प्रमुख घाटी क्षेत्र - Study Search Point

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प्रमुख घाटी क्षेत्र

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कश्मीर की घाटी
कश्मीर की घाटी का एक गहरा तथा विषम बेसिन है, जो पीर पंजाल और विशाल हिमालय पर्वत श्रेणी के पश्चिम छोर के बीच में स्थित औसतन 1,600 मीटर की ऊँचाई वाली है। अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग के दौरान यह कभी करेवा झील की तलहटी थी। अब यह ऊपरी झेलम नदी के द्वारा जमा की गई तलछट और जलोढ़ मिट्टी से भरी हुई है। मिट्टी और पानी की स्थितियों में उल्लेखनीय विविधता है। जलवायु की दृष्टि से यहाँ लगभग 750 मिमी वार्षिक वर्षा होती है। 

कुछ तो ग्रीष्म कालीन मानसूनी हवाओं से और कुछ शीत ­ऋतु में कम दाब की प्रणाली से सम्बद्ध हवाओं से होती है। अक्सर हिमपात का साथ वर्षा और ओले देते हैं। ऊँचाई के कारण तापमान काफ़ी परिवर्तित हो जाता है। श्रीनगर में न्यूनतम औसत तापमान जनवरी में 2 डिग्री से. होता है और अधिकतम औसत तापमान जुलाई में 31 डिग्री से. तक रहता है। 2,134 मीटर की ऊँचाई तक जटिल और स्थलाकृति की दृष्टि से विशाल वृहद हिमालय में 6,096 मीटर से अधिक तक ऊँचाई वाली कुछ पर्वत श्रेणियाँ हैं, जिनके बीच-बीच में बहुत गहरी घाटियाँ हैं। अभिनूतन (प्लीस्टोसीन) युग में यह क्षेत्र भारी ग्लेशियरों के अंतर्गत आता था और ग्लेशियरों के अवशेष व हिमक्षेत्र रहे होने के चिह्न अभी भी यहाँ मौजूद हैं।

तुलियन झील
तुलियन झील पहलगाम से 15 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह झील वर्ष के अधिकांश समय बर्फ से जमी रहती है। यहाँ के ख़ूबसूरत दृश्य सभी को आश्चर्यचकित कर देने की सामर्थ्य रखते हैं। वर्ष के अधिकांश समय बर्फ़ से ढकी चोटियों से घिरी यह ख़ूबसूरत झील 3353 मीटर की ऊंचाई पर है। इस झील को 'तारसीर झील' के नाम से भी जाना जाता है। पहलगाम से 15 कि.मी. दूर स्थित इस झील तक जाने के लिए पर्यटक टट्टू की सवारी करना पसंद करते है।

ग्रैंड कूली
ग्रैंड कूली संयुक्त राज्य अमरीका में 52 मील लंबी, 5 मील तक चौड़ी तथा कहीं-कहीं एक हज़ार फुट तक गहरी कोलंबिया नदी की घाटी है। इस घाटी की रचना हिम युग से ही एक प्रपात के क्रमश: कटाव द्वारा हुई है। ग्रैंड कूली घाटी नदी स्तर से पाँच सौ फुट की ऊँचाई पर स्थित है। इसके दोनों सिरों पर 100 फुट लंबा बाँधकर एक संतुलित जलाशय की स्थापना की गई है। यह जलाशय 27 मील लंबा है तथा 27,000 एकड़ भूमि को घेरे हुए। यह 11,50,000 एकड़ फुट जल की क्षमता रखता है। समीप ही विश्व का सबसे बड़ा ठोस बाँघ, ग्रैंड कूली बाँध बना हुआ है। यह बाँध 4,173 फुट लंबा तथा 550 फुट ऊँचा है। इससे सिंचाई तथा शक्ति साधन की सुविधा प्राप्त होती है।

दिबांग घाटी
दिबांग घाटी पूर्वोत्तर अरुणाचल प्रदेश राज्यपूर्वी भारत का पहाड़ी क्षेत्र। यह क्षेत्र बृहद हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। इसकी उत्तरी एवं पूर्वी श्रृंखलाएं तिब्बत से लगती हैं। मिशमी पहाड़ियाँ, जो हिमालय का दक्षिणवर्ती विस्तार हैं, इस क्षेत्र का अधिकतम उत्तरी हिस्सा घेरती हैं। इनकी औसत ऊंचाई 4,500 मीटर है। 3,950 मीटर पर 'योंग्याप' तथा 4,750 मीटर पर 'काया' जैसे दर्रे यहां जगह-जगह मिलते हैं। इस क्षेत्र का नाम दिबांग नदी पर पड़ा है। 

