ब्रह्मपुत्र घाटी
ब्रह्मपुत्र घाटी असम का प्रमुख भौगोलिक क्षेत्र है। यह ब्रह्मपुत्र नदी असम के पूर्वोत्तर सिरे पर सादिया के पास प्रवेश करती है, फिर पश्चिम में पूरे असम में लगभग 724 किमी. लंबे मार्ग में प्रवाहित होकर दक्षिण की ओर मुड़करबांग्लादेश के मैदानी इलाक़ों में चली जाती है। ब्रह्मपुत्र नदी घाटी, छोटी एकल पहाड़ियों और मैदानी इलाक़ों में अचानक उठते शिखरों, जिनकी चौड़ाई 80 किमी. से ज़्यादा नहीं है, से भरी हुई है। पश्चिम दिशा को छोड़कर बाक़ी सभी दिशाओं में यह पर्वतों से घिरी हुई है। पड़ोस की पहाड़ियों से निकली कई जलधाराओं एवं उपनदियों का जल इसमें समाहित होता है।
असम घाटी को दो उप भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- ऊपरी असम घाटी
- निचली असम घाटी
नुब्रा घाटी
नुब्रा घाटी एक तीन भुजाओं वाली घाटी है जो लद्दाख घाटी के उत्तर-पूर्व में स्थित है। यह श्योक और नुब्रा नदियों के संगम से बनी है। श्योक नदी उत्तर पश्चिम की ओर बहती है और नुब्रा नदी एक न्यूनकोण बनाते हुए इसमें उत्तर-उत्तर पश्चिम से आ कर मिलती है। श्योक नदी आगे जाकर सिन्धु नदी में मिलती है। नुब्रा की केन्द्रीय बस्ती दिस्कित की दूरी लेहसे 150 कि॰मी॰ है।इस घाटी की औसत ऊँचाई 3,038 मी॰ यानी 10,000 फीट है।

यहाँ के स्थानीय लोगों के अनुसार इसका प्राचीन नाम डुमरा (फूलों की घाटी) था। यहाँ पहुँचने के लिये लेह से खर्दुंग ला दर्रे से होकर जाया जाता है। नुब्रा घाटी में बौद्ध धर्म का साफ प्रभाव नज़र आता है। हर जगह पूजा के लिए धर्म चक्र लगे होते हैं। यह घाटी लेह से कुछ अलग है। लेह में जहाँ हरियाली दिखाई नहीं देती वहीं यहाँ नुब्रा नदी के किनारे पर पेड़ और झाड़ियाँ दिखाई देते हैं। इस घाटी में लद्दाख का स्थानिय फल सी-बक-थोर्न भी दिखाई देता है। इसे 'लेह बेरी' के नाम से भी जानते है।
सुरु घाटी
सुरु घाटी जम्मू और कश्मीर राज्य के कारगिल में स्थित है। यह हरी भरी घाटी अत्यधिक सुंदर हैं। यह घाटी समुद्री तल से 3,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। यहाँ पर तिब्बत दारा प्रजाति के लोग रहते हैं। सुरु घाटी के सुदूर पूर्व भाग में एक जलोढ़ है। जिसके ऊपर दो चोटियाँ नून 7135 मीटर तथा कुन 7035 मीटर स्थित है। यह लद्दाख का सबसे ऊंचा शिखर है। कारगिल के दक्षिण से इस जगह की दूरी 70 किमी है। नून-कुन पर्वतों पर सुरू घाटी द्वारा पहुँचा जा सकता है।
बेताब घाटी
बेताब घाटी जम्मू-कश्मीर के पहलगाम से 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शानदार स्थान है। यह स्थान प्रसिद्ध शेषनाग झील का जन्म स्थान है। प्रकृति की खूबसूरती निहारने वालों के लिए बेताब घाटी एक सटीक जगह है। यह स्थान अपनी ख़ास खूबसूरती के लिए सम्पूर्ण कश्मीर में एक ख़ास पहचान रखता है।

इस घाटी के नामकरण की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। कहा जाता है कि भारतीय सिनेमा की सुपरहिट हिन्दी फ़िल्म 'बेताब' के हिट होने के बाद इस स्थान का नाम 'बेताब घाटी' रखा गया था। क्योंकि इसी स्थान पर 'बेताब' फ़िल्म की शूटिंग हुई थी।
युमथांग घाटी
युमथांग घाटी सिक्किम के उत्तर सिक्किम ज़िले में हिमालय पर्वतों से घिरा हुआ है। सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 150 किमी की दूरी पर स्थित है। युमथांग घाटी को फूलों की घाटी भी कहा जाता है, यहाँ लाल, नारंगी, बैगनी, पीले और सफेद रंग के फूल देखने को मिल जाते हैं। भारी बर्फबारी के कारण युमथांग घाटी को दिसम्बर से मार्च के बीच में बंद कर दिया जाता है। इस घाटी के पास ही गर्म पानी का झरना है जिसमें नहाने से त्वचा की बीमारियाँ ठीक हो जाती है क्योंकि इस पानी में सल्फर मिला हुआ होता है।
दिरांग घाटी
दिरांग घाटी अरुणाचल प्रदेश राज्य में बोमडिला और तवांग के बीच में स्थित एक पहाड़ी पर्यटन स्थल है। दिरांग घाटी समुद्री स्तर से 4910 फुट की ऊँचाई पर है। दिरांग घाटी के शानदार प्राकृतिक दृश्य पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते है। दिरांग घाटी की ऊँची चोटियाँ पर चढ़ना पर्वतारोहियों और यात्रियों के लिए अनूठा अनुभव होता है। दिरांग घाटी अपनी प्राकृतिक सुंदरता के अलावा सेब के बगीचों के लिए भी प्रसिद्ध है।

स्पीति घाटी
स्पीति घाटी हिमालय की गोद में बसी स्पीतियन लोगों की सरजमीं है। स्पीति घाटी को संसार का जीवाश्म- फॉसिल गार्डन भी कहा जाता है। इसकी सरहदें एक तरफ तो जम्मू कश्मीर को छूती हैं तो दूसरी तरफ खुद को तिब्बत की ड्योढ़ी पर समेट लेती हैं। सन 1947 में भारत की आज़ादी के बाद यह घाटी पंजाब के कांगड़ा ज़िले का हिस्सा हुआ करती थी। 1960 में यह लाहुल स्पीति नामक नए ज़िले के रूप में एक नए प्रदेश यानी हिमाचल प्रदेश के साथ जुड़ा। स्पीति घाटी मठों के लिए प्रसिद्ध है, परन्तु उनमें धनकर मठ अपनी ख़ास पहचान रखता है।