पर्यटन : रोमांचक जंगलों का सफर, - Study Search Point

निरंतर कर्म और प्रयास ही सफलता की कुंजी हैं।

पर्यटन : रोमांचक जंगलों का सफर,

Share This

यह बात अजीब लग सकती है, लेकिन है सच। सफारी टूर केवल अफ्रीकी देशों की धरोहर नहीं है। अगर सफारी का मतलब घने जंगलों के बीच स्वच्छंद विचरना और जंगली जीवों को उनके प्राकृतिक परिवेश में देखना ही है, तो उड़ीसा में इसके सभी साधन हैं। उड़ीसा के कई क्षेत्रों में स्थित वन्य जीव अभ्यारण्यों, सुरक्षित वनक्षेत्रों तथा नेचुरल बॉयोलॉजिकल पार्को में आप वन्य जीवन का बहुरंगी परिदृश्य देख सकते हैं। यहां मौजूद सभी अभ्यारण्यों में मयूरभंज जिले में स्थित सिमलीपाल, जो करीब 2750 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला है, गेम पार्क की मुकम्मिल तस्वीर पेश करता है। बाघों की संख्या सिमलीपाल में लगातार बढ़ रही है। इसी से जाहिर है कि यहां का पर्यावरण, जलवायु और वातावरण इन जंतुओं के लिए बिलकुल अनुकूल है। घने जंगल, छोटी-बड़ी पहाडि़यां और उनमें अपनी पूरी मस्ती व गरिमा के साथ घूमते जंगली जीव, कुल मिलाकर पर्यटकों को लुभाने के लिए ऐसा आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करते हैं, कि आने वालों को यह स्वर्ग जैसा लगने लगता है। कोई प्रकृतिप्रेमी व्यक्ति यहां बाघों की गर्जना, हाथियों की चिंघाड़, कई तरह के देशी-विदेशी पक्षियों के मधुर कलरव, साल एवं जंगली पेड़ों से होकर गुजरती सरसराती हवाओं तथा जंगल का आदिम संगीत सुनकर मंत्रमुग्ध हो सकता है। इसकी सीमा से होकर कुल 12 नदियां गुजरती हैं और कई झरने भी यहां हैं! सिमलीपाल नेशनल पार्क के भीतर कुछ बंग्लो भी हैं और सिमलीपाल के वैभव को ठीक तरह से महसूस करने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि एक रात वहीं किसी रेस्ट हाउस में बिताई जाए। रात के समय वहां रहते हुए बाघ, भालू, हिरन, चीतल, सांभर जैसे कई जंतुओं की आवाजें सुनना आपको सचमुच रोमांच से भर देगा। रात के अंधेरे को चीरती आती बाघ की दहाड़ और झींगुरों के संगीत से ऐसा लगता है गोया पूरा जंगल जाग रहा हो। मई-जून के महीने में यहां कई रंगों के खिले ऑर्किड देखकर मनमयूर नाचने लगता है। इनमें फॉक्सटेल ऑर्किड जंगल का सबसे आकर्षक पौधा है। वन्य जीवन, झरनों व वनस्पतियों के अलावा भी सिमलीपाल में देखने के लिए बहुत कुछ है। जोशीपुर के निकट मौजूद रामतीर्थ मगरमच्छ संव‌र्द्धन केंद्र का सफर आपको एक अलग अनुभव देगा। जैव विविधता की दृष्टि से भी सिमलीपाल बहुत समृद्ध है। भारत में फूल वाले पौधों की सात प्रतिशत और ऑर्किड की 85 प्रजातियां यहां पाई जाती हैं। पौधों की कुल 1076 प्रजातियां अब तक यहां दर्ज की जा चुकी हैं।

बाघ, चीते, जंगली भैंसे, चित्तीदार हिरन, रीछ, सांभर, माउस डियर, बार्किग डियर, जंगली सुअर, चौसिंघा, रूडी मंगू़ज, पंगोलिन, गिलहरी। अजगर, कोब्रा, किंग कोब्रा, वाइपर, करैत, फॉरेस्ट कैलॅट, गिरगिट, मगरमच्छ, काला कछुआ, टेंट कछुआ। जंगली मुर्गे, धनेश, पहाड़ी मैना, अलेक़्जेंड्रीन, पैराकीट, सर्पेट ईगल।
सिमलीपाल में प्रवेश के लिए दो बिंदु हैं- जोशीपुर व लुलुंग। रांची, भुवनेश्वर और कोलकाता यहां से निकटतम हवाई अड्डे हैं। भुवनेश्वर व रांची से यहां के लिए नियमित बस सेवाएं हैं। टाटानगर तक ट्रेनें भी हैं और वहां से सड़कमार्ग से पहुंच सकते हैं।
पार्क 10 नवंबर से 15 जून तक ही खुला रहता है। बेहतर होगा कि बंगलों की बुकिंग पहले ही करवा लें। इसके लिए आप फील्ड डायरेक्टर, सिमलीपाल टाइगर रिजर्व, मयूरभंज, उड़ीसा को लिख सकते हैं। प्रवेश परमिट नेशनल पार्क के वन संरक्षक कार्यालय से जारी किया जाता है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग 6 पर जोशीपुर में स्थित है। इसके अलावा पिठाबाटा चेक गेट स्थित पिठाबाटा रेंज के क्षेत्राधिकारी कार्यालय से भी इसे प्राप्त कर सकते हैं।

ليست هناك تعليقات:

إرسال تعليق

Pages