अहुई', 'एभ्रा', 'अद्जोन' और 'द्री' धाराओं के साथ दिबांग दक्षिण की ओर बहती है और ब्रह्मपुत्र नदी से जा मिलती है। दिबांग क्षेत्र के पहाड़ी हिस्से में बांज, 'द्विफल, हपुषा' और चीड़ के उपोष्णीय सदाबहार वन हैं। 'मिशमी', 'मिजू', 'इदू' (चुलीकट्टा), 'खामती' और 'सिंगफो' जनजातियाँ इस इलाके में निवास करती हैं तथा तिब्बती-बर्मी भाषाई कुल की बोलियां बोलती हैं। सीढ़ीनुमा पहाड़ियों और नदी से लगे समतल भू-खंडों पर चावल, मक्का, ज्वार-बाजरा, आलू एवं कपास उगाए जाते हैं। क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था के लिए वस्तु-विनिमय हाट महत्त्वपूर्ण है, मिशमी दक्षिण में असम के मैदानी इलाकों के लोगों के साथ कस्तूरी, मधुमक्खी-मोम, अदरक एवं मिर्चोंका व्यापार करते हैं। इस क्षेत्र में चिकनी मिट्टी, ग्रेफ़ाइट, चूना-पत्थर और तांबे का खनन होता है। कुटीर उद्योगों में बेंत का काम, कपड़ा बुनाई, चाँदी और लोहे का काम शामिल है।

अरू घाटी
अरू घाटी जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक, जो पहलगामअनन्तनाग ज़िले में स्थित है। पहलगाम को बॉलीवुड के कारण विशेष पहचान मिली है, क्योंकि इसके आसपास स्थित अरू घाटी तथा बेताव घाटी में कई फ़िल्मों की शूटिंग हो चुकी है। यदि पर्यटक पहलगाम में हैं तो उन्हें यहां से 11 किलोमीटर की दूरी पर और समुद्र तल से 2408 मीटर की ऊँचाई पर स्थित अरू घाटी की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। इस घाटी में जाने के बाद यहां के खूबसूरत नज़ारे यहाँ आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेंगे। यदि पर्यटक चाहें तो पहलगाम से ट्रैकिंग के जरिये भी आसानी से अरू घाटी पहुँच सकते हैं। चहचहाते पक्षियों की आवाज, सरसराती ठंडी हवाओं और नीले आकाश के बीच बसा अरू शहरी जीवन से दूर लिद्दर नदी के किनारे बसा हरा भरा और मैदानी इलाका है।

दज़ुको घाटी
दज़ुको घाटी मणिपुर और नागालैंड की सीमा पर सेनापति नगर में स्थित एक बहुत ख़ूबसूरत घाटी है। दज़ुको घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए पहचानी जाती है। दज़ुको लिली दज़ुको घाटी पर ही पाये जाते है। दज़ुको घाटी पर्यटकों में बहुत प्रसिद्ध है और वह इसकी सैर करने के लिए प्रतिवर्ष यहाँ आते हैं। दज़ुको घाटी युवा पर्यटकों में विशेष तौर पर प्रसिद्ध है क्योंकि वह यहाँ पर ट्रैकिंग का आनंद ले सकते हैं। घाटी में घूमने के लिए शरद और वसंत ऋतु सबसे आदर्श समय है क्योंकि उस समय इसकी सुन्दरता कई गुणा बढ़ जाती है।

सिंधु घाटी
सिंधु घाटी की एक सुपरिभाषित भौगोलिक विशेषता है, जो भूगर्भीय संरचना की प्रवृत्ति के अनुसार है। यह तिब्बत की सीमा से पश्चिम की ओर आगे बढ़ते हुए पाकिस्तानी भू—भाग में उस बिन्दु तक जाती है, जहाँ विशाल नंगा पर्वत का चक्कर काटकर दक्षिण की ओर इसके आरपार कटे महाखड्ड की ओर जाती है। ऊपरी भागों में यह नदी दोनों तरफ़ बजरी की सीढ़ीनुमा संरचनाओं से घिरी है। प्रत्येक सहायक नदी मुख्य घाटी में बाहर निकलते हुए एक जलोढ़ पंख बनाती है। लेह नगर इसी प्रकार के एक जलोढ़ पंख पर स्थित है और समुद्री सतह से 3,500 मीटर की ऊँचाई पर है।  यहाँ पर जीवन आसपास के पर्वतों से पिघले हुए पानी पर निर्भर है। यहाँ की वनस्पति पहाड़ी है, जो पतली परत वाली मिट्टी पर उगती है।


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