था! - Study Search Point

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पृथ्वी दिवस को पहली बार सन् 1970 में मनाया गया था!

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पृथ्वी दिवस पूरे विश्व में 22 अप्रॅल को मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस को पहली बार सन् 1970 में मनाया गया था। इसका उद्देश्य लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना था। पृथ्वी पर अक्सर उत्तरी ध्रुव की ठोस बर्फ़ का कई किलोमीटर तक पिघलना, सूर्य की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी तक आने से रोकने वालीओज़ोन परत में छेद होना, भयंकर तूफ़ान, सुनामी और भी कई प्राकृतिक आपदाओं का होना, जो भी हो रहा है इन सबके लिए मनुष्य ही ज़िम्मेदार हैं। ग्लोबल वार्मिग के रूप में जो आज हमारे सामने हैं। ये आपदाएँ पृथ्वी पर ऐसे ही होती रहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी से जीव-जन्तु व वनस्पति का अस्तिव ही समाप्त हो जाएगा। 

जीव-जन्तु अंधे हो जाएंगे। लोगों की त्वचा झुलसने लगेगी और कैंसर रोगियों की संख्या बढ़ जाएगी।  पृथ्वी के पर्यावरण के बारे में प्रशंसा और जागरूकता को प्रेरित करने के लिए पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस की स्थापना सन् 1970 में अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन के द्वारा एक पर्यावरण शिक्षा के रूप में की गयी, और इसे कई देशों में प्रतिवर्ष मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस की तारीख उत्तरी गोलार्द्ध में वसंत ऋतुऔर दक्षिणी गोलार्द्ध में शरद ऋतु का मौसम है। सिएटल, वाशिंगटन में एक सम्मलेन में सितम्बर1969 में विस्कोंसिन के अमेरिकी सीनेटर जेराल्ड नेल्सन द्वारा यह घोषणा की गई कि 1970 ई. की वसंत ऋतु में पर्यावरण पर राष्ट्रव्यापी जन साधारण प्रदर्शन किया जायेगा। पर्यावरण को एक राष्ट्रीय एजेंडा में जोड़ने के लिए सीनेटर नेल्सन ने पहले राष्ट्रव्यापी पर्यावरण विरोध की प्रस्तावना दी। पूरे विश्व के ध्वजों के अनुसार, कार्टूनिस्ट रोन कोब्ब के द्वारा पारिस्थितिक ध्वज का निर्माण किया गया। इस ध्वज को 7 नवम्बर, 1969 को लोस एंजेलेस फ्री प्रेस में प्रकाशित किया गया, फिर इसे सार्वजनिक डोमेन में रखा गया। यह प्रतीक "E" व "O" अक्षरों के संयोजन से बनाया गया था, जिन्हें क्रमशः "वातावरण" व "जीव" शब्दों से लिया गया था। इस ध्वज का प्रतिरूप संयुक्त राज्य अमेरिकी ध्वज से लिया गया था और इसमें एक के बाद एक तेरह हरी और सफ़ेद धारियाँ थीं। 
पृथ्वी दिवस नेटवर्क की स्थापना 1970 में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण नागरिकता और साल भर उन्नति को बढ़ावा देने के लिए पृथ्वी दिवस के आयोजकों और डेनिस हायस के द्वारा की गयी थी। पृथ्वी दिवस के नेटवर्क के माध्यम से, कार्यकर्ता, राष्ट्रीय, स्थानीय और वैश्विक नीतियों में परिवर्तनों को आपस में जोड़ सकते हैं। अन्तराष्ट्रीय नेटवर्क 174 देशों में 17,000 संस्थानों तक पहुँच गया है, जबकि घरेलू कार्यक्रमों में 5,000 समूह और 25,000 से अधिक शिक्षक शामिल हैं, जो साल भर कई मिलियन समुदायों के विकास और पर्यावरण सुरक्षा कार्यकर्ताओं की मदद करते हैं।
इस बात की खबर जब अमेरिकी सरकार को लगी, तो उन्होंने उन्हें प्रोत्साहन दिया। इसके बाद उनकी ज़िंदगी ही बदल गई। अमेरिकी सरकार ने पर्यावरण मुद्दों पर मुहिम छेड़ने के लिए उन्हें अपने यहाँ बुला लिया। इस समय तक डेनिस कॉलेज छोड़कर रैली आयोजित करने और पर्यावरण बचाओ मुहिम में पूरे मनोयोग से जुट गए। अमेरिकी सिनेट ने उन्हें पहले पृथ्वी दिवस को संयोजित करने के लिए आमंत्रित किया। उल्लेखनीय है कि पहली बार 22 अप्रैल, 1970 को मनाया जाने वाला पृथ्वी दिवस एक बड़ा आयोजन था। इसे व्यापक जनसमर्थन मिला। इस आंदोलन के रोमांच को वर्ष 