के. एम. चांडी (K. M. Chandy ; जन्म- 6 अगस्त, 1921, कोट्टायम ज़िला, केरल; मृत्यु- 7 सितम्बर, 1998) स्वतंत्रता सेनानी तथा गुजरात और मध्य प्रदेश के भूतपूर्व राज्यपाल थे। उन्होंने राजनीति में 17 वर्ष की उम्र से ही हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। उस समय वे 12वीं कक्षा के छात्र थे। सन 1946 में जब के. एम. चांडी मीनाचिल तालुक कांग्रेस कमेटी के सचिव थे, तब उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया, पर वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेते ही रहे। के. एम. चांडी ने पलई में 'सेंट थामस कॉलेज' की स्थापना में योगदान दिया था। के. एम. चांडी ने राजनीति में 17 वर्ष की उम्र से ही हिस्सा लेना शुरू कर दिया था।
उस समय वे चंगनाचेरी के 'सेंट वर्च मेन कॉलेज' में इन्टमीडिएट के विद्यार्थी थे। उन्होंने त्रिवेन्द्रम में राज्य कांग्रेस के नेताओं का अभिनन्दन करने वाले विद्यार्थियों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में हड़ताल का नेतृत्व किया था। त्रिवेन्द्रम में अध्ययन के दौरान उन्होंने प्रख्यात गांधीवादी जी. रामचन्द्रन के नेतृत्व में 'टेगौर अकादमी' के गठन में प्रमुख भूमिका निभाई। विद्यार्थियों तथा युवकों के मध्य राष्ट्रवादी आन्दोलन को सक्रिय करने के कारण इस अकादमी को 1941 में प्रतिबंधित कर दिया। सन 1946 में जब के. एम. चांडी मीनाचिल तालुक कांग्रेस कमेटी के सचिव थे, तब उन्हें राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया गया, लेकिन वे स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेते ही रहे। उन्हें जुलाई, 1946 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। के. एम. चांडी 26 साल की उम्र में 'युवा तुर्क' होने के नाते राज्य विधान सभा के लिये निर्विरोध निर्वाचित हुए। सन 1952 और 1954 में वे पुन: विधायक निर्वाचित हुए। वे विधान सभा में कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचेतक थे।

केरल तथा कोचीन विश्वविद्यालयों की अनेक अकादमिक समितियों, सीनेट और महासभा के के. एम. चांडी सदस्य रहे। प्रोफेसर के. एम. चांडी ने 'अखिल केरल निजी महाविद्यालय शिक्षक संघ' के गठन में प्रमुख भूमिका निभाई। उनकी अध्यक्षता के दौरान (1969-1972) निजी महाविद्यालयों के शिक्षकों के हित में दो समझौते हुए -
- अशासकीय महाविद्यालय शिक्षकों को शासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों के बराबर वेतन मिलने लगा।
- वेतन का भुगतान शासन द्वारा सीधे किया जाने लगा।
'इन्टक' के गठन के पूर्व उन्होंने अनेक श्रमिक संगठनों का गठन तथा नेतृत्व किया। श्रमिक संघों की गतिविधियों के समर्थन में उन्होंने 'तोझिलालली' नामक साप्ताहिक का भी थोड़े समय के लिये सम्पादन तथा प्रकाशन किया था। के. एम. चांडी 1974-1976 तक इलायची मंडल के भी अध्यक्ष रहे। उनके कार्यकाल में 'इलायची प्लान्टेशन अनुसंधान' प्रारम्भ हुआ था। एक कृषक परिवार के होने के कारण के. एम. चांडी कृषकों की समस्याओं में गहरी रूचि लेते रहे और उनके निदान के लिये संघर्ष करते रहे। शासन ने 1962 में उन्हें सरकारी जंगल भूमि में बसने वालों की समस्याओं का परीक्षण करने वाली समिति का सदस्य नियुक्त किया था। उनके प्रतिवेदन की सभी वर्गों ने सराहना की थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें