#अरुणाचलप्रदेश में ब्रह्मोस मिसाइल तैनात करने को लेकर भारतीय सेना ने अपना रुख कड़ा कर दिया है । चीन अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों पर अपना हक जताता है। दोनों देश लाइन और एक्चुअल कंट्रोल (#LAC) पर दावा करते हैं। चीन ने राज्य में मिसाइलों की तैनाती पर आपत्ति जताई थी। जिसके बाद आर्मी ने साफ कर दिया कि उसके फैसलों पर चीन का कोई असर नहीं पड़ेगा। गौरतलब है कि चीनी सेना ने अपने मुखपत्र में सोमवार को कहा था कि ”सीमा पर भारत द्वारा सुपरसोनिक मिसाइलों की तैनाती आत्मरक्षा की जरूरतों को पार कर गई है और चीन के #तिब्बत और युन्नान राज्य के लिए गंभीर खतरा बन गई है। सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से लिखा है, ”हमारे खतरे और सुरक्षा संबंधी चिंताएं हमारी अपनी हैं, और इसके लिए हमारे अपने क्षेत्र में तैनाती पर किसी और को चिंता नहीं होनी चाहिए।
2007 में भारतीय सेना में शामिल हुई ब्रह्मोस उन्नत किस्म की #सुपरसोनिकक्रूजमिसाइल है जिसे पनडुब्बी, जहाजाें, एयरक्राफ्ट और जमीन से भी लॉन्च किया जा सकता है। इसमें 300 किलो तक के हथियार ले जाने की क्षमता है। इसके जरिए जमीन और समुद्र में वार किया किया जा सकता है। फिलहाल एयरफोर्स के सुखोई-30 के फाइटर्स के इस्तेमाल के लिए ब्रह्मोस का टेस्ट किया जा रहा है। #भारतीयसेना एक नई रेजिमेंट को इस मिसाइल के लेटेस्ट वैरियंट से लैस कर रही है। नई रेजिमेंट में करीब 100 मिसाइलें, भारी-भरकम ट्रकों पर पांच लॉन्चर और जरूरी हार्डवेयर व साॅफ्टवेयर होंगे। इस प्रक्रिया पर सेना करीब 4,300 करोड़ रुपए खर्च करेगी। #हिमालय के एरिया में तैनात ब्लॉक-3 वर्जन में एडवांस्ड गाइडेंस सिस्टम है, जो मिसाइल को ध्वनि से तीन गुना ज्यादा तेज गति से कड़ा युद्धाभ्यास करने के लायक बनाता है। इस सिस्टम से मिसाइल किसी पहाड़ी के पीछे छिपे निशानों पर बड़ी सफाई से हमला कर सकती है। भारत ने अपनी सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए कई नई सड़कें बनाई हैं। इसके अलावा बेहद ऊंचाई पर एयरस्ट्रिप्स बनाई गई हैं ताकि क्षेत्र पर नियंत्रण रखा जा सके।
साभार - Liv.Hindustan

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