2009 में प्रदर्शित होने वाली फ़िल्म 'अर्थ डेज' में भी बयां किया गया है। अपनी कामयाबी और उसकी जबरदस्त लोकप्रियता को देखकर हायस का उत्साह दोगुना हो गया। प्रदूषित वातावरण के कारण पृथ्वी अपना प्राकृतिक रूप खोती जा रही है। पृथ्वी के सौंदर्य को जगह-जगह पड़े कूड़े के ढेर व बेतरतीब फैले कचरे ने नष्ट कर दिया है। पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विश्व में बढ़ती जनसंख्या तथा औद्योगीकरण एवं शहरीकरण में तेज़ी से वृद्धि के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट पदार्थों द्वारा विकराल होती जा रही है। 
भारत में प्रतिवर्ष लगभग 500 मीट्रिक टन पॉलीथिन का निर्माण होता है, लेकिन इसके एक प्रतिशत से भी कम की रीसाइकिलिंग हो पाती है। यह अनुमान है कि भोजन के धोखे में इन्हें खा लेने के कारण प्रतिवर्ष 1,00,000 समुद्री जीवों की मौत हो जाती है। ज़मीन में गाड़ देने पर पॉलीथिन के थैले अपने अवयवों में टूटने में 1,000 साल से अधिक ले लेते हैं। यह पूर्ण रूप से तो कभी नष्ट होते ही नहीं हैं। जिन पॉलीथिन के थैलों पर बायोडिग्रेडेबल लिखा होता है, वे भी पूर्णतया इकोफ्रेंडली नहीं होते हैं।
  • इस समय विश्व में प्रतिवर्ष प्लास्टिक का उत्पादन 10 करोड़ टन के लगभग है और इसमें प्रतिवर्ष उसे 4 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। भारत में भी प्लास्टिक का उत्पादन व उपयोग बड़ी तेजी से बढ़ रहा है। औसतन प्रत्येक भारतीय के पास प्रतिवर्ष आधा किलो प्लास्टिक अपशिष्ट पदार्थ इकट्ठा हो जाता है। इसका अधिकांश भाग कूड़े के ढेर पर और इधर-उधर बिखर कर पर्यावरण प्रदूषण फैलाता है। एक अनुमान के अनुसार केवल अमेरिका में ही एक करोड़ किलोग्राम प्लास्टिक प्रत्येक वर्ष कूड़ेदानों में पहुँचता है। इटली में प्लास्टिक के थैलों की सालाना खपत एक खरब है। इटली आज सर्वाधिक प्लास्टिक उत्पादक देशों में से एक है। हमारी पृथ्वी पर कई ऐसे केमिकल कम्पाउंड पाए जाते हैं, जो तापमान को संतुलित करते हैं। ये ग्रीन हाउस गैसेज कहलाते हैं। ये प्राकृतिक और मैनमेड दोनो होते हैं। जैसे- वाटर वेपर, मिथेन, कार्बन डाईऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड आदि। सूर्य की किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं, तो इनमें से कुछ किरणें (इंफ्रारेड रेज) वापस लौट जाती हैं। ग्रीन हाउस गैसें इन किरणों को सोख लेती हैं और वातावरण में हीट बढाती हैं। ग्रीन हाउस गैस की मात्रा स्थिर रहती है, तो सूर्य से पृथ्वी पर पहुँचने वाली किरणें और पृथ्वी से वापस स्पेस में पहुँचने वाली किरणों में संतुलन बना रहता है, जिससे तापमान भी स्थिर रहता है। दूसरी ओर, हम लोगों (मानव) द्वारा निर्मित ग्रीन हाउस गैस असंतुलन पैदा कर देते हैं, जिसका असर पृथ्वी के तापमान पर पडता है। यही ग्रीन हाउस प्रभाव कहलाता है। दशकों पूर्व पृथ्वी के तापमान को स्थिर रखने के लिए काम शुरू हो गया था।

विश्व पृथ्वी दिवस महज़ एक मनाने का दिन नहीं है। इस बात के चिंतन-मनन का दिन है कि हम कैसे अपनी वसुंधरा को बचा सकते हैं। धरती को बचाने में ऐसे कई तरीक़े हैं जिसे हम अकेले और सामूहिक रूप से अपनाकर योगदान दे सकते हैं। हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके संरक्षण के लिए कुछ न कुछ करते रहना चाहिए, लेकिन अपनी व्यस्तता में व्यस्त इंसान यदि विश्व पृथ्वी दिवस के दिन ही थो़ड़ा बहुत योगदान दे तो धरती के ऋण को उतारा जा सकता है। हम सभी जो कि इस स्वच्छ श्यामला धरा के रहवासी हैं उनका यह दायित्व है कि दुनिया में क़दम रखने से लेकर आखिरी साँस तक हम पर प्यार लुटाने वाली इस धरा को बचाए रखने के लिए जो भी कर सकें करें, क्योंकि यह वही धरती है जो हमारे बाद भी हमारी निशानियों को अपने सीने से लगाकर रखेगी। 

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